तिरिया तेल अमीर हठ चढ़े न दूजी बाट -
सम्पादकीय ,ममता का राजधर्म (२९ मई )संघीय व्यवस्था के धुर्रे उड़ाता है। ममता जी भूल रहीं हैं प्राय : स्थिति में उलट -फेर हुआ करता है। कुर्सी और पद आदमी के साथ नहीं जाते।
पश्चिम बंगाल (ममताबाड़ी )में यास तूफ़ान से हुए नुक्सान का ज़ायज़ा लेने के लिए प्रधानमन्त्री द्वारा आहूत बैठक से ममता बनर्जी का मय राज्य के मुख्य -सचिव नदारद रहना और बाद बैठक मांगों -कागज़ों का पुलिंदा प्रधानमन्त्री की ओर फेंक कर चले जाना कथित भद्र लोक की पोल खोलता है।
जहां भद्राणि ही ढीठ है वहां परमेष्ठी ममता को कुलीन कैसे कहा जाए। ये आदेश्वरी हैं न अमायरा ,बेहद हठी चमन चूतिया मूर्ख और बेहद की जिद्दी औरत भर हैं जिन्हें न अपने संविधानिक पद की चिंता है न इस पदानुरूप उनका आचरण हैं। हरी जै सिंह जैसे पत्रकारों को ये लिखने से बाज आना चाहिए -मोदी को विपक्षी मुख्यमंत्रियों की भी सुननी चाहिए (पंजाब केसरी २८ मई ).
एक औरत जब पढ़ जाती है पूरा परिवार संवर जाता है और एक मुख्यमंत्री जब मरखनी हो जाती है पूरे राज्य का सत्या नाश हो जाता है।
वीरुभाई
#८७० /३१ ,भूतल ,निकट फरीदाबाद मॉडल स्कूल ,फरीदाबाद
१२१ ००३
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