बुधवार, 26 जून 2013

कहीं ऐसा तो नहीं इनका सेकुलर खुदा इनसे खफा है ?

कहीं ऐसा तो नहीं इनका सेकुलर खुदा इनसे खफा है ?

आखिर ऐसा क्या होता है जब भी देश के सामने आपद काल आता है कोई 

बड़ी दुर्घटना घटती है तो सम्बंधित नेता देश से बाहर होते हैं .छतीसगढ़ नक्सल हमले के समय भारत सरकार के गृह मंत्री विदेश में थे .नक्सल घटना के बाद ज़नाब ने छुट्टी बढ़ा ली थी यह कहके मैं तो आँख दिखाने आया था .डॉ .से अपोइन्टमेंट नहीं मिली देर से मिली थी .पूछा जा सकता है भाई यहाँ किसे आँखें दिखाने आये थे .वहां भारत में क्या कम हैं जिन्हें आप गाहे बगाहे आँखें दिखाते रहतें हैं .

घर में माँ मरी पड़ी हो तो आदमी सारे दुःख दर्द भूल कर घर भागता है .लेकिन यहाँ कांग्रेसी राजकुमार अपना जन्म दिन उत्सव संपन्न करके ही घर लौटते हैं .राहत सामिग्री उनका इंतज़ार करती है १ ० अकबर रोड पर .

जब भी देश पर आपदा आती है संयोग या पूर्व नियोजित तरीके से ये लोग बाहर होते हैं .बड़े लोग हैं हो सकता है आने वाली आपदाओं को पहले से भांप लेते हों .बड़ी हस्तियाँ हैं यह देश की इन्हें सब कुछ पहले से पता रहता होगा .

और ये भी पूछा जाना चाहिए इनके जन्म दिन के आसपास ही देश में ऐसी दुर्घटनाएं क्यों होती हैं .गत्यात्मक ज्योतिष प्रकाश डाले तो डाले .

आखिर ऐसा इस कांग्रेसी प्रबंध के साथ ही क्यों होता है .छतीसगढ़ में नक्सली हमला होता है और उसमें से भी कुछ नाम चीन चुनिन्दा कांग्रेसी बच  के आ जाते हैं .क्या कांग्रेसी एक दूसरे के साथ भितर - घात करते हैं ?कहीं ऐसा तो नहीं ये सारी  इबारत खुद लिखते हों .खैर हम तो तटस्थ होकर ही यह सब लिख रहें हैं हो सकता है यह पार्टी का अंदरूनी मामला हो .हमें क्या लेना देना है .

हमें तो इस १ २ ५ साला कांग्रेस से हमदर्दी ही है .जिसने गांधी युग के आन्दोलन का सारा श्रेय लूट लिया था .क्रांतिकारियों का तो ले नहीं सकते थे .ये तो सारे गांधी की आड़ लेके  खड़े हो गए थे .सहयोगी बने थे गांधी के .ऐसा नहीं है ,आज़ादी का आन्दोलन इन्होनें शुरू किया था .

ये हर मौके का श्रेय लूटते हैं .

उत्तराखंड में ये इतना भी न कर सके आपदा में फंसे लोगों को और कुछ न सही लूटपाट से ही बचा लेते .लूटेरे उनके गहने ही नहीं वस्त्र भी उतार रहें हैं .इज्ज़त भी लूट रहें हैं .

ॐ शान्ति .

6 टिप्‍पणियां:

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

हाय खड्ड में जाने के लिए यह देश कितनी बार कांग्रेसी उंगली पकड़ेगा..........खड्ड से बाहर आने पर क्‍या कभी यहां विचार होगा!

Arvind Mishra ने कहा…

ताबूत की अंतिम कील ठुक गयी है

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही दुखद है.

रामराम.

Unknown ने कहा…

behad dukhad

अज़ीज़ जौनपुरी ने कहा…

सटीक और सार्थक

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

रोचक शैली मे सच बयान कर रही है पोस्ट .... वाकई ईश्वर नाराज़ है