जिनके पुरखे सरदार वल्ल्भभाई पटेल को इसलिए ना पसंद करते थे ,क्योंकि वह किसान थे ,वह आज किसानों की बात करते हैं।जानते तो वह (नेहरुपंथी कांग्रेसी अवशेष )हिन्दुस्तान के बारे में भी कुछ नहीं हैं। अलबत्ता अपनी कुर्सी छिन जाने के बाद वह पुन : सत्ता प्राप्त करने के लिए पाकिस्तान से भी हाथ मिलाने को भी तैयार हैं।
जेहादियों और चर्च का भी सहयोग ले रहे हैं। हिन्दुस्तान को विखंडित करने की हर जुगत हर चाल वह चल रहे हैं कभी शरीयत क़ानून और शरीयत अदालतों की बात करके कभी कश्मीर में प्रतिरक्षा बलों पर पत्थर फिंकवाने वाले सिरफिरों की हिमायत में आकर।
जिनके पिताजी गन्ने के कारखाने लगवाने चाहते थे और वह शहज़ादे खुद भी आलू के कारखाने लगवाने की बात करते रहें हैं वह अपने आप को जब किसानों का तरफ़दार बतलाते हैं तब हंसी आती है उन्हें लेकिन शर्म नहीं आती।
किसानों के लिए जो करते हैं वह ढोल नहीं पीटते आज देश का किसान खुश है तो उनकी वजह से खुश नहीं है जिन्होनें इन्हें बीज के लिए भी मोहताज़ कर दिया था।
जय जवान जय किसान का उद्घोष करने वाले लाल बहादुर शास्त्री थे। नेहरुवंशियों ने किसानों की क्या हालत कर दी थी सब जानते हैं। लेकिन वह आज भी खुद पे शर्मिंदा नहीं हैं।किसान और किसानी की बात करते उन्हें ज़रा भी शर्म नहीं आती।
जेहादियों और चर्च का भी सहयोग ले रहे हैं। हिन्दुस्तान को विखंडित करने की हर जुगत हर चाल वह चल रहे हैं कभी शरीयत क़ानून और शरीयत अदालतों की बात करके कभी कश्मीर में प्रतिरक्षा बलों पर पत्थर फिंकवाने वाले सिरफिरों की हिमायत में आकर।
जिनके पिताजी गन्ने के कारखाने लगवाने चाहते थे और वह शहज़ादे खुद भी आलू के कारखाने लगवाने की बात करते रहें हैं वह अपने आप को जब किसानों का तरफ़दार बतलाते हैं तब हंसी आती है उन्हें लेकिन शर्म नहीं आती।
किसानों के लिए जो करते हैं वह ढोल नहीं पीटते आज देश का किसान खुश है तो उनकी वजह से खुश नहीं है जिन्होनें इन्हें बीज के लिए भी मोहताज़ कर दिया था।
जय जवान जय किसान का उद्घोष करने वाले लाल बहादुर शास्त्री थे। नेहरुवंशियों ने किसानों की क्या हालत कर दी थी सब जानते हैं। लेकिन वह आज भी खुद पे शर्मिंदा नहीं हैं।किसान और किसानी की बात करते उन्हें ज़रा भी शर्म नहीं आती।
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