रविवार, 2 नवंबर 2008

प्रधानमन्त्री को पूछने का हक़ है

प्रधानमन्त्री ने विलास राव देशमुख को चिट्ठी लिख कर अपना फ़र्ज़ निभाया है। उन्होंने साफ़ कहा : जब मेरे मंत्री मंडल के लोग जो बाकायदा चुन कर आयें हैं राज के ख़िलाफ़ और महाराष्ट्र राज्य शासन के ख़िलाफ़ खुल कर सामने आयें हैं तो मैं क्या चिट्ठी भी नही लिखता, मैं तो बाकायदा चुन कर भी नहीं आया हूँ चुप कैसे बैठता।

पर भाई साहब राज पाठ तो देश्मिख को ही चलाना है, प्रधान मंत्री तो दूर बैठे हैं सुना है वैसे विलास राव ने राज के ख़िलाफ़ गैर ज़मानती धाराएं लगाने का मन बना लिया है।

हमारी राय ; जब सरकार ही डींग मार रही है, गंभीर नही है तब मैं भी क्या कर सकता हूँ।

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