शत्रुघ्न सिन्हा का सिद्धु प्रेम
चाहतें आदमी की व्यक्तिगत होतीं हैं वह देश से बड़ी नहीं होतीं। आप किसी से भी लिविंग इन रिलेशन बनाये बहन के रूप में या प्रेमिका के रूप में यह आपका व्यक्तिगत मामला है। इसमें किसी को क्या एतराज हो सकता है। लेकिन किसी ऐसे व्यक्ति की बेटी को अपनी मुंहबोली बेटी बनाकर जो पड़ोसी पाकिस्तान में आतंकवाद का जनक और पोषक दोनों रहा है यही संकेत दे रहा है के आपकी चाहतें देश से बड़ी हैं।
आपकी और भारत की इज़्ज़त तब बढ़ती हमें भी फख्र होता यदि उसी तानाशाह की बेटी कहती इस रक्षाबंधन पे मैं भारत के सपूत शत्रुघ्न को मिस करतीं हूँ।
लेकिन आप इसे महज एक बड़े कलाकार होने के नाते एक प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत करतें हैं वह भी उस सिद्धु की हिमायत करके जो पाकिस्तानी जर्नल के आगे बढ़के वैसे ही गले पड़ जाता है जिसका प्रदर्शन राहुल भारतीय संसद में कर चुकें हैं।
आखिर शत्रुघ्न सिन्हा के सिद्धु प्रेम की वजह क्या है ?महज उस भारत भाव का विरोध जिसका प्रतिनिधित्व मोदी या बीजेपी करती है। दरसल सिन्हा साहब बिहार का मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा पाले बैठे थे जब वह पूरी न हुई तो आपने बीजेपी विरोध शुरू कर दिया। यह वैसे ही है जैसे माननीय महरूम प्रभाष जोशीजी ने जिन्होंने इंडियन एक्स्प्रेस ग्रुप को एक नै ऊंचाई तक पहुंचाया लेकिन बीजेपी द्वारा राज्य सभा के लिए मनोनीत न किये जाने पर आपने नित नेम की वाणी बना लिया आरएसएस विरोध को और कागद कारे करने शुरू कर दिए।
देश वैयक्तिक महत्वकांक्षाओं से बहुत बड़ा होता है बहुत बड़ा बहुत बड़ा ,बहुत बड़ा, सिन्हा साहब।
चाहतें आदमी की व्यक्तिगत होतीं हैं वह देश से बड़ी नहीं होतीं। आप किसी से भी लिविंग इन रिलेशन बनाये बहन के रूप में या प्रेमिका के रूप में यह आपका व्यक्तिगत मामला है। इसमें किसी को क्या एतराज हो सकता है। लेकिन किसी ऐसे व्यक्ति की बेटी को अपनी मुंहबोली बेटी बनाकर जो पड़ोसी पाकिस्तान में आतंकवाद का जनक और पोषक दोनों रहा है यही संकेत दे रहा है के आपकी चाहतें देश से बड़ी हैं।
आपकी और भारत की इज़्ज़त तब बढ़ती हमें भी फख्र होता यदि उसी तानाशाह की बेटी कहती इस रक्षाबंधन पे मैं भारत के सपूत शत्रुघ्न को मिस करतीं हूँ।
लेकिन आप इसे महज एक बड़े कलाकार होने के नाते एक प्रायोजित कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत करतें हैं वह भी उस सिद्धु की हिमायत करके जो पाकिस्तानी जर्नल के आगे बढ़के वैसे ही गले पड़ जाता है जिसका प्रदर्शन राहुल भारतीय संसद में कर चुकें हैं।
आखिर शत्रुघ्न सिन्हा के सिद्धु प्रेम की वजह क्या है ?महज उस भारत भाव का विरोध जिसका प्रतिनिधित्व मोदी या बीजेपी करती है। दरसल सिन्हा साहब बिहार का मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा पाले बैठे थे जब वह पूरी न हुई तो आपने बीजेपी विरोध शुरू कर दिया। यह वैसे ही है जैसे माननीय महरूम प्रभाष जोशीजी ने जिन्होंने इंडियन एक्स्प्रेस ग्रुप को एक नै ऊंचाई तक पहुंचाया लेकिन बीजेपी द्वारा राज्य सभा के लिए मनोनीत न किये जाने पर आपने नित नेम की वाणी बना लिया आरएसएस विरोध को और कागद कारे करने शुरू कर दिए।
देश वैयक्तिक महत्वकांक्षाओं से बहुत बड़ा होता है बहुत बड़ा बहुत बड़ा ,बहुत बड़ा, सिन्हा साहब।
2 टिप्पणियां:
आपके पेज में लगा विज्ञापन पाठक को बाधित करता है
सत्ता और सुर्ख़ियों में ना रहने से कइयों का हाज़मा खराब हो जाता है !
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यशोदा जी की बात पर गौर करें
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