शुक्रवार, 11 अप्रैल 2014

तथ्यों को पलटके बोलना कांग्रेसी शहजादे का कोई अपना मौलिक आविष्कार नहीं है

तथ्यों को पलटके बोलना कांग्रेसी शहजादे का कोई अपना मौलिक आविष्कार नहीं है। ये तो कांग्रेस की


परम्परा है। दुर्भाग्य से देश के विदेश मंत्री रहे एक कांग्रेसी नेता एसएमकृष्णा ने युएनओ में भारत का

प्रतिवेदन पढ़ने के बजाय किसी और देश का प्रतिवेदन पढ़ना शुरू कर दिया था। ये तो भला हो स्थाई

प्रतिनिधि

श्री हरदीपपुरी का जिन्होनें विदेश मंत्री का ध्यान इस ओर  खींचा कि भारत की बजाय आप प्रतिवेदन किसी

और देश का पढ़ रहे हैं। कांग्रेसियों की बस इतनी ही योग्यता है कि अगर आप इनके हाथ से लिखा हुआ भाषण

खींच लें अथवा वह पहले गिर जाए तो  ये कागज़ के गिरने से पहले धड़ाम से मंच पर गिर पड़ेंगें। इतनी दाद

तो

राहुल गांधी को देनी पड़ेगी कि उन्हें अपने पिता और दादी का नाम याद है। अब  देश के बारे में जानकर क्या

करना है। 

सन्दर्भ हमारी पूर्व पोस्ट जो नीचे दी गई है :

राहुल ने कर दी गलती

इससे पहले राहुल गांधी अपने भाषण के दौरान चूक भी कर गए। राहुल ने कहाकि हम लोकसभा व विधानसभा में 33 

प्रतिशत 

आरक्षण का बिल ला रहे थे, लेकिन भाजपा ने उसे रोक दिया। कर्नाटक के मंगलोर में भाजपा कायकर्ता महिलाओं को पीटते 

हैं। छत्तीसगढ़ में उनके विधायक विधानसभा में मोबाइल पर अश्लील फिल्म देखते हैं। गौरतलब है कि विधानसभा में 

अश्लील फिल्म छत्तीसगढ़ के नहीं बल्कि कर्नाटक के विधायक देख रहे थे। - See more at: 


http://www.patrika.com/news/rahul-errs-while-adressing-rally-says-mlas-in-chhattisgarh-watched-blue-film/999749#sthash.ipigP4My.dpuf

और ऐसा ज़नाब पहली बार नहीं हुआ है एक मर्तबा ये ज़नाब छत्तीस गढ़ में तक़रीर कर रहे थे ये उन दिनों की बात है जब ये 

अपनी दादी और अपने पिताजी का  हवाला बात बात में  दिया करते थे। मंच पे इनके  साथ कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता माननीय 

मोतीलाल जी 

वोहरा भी  बैठे थे। 

ई बबुआ (अब कांग्रेसी शहज़ादे )बोले -हम उत्तराखंड में पहले भी आये थे। यहां के लोग बहुत भले हैं "हमारे पिताजी भी यहां 

आये थे "ये ज़नाब ने थोड़ी ही देर बाद फिर बोल दीये  कुछ इस अंदाज़ में: उत्तराखंड हमारे पिताजी भी आये थे ,मोतीलाल 

जी 

पास आकर बोले ई बबुआ छत्तीस गढ़ है उत्तराखंड नाहिं। 

अनस्टेबिल हैं  शहज़ादे का व्यक्तित्व बोलते बोलते विचार श्रृंखला टूट जाती है। ऐसा हम न तो कहते हैं न मानते हैं अलबत्ता 

मनोविज्ञानियों ने इसी आशय की राय ज़ाहिर की थी। 

इन दिनों शहज़ादे स्टीरियो टाइपी करते हैं :दोनों हाथों की उँगलियों के पोरों से बोलते हैं पौरों को परस्पर मिलाते रहते हैं 

टहलते 

टहलते बोलते हैं आप एक जगह खड़े होकर नहीं बोल सकते जैसे किसी चैनल के एंकर बोलते हैं। 

नोट कीजिये। पिछले रोड शोज़ में खासकर उत्तर प्रदेश दौरों में आप बोलते बोलते आस्तीनें चढ़ा लेते थे। स्टीरिओटाइपिंग के 

आपके अंदाज़ तब दीलहोते रहते हैं। बोलते बोलते आप अक्सर बहक जाते हैं या फिर बारहा एक ही बार  दोहराते चलते हैं -

जैसे 

टी वी भेंटवार्ता  में आप सिस्टम को बदलने की बात के अलावा और कुछ भी न कह सके। इन दिनों आप केजरीवाल की जूठन 

समेट  रहे हैं। आप कहते हैं आडवाणी बीजेपी से बाहर गए अडानी अंदर आ गए पूर्व में ऐसा ज्यादा असरदर और व्यंग्यपूर्ण 

लहज़े में केजरीवाल कह चुके हैं। "आप " केजरीवाल की ही तरह मैं से हम पर आगये हैं "आप "


पर आने की देर हैं कल ज़रूर कहेंगे -ये चुनाव आपका है. हम नहीं आप लड़ रहे हैं चुनाव। हम आपके साथ हैं । 

हम आपको जिताएंगे। 



Stereotypic movement disorder is a condition in which a person makes repetitive, purposeless movements (such as hand waving, body rocking, or head banging) for at least four weeks. The movements interfere with normal activity or have the potential to cause bodily harm.

Causes

Stereotypic movement disorder is more common among boys than girls. The repetitive movements appear to increase with stress, frustration, and boredom.
The cause of this disorder, when it occurs in the absence of other conditions, is unknown.
Stimulants such as cocaine and amphetamines can prompt a severe, but short period of stereotypic movement behavior. The behavior may include repetitive and purposeless picking, hand wringing, head tics, or lip-biting. Long-term abuse of stimulants may lead to longer periods of stereotypic movement behavior.
Head injuries may also cause stereotypic movements.
The Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders, Fifth Edition (DSM-5), designates repetitive habit behaviors that cause impairment as stereotypic movement disorder.[1] Complex motor stereotypies and head nodding fulfill DSM-5criteria for stereotypic movement disorder.

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