हां, विकास की डील हुई है: दलजीत सिंह
आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाई भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं. इससे हमें और मज़बूती मिलेगी."
नरेंद्र मोदी, भाजपा नेता
इस संबंध में दलजीत सिंह कोहली ने कहा, 'मैंने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि कांग्रेस नेतृत्व ने मेरे भाई को फ्री हैंड नहीं दिया। इससे उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है।' भाजपा से किसी किस्म की डील के सवाल पर उन्होंने कहा, 'हां, डील हुई है विकास की।' ध्यान रहे कि दलजीत सिंह कोहली प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के सौतेले भाई हैं।
देश विभाजन के बाद प्रधानमंत्री का परिवार अमृतसर में आ गया था। उनके पिता का नाम गुरमुख सिंह था। रोजी रोटी के लिए गुरमुख सिंह ने मजीठ मंडी के साथ सटे बाजार गुजरांवाला में ड्राई फ्रूट की दुकान की थी। दलजीत सिंह कोहली गुरमुख सिंह की दूसरी पत्नी कृष्ण कौर की संतान हैं।
भाई के भाजपा में जाने पर बोले मनमोहन, "मेरा वश नहीं चलता" -
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहाकि अपने भाई दलजीत सिंह के भाजपा में जाने से दुखी है, हालांकि भाई-बहनों पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं है।
पत्रकारों द्वारा इस बारे में पूछे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहाकि,"मुझे काफी दुख पहुंचा है। लेकिन मेरा उन पर कोई नियंत्रण नहीं है। वे सब समझदार हैं।" गौरतलब है कि मनमोहन सिंह के सौतेले भाई दलजीत सिंह शुक्रवार को अमृतसर में नरेन्द्र मोदी की रैली के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे।
हालांकि इस घटनाक्रम के बावजूद मनमोहन सिंह को भरोसा है कि कांग्रेस नीत यूपीए सत्ता में वापसी करेगी। उन्होंने कहाकि,"यूपीए-3 बनना कोई असंभव बात नहीं है। मनमोहन सिंह राष्ट्रपति भवन में पद्म अवार्ड वितरण समारोह से पहले पत्रकारों से बात कर रहे थे।
4/26/2014 3:00:00 PM
विभीषण के बहाने रावण पे निशाना
विभीषण के बहाने रावण पे निशाना
कुछ कांग्रेससोच से प्रेरित लोग भारतीयजनता पार्टी में शामिल माननीय
दलजीत सिंह को जो मनमोहन सिंह जी के हाल्फ ब्रदर हैं विभीषण कह
रहे
हैं। कहीं यह मनमोहन सिंह को रावण घोषित करने करवाने की सोनियावी
चाल तो नहीं है ?
कुछ कांग्रेससोच से प्रेरित लोग भारतीयजनता पार्टी में शामिल माननीय
दलजीत सिंह को जो मनमोहन सिंह जी के हाल्फ ब्रदर हैं विभीषण कह
रहे
हैं। कहीं यह मनमोहन सिंह को रावण घोषित करने करवाने की सोनियावी
चाल तो नहीं है ?
सन्दर्भ- सामिग्री :कतरनें अखबारों की /इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पे गपोड़
शंखी
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