लोमड़िया के दिलवाली मल्लिका
'चलने दो संसद'
संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ही जारी कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के हंगामे के बीच मंगलवार को कागज़ फाड़ कर उछाले गए और अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए कहा ४० लोग ४४० के अधिकार नहीं मार सकते हैं।
लोमड़िया के बंधक
परमआदरणीया सुमित्रा महाजन ,अध्यक्ष लोकसभा ने कांग्रेसी सांसदों की संसद में धींगामुश्ती को देखकर बहुत व्यथित मन से कहा है : चालीस सांसदों ने ४४० सांसदों को बंधक बना रहे हैं ।इस पर हमारा कहना यह है कि कांग्रेसी सांसद तो खुद ही बंधक हैं। संसद में हंगामा करने के सिवाय वे और कर ही क्या सकते हैं। ये आधे संसद के अंदर और आधे संसद के बाहर गलियारों में इस कदर उत्पात मचाये हैं कि अंदर बाहर के शोर में अंतर करना मुश्किल हो गया है। इस शोर में एक शोर पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह का भी है। हमारे देश में पूर्वप्रधान्मन्त्री की क्या यही भूमिका रह गई है। अब तो वे अपना परलोक सुधार सकते हैं।
एक और विडंबना देखिये जिस नगा समझौते की कांग्रेसी मुख्यमंत्री मुक्त कंठ से प्रशंशा कर चुके है अब वही एक लोमड़िया दिलवाली मल्लिका के भय से उसकी आलोचना कर रहें हैं। कैसी गुलामी है ये ?एक भी संसद डॉ करन सिंह को छोड़कर अपनी इयत्ता कायम न रख सका इस लोमड़िया के आतंक से। सबके सब बंधक बने हुए हैं इस लोमड़िया के आतंक के।
हम भगवान से इनकी मुक्ति की कामना करते हैं।
15 हजार लोगों ने साइन की पिटिशन, 'चलने दो संसद'
भारतीय संसद के इतिहास में शायद पहली बार ऐसा मामला सामने आया है जब जनता ने संसद चलने देने की अपील की है। देश के टॉप व्यापारियों समेत करीब 15 हजार लोग एक ऑनलाइन अभियान के जरिए सांसदों से गुहार लगा रहे हैं कि वे संसद चलने दें, मुद्दों पर बहस होने दें और देश के विकास के लिए जरूरी काम होने दें।
बीते शनिवार change.org पर लॉन्च की गई इस पिटिशन को बजाज समूह के राहुल बजाज, इंफोसिस के संस्थापक क्रिस गोपालकृष्णन, हीरो मोटोकॉर्प के पवन मुंजाल, अदि गोदरेज और किरण मजूमदार-शॉ जैसे देश के इंडस्ट्री के दिग्गजों ने साइन किया है।
2002 के गुजरात दंगों के बाद से नरेंद्र मोदी की आलोचक मानी जाने वाली सांसद अनु आगा ने भी इस पिटिशन के जरिए संसद में गतिरोध खत्म करने की गुजारिश की है। इस लिस्ट में देश के नामी डॉक्टर नरेश त्रेहन और अशोक सेठ, आईआईटी मद्रास के अशोक झुनझुनवाला और आईआईएम अहमदाबाद के पीयूष कुमार सिन्हा के अलावा देश के कई नौकरशाह भी शामिल हैं।
पिटिशन में कहा गया है कि संसद में गतिरोध कोई नई बात नहीं है। यह हमेशा के लिए नहीं रहता, लेकिन संसद के ठप होने से देश का लोकतंत्र कमजोर होगा। संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की अहम भूमिका है और राजनीतिक सर्वसम्मति भारतीय लोकतंत्र की बड़ी खूबियों में से एक है।
गौरतलब है कि संसद के मॉनसून सत्र में मोदी सरकार को देश के विकास के लिए जरूरी कुछ अहम विधेयक पेश करने थे। हालांकि, विपक्ष के प्रदर्शन के चलते एक भी बिल पर बहस-चर्चा नहीं हो सकी है। जीएसटी बिल ऐसा ही एक विधेयक है, जिसे लेकर इंडस्ट्री के दिग्गजों की निगाह भी संसद पर टिकी हुई है।
1 टिप्पणी:
जनता का क्या है वो तो भूख पका लेगी
राजनीती नारों की हडियो में परस कर दे देगी
आप की बात बिलकुल सही है
एक टिप्पणी भेजें