मंदमति मैमना और मेधावती बकरी
आज मैमना फिर गलती करके लौटा था। पहले तो इसने एक गढ़ा हुआ मुर्दा खोदा और फिर मुर्दे के हत्यारों के
बारे में कहा -हो सकता है इस हत्याकांड में कुछ लम्बे "हाथ "वाले भी शामिल रहे हों। लेकिन बाकी तमाम
"हाथ"
दंगा रोकने में मशगूल थे। इसलिए मुर्दे के रिश्ते नातों से मेरे मुआफी मांगने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है।
ये
कब्र तो मैं यूं ही खोद बैठा हूँ।
मेधावती ने समझाया बेटा मुआफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता है। आदमी का खुद का बोझ उतर जाता
है। एक मरतबा इसी मैमने ने एक कागज़ फाड़ डाला था। बाद में पता लगा कि वह संविधानिक
था। कागज़ फाड़ने के बाद मैमना प्रेस क्लब में बेहद वाह -वाही लूट आया था। बाद में माँ ने समझाया था -ये
तो संविधानिक कागज़ था। ऐसा नहीं करते। मेधा के
समझाने पर मैमना सबके बीच में जाके बोला -माँ कह रही थी बेटा ऐसे नहीं करते हैं . मैमने ने तब अपनी
गलती मान ली थी। देखें इस मरतबा क्या होता है ?
इधर मैमना कोई चुनाव भी लड़ रहा है. मुर्दे के रिश्ते नाते मैमने को चुनाव में धूल चटाने की बात कर रहें हैं।
कब्र खोद तो ली है अब भरनी नहीं आती। देखें कि ऊँट किस करवट बैठता है।
आज मैमना फिर गलती करके लौटा था। पहले तो इसने एक गढ़ा हुआ मुर्दा खोदा और फिर मुर्दे के हत्यारों के
बारे में कहा -हो सकता है इस हत्याकांड में कुछ लम्बे "हाथ "वाले भी शामिल रहे हों। लेकिन बाकी तमाम
"हाथ"
दंगा रोकने में मशगूल थे। इसलिए मुर्दे के रिश्ते नातों से मेरे मुआफी मांगने का सवाल ही कहाँ पैदा होता है।
ये
कब्र तो मैं यूं ही खोद बैठा हूँ।
मेधावती ने समझाया बेटा मुआफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता है। आदमी का खुद का बोझ उतर जाता
है। एक मरतबा इसी मैमने ने एक कागज़ फाड़ डाला था। बाद में पता लगा कि वह संविधानिक
था। कागज़ फाड़ने के बाद मैमना प्रेस क्लब में बेहद वाह -वाही लूट आया था। बाद में माँ ने समझाया था -ये
तो संविधानिक कागज़ था। ऐसा नहीं करते। मेधा के
समझाने पर मैमना सबके बीच में जाके बोला -माँ कह रही थी बेटा ऐसे नहीं करते हैं . मैमने ने तब अपनी
गलती मान ली थी। देखें इस मरतबा क्या होता है ?
इधर मैमना कोई चुनाव भी लड़ रहा है. मुर्दे के रिश्ते नाते मैमने को चुनाव में धूल चटाने की बात कर रहें हैं।
कब्र खोद तो ली है अब भरनी नहीं आती। देखें कि ऊँट किस करवट बैठता है।
2 टिप्पणियां:
तफ्सील से सुनायी जाय मेमने और मेधावती की कहानी!
कहीँ ऊँट भी उसी गढ्ढे में गिर न जाय!
एक टिप्पणी भेजें