लीक से हटकर
जीवन में दो ही रास्ते हैं एक वो जो मुझे अच्छा लगता है (प्रेयस )और दूसरा वह जो मेरे लिए अच्छा है। चयन मेरा अपना ही होता है। एक व्यक्ति सिर्फ सच बोलता है। सच बोलना अच्छी बात है ब-शर्ते वह किसी को नुक्सान न पहुंचाए। लेकिन सच को पचाना बड़ी बात होती है। कुछ लोगों में यह सिफत होती है वह सच को पचा लेते हैं।
गलती मान लेना अच्छी बात है लेकिन कई मर्तबा गलती इतनी बड़ी होती है कि उसे तस्दीक करने के लिए प्रयुक्त माफ़ी शब्द छोटा पड़ जाता है। अपना ध्वनित अर्थ खोने लगता है। किसी की आपमें श्रद्धा और विश्वास को स्वाहा कर देता है। शब्दों की सीमा हैं। अलबत्ता कई मर्तबा गलती एक विधायक मार्ग दिखला जाती है जिस पर चलकर किसी के खुद में विश्वास को पुन : रोपा जा सकता है।
साधारण संकल्प को सत्य संकल्प में बदलने की कूवत रखता है ये मार्ग। बस इसे छोड़ना नहीं है। गलती को तहेदिल से तस्दीक करके आगे बढ़ना है। यूज़र फ्रेंडली बना लो इस मार्ग को कंप्यूटर सा ,यही मार्ग 'हरे कृष्णा'महामन्त्त्र मन्त्र बन जाएगा जो स्पेम (कचरे )में संलिप्त मन का शोधन करता जायेगा।
जैश्रीकृष्णा !
3 टिप्पणियां:
वाह... आज तो आप रंग में आ गए....
इसी को आगे बढ़ाइए सर...
bahut sundar...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ आपको बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस पोस्ट को, १४ अगस्त, २०१५ की बुलेटिन - "आज़ादी और सहनशीलता" में स्थान दिया गया है। कृपया बुलेटिन पर पधार कर अपनी टिप्पणी प्रदान करें। सादर....आभार और धन्यवाद। जय हो - मंगलमय हो - हर हर महादेव।
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