सोमवार, 22 सितंबर 2008
आत्मा की फसल काटने वाले मज़हबी पोप
ईसाई धर्मं को छोड़ कर क्या कोई और ऐसा मज़हब है जिसकी सर्वोच्च धार्मिक सत्ता, आत्मा की फसल काटने का धंदा करती हो। ईसाई मिशनरियों के मार्फ़त ही सही पोप साहिब ये गोरख धंधा एक बार चीन में तो चलवा कर देखें नानी याद आ जायेगी . इधर हमारे बौधिक भकुए हैं मार्क्सवादी विचारधारा के गुलाम हैं जो अपने आपको सेकुलर केहेल्वाने का तो शौक रखते हैं लेकिन इन्हे अमेरिका की हर चीज़ से परहेज़ है। पुछा जा सकता है भारत में ये धर्मान्तरण की तरफदारी क्यों करते हैं ? यदि अमेरिकी atom मुसलामानों के ख़िलाफ़ है तब evenzelisation jabri isaaikaran roti tukdaa daal कर करवाना हिन्दुओं के hit में कैसे है और इस missonariya dharmantaran में secularwaad कहाँ है। रही बात samvidhaan की to उस में to और भी bohot कुछ likha है swechhik dharmantaran की bhartiya secular samvidhaan बेशक ijazat देता है लेकिन bhartiya samvidhaan tusthiwaad का poshak नही है और dharamnirpeksh visheshan भी हमारे gantantric rashtra राज्य की काया पर indiraji को joda हुआ kshepak है। तभी से यह खून kharaba है tustiwaad की farming जारी है और जो rajnitik दल इसकी kanooni khilafat करता है उसे यह bhakue sampradayik ghoshit कर देते हैं। थोडी पर दादी रखने से कोई बुद्धिजीवी नही हो जाता है। हम जिन्हें अब तक साहित्यकार समझे थे वेह निपट लेफ्टिए रक्तरंगी लाल बामी निकले, यह तमाम भकुए आज पूछते हैं ; धर्मान्तरण : दोष किसका यह सवाल भारत के सेकुलर मंत्रिमंडल से पूछे आवाम से नही जिसे आप कुछ भी लिख कर बहकाते रहते हैं
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