विश्वास करो तुम मोदी पर ,वह नवयुग का निर्माता है ,
ऐसा नेता इस मातृभूमि पर ,एक बार ही आता है।
(२ )
वह जामवंत इस युग का ,हनुमान जगाने आया है ,
भारत के हर राम की आँखें चमकाने आया है।
(३ )
तोड़ दिया होगा तुम ने इन धर्मों के ,बे -चारों को,
है हिम्मत क्या तोड़ सकोगे ,मोदी की दीवारों को।
(४ )
हम भाग्य विधाता हैं जग के ,जग को बतलाना ही होगा ,
गुजरात के इस अर्जुन को ,दिल्ली बैठाना ही होगा।
(५ )
ग़र समझ गए इन बातों को ,गुणगान तुम्हारा ही होगा ,
यह मौक़ा ग़र बीत गया ,नुक्सान तुम्हारा ही होगा।
मोदी भारत की भोर का नाम है ,इस भोर का पहला स्वर है। साँसों की सरगम ,धौंकनी का नाम है ,मोदी व्यक्ति नहीं एक इमोशन है। आवेग है भारत का ,भारत माँ के प्रति विश्वास का।पढ़िए कविता :
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