पेप्सी बोली सुन कोककोला ,
भारत का इंसान है भोला।
विदेश से मैं आईं हूँ ,
मौत साथ में लाईं हूँ।
लहर नहीं ज़हर हूँ मैं ,
गुर्दों पर गिरता कहर हूँ मैं।
पीएच मान मेरा दो पाइंट सात ,
गिरें जो मुझमें गल जाएँ दांत।
ज़िंक आर्सेनिक लेड हूँ मैं ,
काटे आँतों को वो ब्लेड हूँ मैं।
दूध मुझसे बहुत ,सस्ता है ,
पीये मुझे जो उसकी हालत खस्ता है।
५४० करोड़ कमाती हूँ ,
विदेश में ले जाती हूँ।
मैं पहुंची हूँ आज वहां पर ,
पीने को नहीं जल भी जहां पर।
महंगा पानी मैं सस्ती हूँ ,
रहती अपनी मस्ती मैं हूँ।
छोड़ नकल अब अक्ल से जियो ,
'
जो भी पियो भाई सम्भलके पियो।
नीम्बू नीर पियो मेरे भैया ,
छोड़ पेप्सी कोक मेरे भैया।
पार लगेगी तुमरी नैया।
सबका है यहां कृष्ण खिवैया।
भारत का इंसान है भोला।
विदेश से मैं आईं हूँ ,
मौत साथ में लाईं हूँ।
लहर नहीं ज़हर हूँ मैं ,
गुर्दों पर गिरता कहर हूँ मैं।
पीएच मान मेरा दो पाइंट सात ,
गिरें जो मुझमें गल जाएँ दांत।
ज़िंक आर्सेनिक लेड हूँ मैं ,
काटे आँतों को वो ब्लेड हूँ मैं।
दूध मुझसे बहुत ,सस्ता है ,
पीये मुझे जो उसकी हालत खस्ता है।
५४० करोड़ कमाती हूँ ,
विदेश में ले जाती हूँ।
मैं पहुंची हूँ आज वहां पर ,
पीने को नहीं जल भी जहां पर।
महंगा पानी मैं सस्ती हूँ ,
रहती अपनी मस्ती मैं हूँ।
छोड़ नकल अब अक्ल से जियो ,
'
जो भी पियो भाई सम्भलके पियो।
नीम्बू नीर पियो मेरे भैया ,
छोड़ पेप्सी कोक मेरे भैया।
पार लगेगी तुमरी नैया।
सबका है यहां कृष्ण खिवैया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें