क्या है सइनटून और सइंटोनिक्स (Scientoon and Scientoonics )विज्ञानटून
और विज्ञानटूनिकी ?
एक आम आदमी की जुबान में कहें तो इसका अर्थ होगा -कार्टून बोलता है और विज्ञानटून और तेज़ी और फुर्ती के साथ न सिर्फ बोलता है ,मनोरंजन भी करता है विज्ञान -विनोद भी कह सकते हैं आप इसे। भौतिक विज्ञानों की बुनियादी बातों को रसमय एवं विनोदपूवर्ण बनाकर हमारे दिमाग में बिठा देता है 'विज्ञान -टून' . ललित कलाओं और विज्ञान का यह अद्भुत संगम है जिसमें अपने हुनर के हिसाब से विज्ञानकॉर्टून -कार कम्प्यूटर ग्रॅफिक्स के अलावा कम्प्यूटर एनिमेशन को भी आज़माता है।
आश्चर्य नहीं दुनियाभर के मदरसे शिक्षण की इस अभिनव विधा को अपना रहें हैं और श्रीवास्तव साहब को ग्लोग ट्रॉटर (ग्लोबी घुमन्तु )कहा जाने लगा है।
कार्टून विज्ञान प्रौद्योगिकी (कार्टूनिकी )से दुनिया का परिचय तब हुआ जब
इसके अन्वेषक और पितामह रहें हैं प्रदीप कुमार श्रीवास्तव(पूर्व उप - निदेशक एवं मुख्य वरिष्ठ विज्ञानी केंद्रीय औषध अनुसंधान संस्थान ,लखनऊ )राष्ट्रीय विश्वविद्यालय सिंगापुर के तत्वावधान में अपना एक विस्तार भाषण प्रस्तुत कर रहे थे। यह आपका पहला भाषण था और आपके ही शब्दों में एक नीरस विषय से ताल्लुक रखता था :"विकाशशील देशों में दवाओं का विकास एवं भेषज उद्योग,दशा और दिशा। "प्रबंधकों ने आपको बतलाया आपको अपनी प्रस्तुति के लिए दस मिनिट दिए जाते हैं।
यही वह इनकी ज़िंदगी का विधायक क्षण था जिसमें कार्टून इनके सशक्त मददगार बनकर आये। आपकी रचनात्मकता को जैसे उस वक्फे में पंख लग गए थे। सम्मोहित सभा आपको न सिर्फ ४५ मिनिट तक मंत्रमुग्ध होकर सुनती रह गई आपके भाषण को रजत पुरूस्कार से नवाज़ा गया। मौक़ा था सन १९८८।
सन्दर्भ -सामिग्री :http://scientoon.com/index.php/awards.html
(2 )https://bettersciencejournalism.wordpress.com/2010/06/03/the-scientoon-man-learn-science-through-cartoons/
और विज्ञानटूनिकी ?
एक आम आदमी की जुबान में कहें तो इसका अर्थ होगा -कार्टून बोलता है और विज्ञानटून और तेज़ी और फुर्ती के साथ न सिर्फ बोलता है ,मनोरंजन भी करता है विज्ञान -विनोद भी कह सकते हैं आप इसे। भौतिक विज्ञानों की बुनियादी बातों को रसमय एवं विनोदपूवर्ण बनाकर हमारे दिमाग में बिठा देता है 'विज्ञान -टून' . ललित कलाओं और विज्ञान का यह अद्भुत संगम है जिसमें अपने हुनर के हिसाब से विज्ञानकॉर्टून -कार कम्प्यूटर ग्रॅफिक्स के अलावा कम्प्यूटर एनिमेशन को भी आज़माता है।
आश्चर्य नहीं दुनियाभर के मदरसे शिक्षण की इस अभिनव विधा को अपना रहें हैं और श्रीवास्तव साहब को ग्लोग ट्रॉटर (ग्लोबी घुमन्तु )कहा जाने लगा है।
कार्टून विज्ञान प्रौद्योगिकी (कार्टूनिकी )से दुनिया का परिचय तब हुआ जब
इसके अन्वेषक और पितामह रहें हैं प्रदीप कुमार श्रीवास्तव(पूर्व उप - निदेशक एवं मुख्य वरिष्ठ विज्ञानी केंद्रीय औषध अनुसंधान संस्थान ,लखनऊ )राष्ट्रीय विश्वविद्यालय सिंगापुर के तत्वावधान में अपना एक विस्तार भाषण प्रस्तुत कर रहे थे। यह आपका पहला भाषण था और आपके ही शब्दों में एक नीरस विषय से ताल्लुक रखता था :"विकाशशील देशों में दवाओं का विकास एवं भेषज उद्योग,दशा और दिशा। "प्रबंधकों ने आपको बतलाया आपको अपनी प्रस्तुति के लिए दस मिनिट दिए जाते हैं।
यही वह इनकी ज़िंदगी का विधायक क्षण था जिसमें कार्टून इनके सशक्त मददगार बनकर आये। आपकी रचनात्मकता को जैसे उस वक्फे में पंख लग गए थे। सम्मोहित सभा आपको न सिर्फ ४५ मिनिट तक मंत्रमुग्ध होकर सुनती रह गई आपके भाषण को रजत पुरूस्कार से नवाज़ा गया। मौक़ा था सन १९८८।
सन्दर्भ -सामिग्री :http://scientoon.com/index.php/awards.html
(2 )https://bettersciencejournalism.wordpress.com/2010/06/03/the-scientoon-man-learn-science-through-cartoons/
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें