गंगाजी को केंदीय सरकार ने राष्ट्रीय नदी घोषित किया है, हो सकता है एक दिन मुल्क को भी भारत घोषित कर दें, हो सकता है यह कदम आस्था और सदभावना के तहत उठाया हो लेकिन परिस्थितियाँ प्रतिकूल हैं। गंगाजल में ecoli बक्टीरिया का डेरा है गंगा तो अब गौमुख से ही गंधाने लगी है ग्लेशियर से कलौंच चस्पां है फलतः ग्लेशियर तेजी से सिकुड़ रहा है, पीछे की और लौट रहा है। बस इतना भर हो जाए नगरों का मैला चर्म की रंगाई से निकला मैला गंगा के वक्ष को न झुलसाए। मरने वाले के मुहँ में दो बूँद गंगा जल तो डाला जा सके। गंगा मैय्या को तब ही पियरी चढाई जा सकेगी फिल वक्त तो उसके अपनी बहना जमुना जैसे हो जाने के आसार हैं। हाथ धो लिए तो छाजन हो जायेगी।
गुरुवार, 20 नवंबर 2008
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