संसद को पंगु किया ,चौवालीस संतुष्ट
लोकतंत्र की नाव को ,डुबो रहे ये दुष्ट।
डुबो रहे ये दुष्ट सेकुलर ,डूबें नाव के संग ।
धत कर्मों की वैतरणी में ,सभी हैं नंगमनंग ॥
शरण न देगी गंगाधार ,प्रेत हो सब भटकेंगे ,
डीएनए में राष्ट्रद्रोह ,इन याक़ूबों के ।
कौन करेगा श्राद्ध, और कौन भरेगा पिंड ,
संसद को पंगु किया ,चौवालीस बरबंड ॥
लोकतंत्र की नाव को ,डुबो रहे ये दुष्ट।
डुबो रहे ये दुष्ट सेकुलर ,डूबें नाव के संग ।
धत कर्मों की वैतरणी में ,सभी हैं नंगमनंग ॥
शरण न देगी गंगाधार ,प्रेत हो सब भटकेंगे ,
डीएनए में राष्ट्रद्रोह ,इन याक़ूबों के ।
कौन करेगा श्राद्ध, और कौन भरेगा पिंड ,
संसद को पंगु किया ,चौवालीस बरबंड ॥
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