अति सर्वत्र वर्ज्यते -बहुत अधिक होने पर अच्छी चीज़ भी बुरी हो जाती है ,बुरी चीज़ का आधिक्य उसे बद से बदतर बना देता है।
अति का भला न बोलना ,अति की भली न चुप
अति का भला न बरसना ,अति की भली न धूप।
हमारा शरीर सुचारु रूप काम करता रहे ,सक्षम बना रहे इसके लिए दोनों ही प्रकार का कोलेस्टीरॉल समुचित मात्रा ,स्तर पर बना रहे यह ज़रूरी है।
यह एक मोमिया वसा सरीखा ,चिकनाई जैसा पदार्थ है जो हमारे शरीर की तमाम कोशिकाओं में मौजूद रहता है। हार्मोनों और विटामिन -D यही शरीर के द्वारा तैयार करवाता है। पाचन का यह मददगार दोस्त है। हमारा यकृत ,लिवर इसका संशाधन संश्लेषण करता है। इसे तैयार करता है। लिवर में ही बनता है यह।
अलबत्ता मांस -मच्छी ,अण्डों के लिए पाली गईं बतख आदि पोल्ट्रि के सेवन से भी यह मिलता है।
छोटे- छोटे लघु समूहों में यह हमारे संचरण तंत्र ,रक्त प्रवाह में शामिल रहता है। इन समूहों को ही लिपिड्स कहा जाता है। लिपोप्रोटीन कहा जाता है। यह एक ऐसा जैविक पदार्थ है जो जल में नहीं घुलता है -जल में घुलनशील नहीं है अलबत्ता घुलित चर्बी रूप में यह हमारे रक्त में तैरता रहता है।
दो प्रकार की लिपोप्रोटीनें इसका वाहन बनती हैं -निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन (Low Density Lipoprotein -LDL )तथा उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन(HDL )।
इन्हें ही खराब लिपोप्रोटीन ,दिल के लिए बुरी तथा अच्छी का दर्ज़ा मिला है।
अ-स्वास्थ्यकर फैट्स का अधिक सेवन बेड कोलेस्टेरोल के रूप में धमनियों की अंदरूनी दीवारों पर धमनियों के अस्तर पर अड्डा बनाने लगता है। यही प्लाक खून का थक्का बनाने में एक एड़ का ,टेके का ,सहारे का काम करता है। ऐसे में ऑक्सीजन युक्त रक्त की दिल को आपूर्ति का अभाव होने लगता है।
यही दिल की बीमारी हार्ट और ब्रेन अटेक(Stroke ) के खतरे के वजन को बढ़ा देता है।
कोलेस्टेरोल के लिए निर्धारित मानक इस प्रकार हैं (स्रोत :विश्व स्वास्थ्य संगठन ):
ब्लड लिपिड वांच्छित स्तर उच्च जोखिम स्तर
(१ )कुल कोलेस्टेरोल 200 से कम 240 या इससे ज्यादा
(मिलिग्रेम /डेसीलिटर )
(2 )HDL cholesterol 60 और इससे ज्यादा मर्दों के लिए 40 से
कम रहना ,औरतों के लिए 50
(3 )LDL cholesterol 100 से कम
विशेष :परिहृद्य धमनी रोग जिन्हें है उनके लिए LDL cholesterol का स्तर 70 से ज्यादा नहीं रहना चाहिए।
For CAD LDL should be less than 70 milligramme /dl
यदि आपका खान पान दुरुस्त नहीं है किसी भी वजह से आप हेल्दी डाइट नहीं ले पा रहे हैं ,तब खून की नियमित जांच होते रहना चाहिए। लिपिड प्रोफाइल कराते रहिये।
बढ़ा हुआ कोलेस्टेरोल ,खून में घुली हुई चर्बी की अवांछित मात्रा लक्षणों के रूप में ज़ाहिर होने लगती है।
रोग नियंत्रण और बचावी केंद्रों के अनुसार -
३३. ५ फीसद यानी सात करोड़ दस लाख अमरीकियों में LDL cholesterol बहुत ज्यादा स्तर पर रहता है।
इनमें से आधों को ही इलाज़ मिलता है
इनमें से भी तीन में से केवल एक का ही इस पर नियंत्रण रहता है
नियमित व्यायाम ,स्वास्थ्यकर खुराक और धूम्रपान से बचे रहना LDL cholesterol के स्तर को कम रख सकते हैं।
HDL का स्तर बढ़ाने के लिए
फलियों (Beans and legumes ),मोटे अनाज ,whole grains ,brown rice ,oats ,oat bran (जई और जै का छिलका /भूसी ),रेशेदार फल यथा आम raspberries ,रसभरी ,केले ,वसीय मच्छी ,हाई फैट फिश यथा सामन ,टूना ,मैकेरल ,फ्लेक्स सीड्स (अलसी के बीज ),अखरोट ,पिश्ता ,पीकन्स (अमरीकी अखरोट ),चीनी सीड्स ,china seeds ,जैतून का खाद्य तेल (olive oil ),नियासिन बहुल -चिकिन ब्रेस्ट ,टमाटर ,लेटिष .lettuce ,एवोकेडो का सेवन करिये।
