बुधवार, 1 जुलाई 2015

जयराम रमेश राम और रमेश जैसा कुछ तो काम करें

 जयराम रमेश राम और रमेश जैसा कुछ तो काम करें आधे अधूरे दस्तावेज़ लेकर पिटी हुई कांग्रेस के पक्ष में खड़े हैं। बेशक सुषमा जी के पति को अपनी एक फर्म का डायरेकटर बनाने की पेशकश ललित  मोदी ने कभी की ज़रूर थी लेकिन स्वराज जी ने इस ऑफर को यह कहकर ठुकरा दिया था उनकी पत्नी विदेश मंत्री हैं इसलिए उनके लिए ऐसा करना  मुनासिब न होगा। इस बात के लिए स्वराज जी की प्रशंशा की जानी चाहिए थी लेकिन जयराम रमेश जैसे लोग इन दिनों वसुंधरा -सुषमा -स्वराज जी के पीछे हाथ धौ के नाहक ही पड़े हैं।

कांग्रेस पोषित चैनलिये इन्हीं जयराम रमेश को घंटे घंटे का समय दे रहे हैं। अब कौन से बिल में जा छिपे हैं ये चैनलिये ज़रा छराबड़ा के बारे में भी अपनी जबान खोलें। ये तमाम छिद्रान्वेषी चींटी की तरह मोदी के पीछे पड़े हुए हैं। 

यदि रमेश को जिन्हें इन दिनों लोग जरायम पेश  कहने लगे हैं न्याय की इतनी ही चिंता है तो वह कृपया यह बतलाएं कि जिस हिमाचल प्रदेश में १९८० के बाद से ही किसी गैर हिमाचली के लिए सपत्ति खरीदना वर्जित किया गया है ताकि वहां से खेती किसानी का रकबा कम न हो ,सीमांत प्रदेश को देखते हुए अनधिकृत लोग वहां न बस सकें ,किस नियम के तहत प्रियंका वाड्रा को दो मर्तबा छराबड़ा में जमीन दी गई।

गौर तलब है  हिमाचल के  सूचना आयोग ने सूचना अधिकार के तहत ज़ारी एक  जनहित याचिका के तहत एसडीएम छराबड़ा से इस बाबत पूछा है। बहरसूरत मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश ने इस बाबत उन्हें कोई जानकारी होने से इंकार किया है।

जयराम रमेश बतलाएं सोनिया को खुश करने के लिए किस क़ानून के तहत प्रियंका वाड्रा को ज़मीन का एक बड़ा रकबा तत्कालीन कांग्रेस शासन के तहत दे दिया गया। 

2 टिप्‍पणियां:

कविता रावत ने कहा…

सटीक सामयिक राजनीतिक चिंतन प्रस्तुति ...

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

इनका दुस्‍साहस हद से बाहर हो गया है।