कबीर से लेकर प्रज्ञा सिंह ठाकुर तक एक संत परम्परा रही है जिसने जब भी भारत राष्ट्र पर संकट आया है तो उसका प्रतिकार किया है। क्या इस प्रतिकार को आतंकवाद कहा जा सकता है ? शिव सेना और RSS इसी प्रतिकार में पीछे पीछे आ रहे हैं प्रज्ञा सिंह ठाकुर के।
इधर भारत्धर्मी लोगों की गत चार वर्षों से एक एक करके निशाने पर लिया जाता रहा है। जयेंद्र सरस्वती से शुरू हुआ था यह सिलसिला फिर क्रिपालुचार्य, आसा राम बापू और अब प्रज्ञा सिंह ठाकुर हिट लिस्ट में हैं उन महा नपुंसक लोगों की जो महज़ रिमोट बटन दबाते ही बोलते हैं। यह तमाम निर्वीर्य लोग एक राष्ट्रीय धुंद संसदीय चुनाव tak यूँही बनाये रहेंगे। हिंदुत्व की अक्शुन्य धारा इनके बहकावे में आने वाली नही है। संत कूका की परम्परा से नावाकिफ TRP पिपासु चॅनल किस बहकावे में यह सवाल पूछ रहे हैं : प्रज्ञा सिंह ठाकुर को साध्वी कहा जाए या नही ऐसे तमाम सवाल आग्रहमूलक और नकारात्मक होते हैं.
इधर भारत्धर्मी लोगों की गत चार वर्षों से एक एक करके निशाने पर लिया जाता रहा है। जयेंद्र सरस्वती से शुरू हुआ था यह सिलसिला फिर क्रिपालुचार्य, आसा राम बापू और अब प्रज्ञा सिंह ठाकुर हिट लिस्ट में हैं उन महा नपुंसक लोगों की जो महज़ रिमोट बटन दबाते ही बोलते हैं। यह तमाम निर्वीर्य लोग एक राष्ट्रीय धुंद संसदीय चुनाव tak यूँही बनाये रहेंगे। हिंदुत्व की अक्शुन्य धारा इनके बहकावे में आने वाली नही है। संत कूका की परम्परा से नावाकिफ TRP पिपासु चॅनल किस बहकावे में यह सवाल पूछ रहे हैं : प्रज्ञा सिंह ठाकुर को साध्वी कहा जाए या नही ऐसे तमाम सवाल आग्रहमूलक और नकारात्मक होते हैं.
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