सोमवार, 7 जून 2021

Soul Healing : आत्मा को आरोग्य लम्बाती कोरोना अवधि में दुआ भी चाहिए दवा भी और सबसे ज्यादा प्रेम चाहिए ,शान्ति चाहिए ,माधुर्य चाहिए। तीनों का अभाव है कलियुग में।

Soul Healing : आत्मा को आरोग्य 

लम्बाती कोरोना अवधि में दुआ भी चाहिए दवा भी और सबसे ज्यादा प्रेम चाहिए ,शान्ति चाहिए ,माधुर्य चाहिए। तीनों का अभाव है कलियुग में। आलमी महामारी के इस दौर में आत्मा को भी आरोग्य चाहिए तन को भी मन को भी। डॉ शाह आत्मा को आरोग्य प्रदान करते हैं संगीत चिकित्सा की मारफ़त। आप भी शरीक़  होइए इस संगीत में पहले बंदिश के बोल तो बांच लें :

I love my heart and soul ,i love all humanity ,

join heart and soul  together ,love peace and harmony .

मुझे प्रेम हैं अपने मन और आत्मा से। मुझे प्रेम है पूरी मानवता से। आओ मन और आत्मा का मेल करें ,कायनात में प्रेम शान्ति और माधुर्य का संचार करें। 

गुरु गोविन्द सिंह जी दशम ग्रंथ में कहते हैं :

साँच कहूँ सुन लेओ सभै ,

जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभ पायो। 

कवि  घनानन्द कहते हैं :


अति सूधो सनेह को मारग  है, जहाँ नेकु सयानप बांक नहीं।

तहाँ सांचे चलै तजि आपनपो , झझकै कपटी जे निसांक नहीं।।

घनआनंद प्यारे सुजान  सुनौ  इतै  एक ते दूसरो आँक नहीं। 
तम कौन धौ पाटी पढ़े हो लला मन लेहु पाई देहु छटाँक नहीं।।” 

कबीर दास कहते हैं  :

 कबिरा  ये घर प्रेम का ,खाला का घर नाहिं ,

सीस उतारे भुई धरे ,तब पैठे घर माहिं। 

प्रेम न बारी उपजे, प्रेम न हाट बिकाए ।
राजा प्रजा जेहि  ही रुचे,  सीस देई  ले जाए ।

जो घट प्रेम ना संचरे ,सो घट जान मसान ,

ज्यों तिल माहिं तेल है ,ज्यों चकमक में आग। 

अर्थात जिस घर में प्रेम व्यापार  नहीं है आपस में प्रेम नहीं है वह तो श्मशान के समान ही है ,तिल में तेल और पत्थर में आग  देती ,प्रेम प्रतिदान चाहता है समर्पण चाहता है। 

जिस लीला पुरुष कृष्ण को शेषनाग (लक्ष्मण ),गणपति गणेश ,इंद्र ,शंकर ,ब्रह्मा आदि देव भी प्राप्त करने के लिए तरसते हैं।  मुनियों में शीर्ष नारद मुनि ,शुकदेव महाराज ,और भगवान् व्यास देव दिन रात जिनकी माला जपते हैं ,जिसका वेद पार न पा सके ,भेद न बूझ सके जिसकी लीला का ,आदि ,अनादि ,अनंत,अखंडनीय बतलाते बतलाते जिसे थक हार के बैठ गए  ,लेकिन पार न पा सके उस अभेद्य का ,अबूझ का  वही कृष्ण  गोपियों के प्रेम में बंधे चले आते हैं छाछ मख्खन दिखा दिखा गोपियाँ उन्हें एक कोरियॉग्रफर की तरह खूब नचाती हैं :

"शेष, महेश, गणेश, दिनेश, सुरेश हि जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि, अनंत, अखंड, अछेद, अभेद सु वेद बतावै।।

नारद ते शुक-व्यास रटै, पचि हारे तऊ पुनि पार न पावै।
ताहि अहीर की छोहरियाँ छछिया भर छाछ पे नाच नचावै।।


मसान -श्मशान 

चकमक -पत्थर आपस में रगड़ने से आग पैदा होती है। 

निदा फ़ाज़ली साहब कहते हैं :

चाहे गीता बांचिये या पढ़िए क़ुरआन ,

 मेरा तेरा प्यार  ही हर पुस्तक  ज्ञान। 

https://www.youtube.com/watch?v=5Hon6Qh1rYA

Love, Peace and Harmony - Master Sha (Full Version)



 

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