संदर्भ -सामिग्री :Healthy living made simple /May/June 2017 Sams CLUB P8
अति का भला न बोलना ,अति की भली न चुप
अति का भला न बरसना ,अति की भली न धूप।
हमारा शरीर सुचारु रूप काम करता रहे ,सक्षम बना रहे इसके लिए दोनों ही प्रकार का कोलेस्टीरॉल समुचित मात्रा ,स्तर पर बना रहे यह ज़रूरी है।
यह एक मोमिया वसा सरीखा ,चिकनाई जैसा पदार्थ है जो हमारे शरीर की तमाम कोशिकाओं में मौजूद रहता है। हार्मोनों और विटामिन -D यही शरीर के द्वारा तैयार करवाता है। पाचन का यह मददगार दोस्त है। हमारा यकृत ,लिवर इसका संशाधन संश्लेषण करता है। इसे तैयार करता है। लिवर में ही बनता है यह।
अलबत्ता मांस -मच्छी ,अण्डों के लिए पाली गईं बतख आदि पोल्ट्रि के सेवन से भी यह मिलता है।
छोटे- छोटे लघु समूहों में यह हमारे संचरण तंत्र ,रक्त प्रवाह में शामिल रहता है। इन समूहों को ही लिपिड्स कहा जाता है। लिपोप्रोटीन कहा जाता है। यह एक ऐसा जैविक पदार्थ है जो जल में नहीं घुलता है -जल में घुलनशील नहीं है अलबत्ता घुलित चर्बी रूप में यह हमारे रक्त में तैरता रहता है।
दो प्रकार की लिपोप्रोटीनें इसका वाहन बनती हैं -निम्न घनत्व लिपोप्रोटीन (Low Density Lipoprotein -LDL )तथा उच्च घनत्व लिपोप्रोटीन(HDL )।
इन्हें ही खराब लिपोप्रोटीन ,दिल के लिए बुरी तथा अच्छी का दर्ज़ा मिला है।
अ-स्वास्थ्यकर फैट्स का अधिक सेवन बेड कोलेस्टेरोल के रूप में धमनियों की अंदरूनी दीवारों पर धमनियों के अस्तर पर अड्डा बनाने लगता है। यही प्लाक खून का थक्का बनाने में एक एड़ का ,टेके का ,सहारे का काम करता है। ऐसे में ऑक्सीजन युक्त रक्त की दिल को आपूर्ति का अभाव होने लगता है।
यही दिल की बीमारी हार्ट और ब्रेन अटेक(Stroke ) के खतरे के वजन को बढ़ा देता है।
कोलेस्टेरोल के लिए निर्धारित मानक इस प्रकार हैं (स्रोत :विश्व स्वास्थ्य संगठन ):
ब्लड लिपिड वांच्छित स्तर उच्च जोखिम स्तर
(१ )कुल कोलेस्टेरोल 200 से कम 240 या इससे ज्यादा
(मिलिग्रेम /डेसीलिटर )
(2 )HDL cholesterol 60 और इससे ज्यादा मर्दों के लिए 40 से
कम रहना ,औरतों के लिए 50
(3 )LDL cholesterol 100 से कम
विशेष :परिहृद्य धमनी रोग जिन्हें है उनके लिए LDL cholesterol का स्तर 70 से ज्यादा नहीं रहना चाहिए।
For CAD LDL should be less than 70 milligramme /dl
यदि आपका खान पान दुरुस्त नहीं है किसी भी वजह से आप हेल्दी डाइट नहीं ले पा रहे हैं ,तब खून की नियमित जांच होते रहना चाहिए। लिपिड प्रोफाइल कराते रहिये।
बढ़ा हुआ कोलेस्टेरोल ,खून में घुली हुई चर्बी की अवांछित मात्रा लक्षणों के रूप में ज़ाहिर होने लगती है।
रोग नियंत्रण और बचावी केंद्रों के अनुसार -
३३. ५ फीसद यानी सात करोड़ दस लाख अमरीकियों में LDL cholesterol बहुत ज्यादा स्तर पर रहता है।
इनमें से आधों को ही इलाज़ मिलता है
इनमें से भी तीन में से केवल एक का ही इस पर नियंत्रण रहता है
नियमित व्यायाम ,स्वास्थ्यकर खुराक और धूम्रपान से बचे रहना LDL cholesterol के स्तर को कम रख सकते हैं।
HDL का स्तर बढ़ाने के लिए
फलियों (Beans and legumes ),मोटे अनाज ,whole grains ,brown rice ,oats ,oat bran (जई और जै का छिलका /भूसी ),रेशेदार फल यथा आम raspberries ,रसभरी ,केले ,वसीय मच्छी ,हाई फैट फिश यथा सामन ,टूना ,मैकेरल ,फ्लेक्स सीड्स (अलसी के बीज ),अखरोट ,पिश्ता ,पीकन्स (अमरीकी अखरोट ),चीनी सीड्स ,china seeds ,जैतून का खाद्य तेल (olive oil ),नियासिन बहुल -चिकिन ब्रेस्ट ,टमाटर ,लेटिष .lettuce ,एवोकेडो का सेवन करिये।
संदर्भ -सामिग्री :Healthy living made simple /May/June 2017 Sams CLUB P8
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