शुक्रवार, 21 जून 2013

हाई रिस्क समूह में कौन आता है जिसे काला मोतिया(ग्लूकोमा ) हो सकता है

हाई रिस्क समूह में कौन आता है जिसे काला मोतिया(ग्लूकोमा ) हो सकता है



हाई रिस्क समूह में कौन आता है जिसे काला मोतिया(ग्लूकोमा ) हो सकता है 

(१)जिसके परिवार में काला मोतिया किसी सदस्य को हो या पूर्व में रहा हो 

(२)मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को 

(३)हाई माइनस व प्लस नम्बर का चश्मा पहनने वाले को 

(४)हाइपरटेंशन से पीड़ित व्यक्ति को 

(५)आँखों की सर्जरी करा चुके व्यक्ति को 

(६ )थायराइड ग्रन्थि रोग से पीड़ित व्यक्ति को 

(७ )जिस व्यक्ति को काफी लम्बे समय से मोतियाबिंद (सफ़ेद मोतिया ,कैटरेक्ट )हो 

(८ )जिसको कभी आँख में चोट लगी हो 

(९ )लम्बे समय तक स्टेरोइड युक्त आई ड्राप प्रयोग करने वाले व्यक्ति को 

क्या काला मोतिया ठीक हो सकता है ?

काला मोतिया से आँखों को पहुंचे नुकसान की भरपाई संभव नहीं है .लेकिन इलाज़ के ज़रिये आप्टिक नर्व को होने वाले नुकसान की गति को कम व रोका जा सकता है .इस पर काबू पाने के लिए अच्छे नेत्र विशेषज्ञ की देखरेख में बेहद नियमित व सधे हुए इलाज़ की ज़रुरत होती है .यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है .


काला मोतिया के इलाज़ के लिए क्या विकल्प उपलब्ध हैं ?

इलाज़ का प्राथमिक उद्देश्य होता है कि आँखों के दवाब को कम किया जाए .यह ग्लूकोमा के प्रकार पर निर्भर करता है कि आँखों का दवाब कम करने के लिए दवा का प्रयोग किया जाए या सर्जरी का सहारा लिया जाए .साधारनतय: एक विशेष प्रकार की आई ड्राप दी जाती है जो आँखों के प्रेशर को कम करती   है .काला मोतिया के प्रकार व उसकी अवस्था पर निर्भर करता है कि इन आई ड्राप्स का प्रयोग दिन में एक बार या कई बार किया जाए .काला मोतिया की दवाएं मुंह से खाने व इंजेक्शन के माध्यम से भी दी जातीं हैं .

क्लोज्ड एंगिल काला मोतिया के इलाज़ के लिए आपात स्थिति में लेज़र (इरिडोटॉमी )का प्रयोग किया जाता है .लेजर के माध्यम से आँखों के अंदर बनने वाले जलीय द्रव की निकासी के लिए आँख के आइरिस में एक छिद्र बना दिया जाता है जिससे आँखों का दवाब कम हो जाता है .यह लेजर सर्जरी के माध्यम से किया जाता है ,इसमें किसी प्रकार का कोई चीरा नहीं लगता है .सर्जरी सामान्यतया अगला कदम होता है .ट्रेबीकुलेक्टोमी नाम की सर्जरी के माध्यम से काला मोतिया को कंट्रोल में लाया जा सकता है .इस तकनीक में जलीय द्रव की निकासी के लिए नया रास्ता बना दिया जाता है .इससे आँखों का दवाब सामान्य स्तर पर आ जाता है .

काला मोतिया से बचाव :

अधिकाँश मामलों में काला मोतिया से बचाव का कोई तरीका नहीं है ,लेकिन होने पर यह जितनी जल्दी पकड़ में आ जाए उतना बेहतर है .समय पर इलाज़ शुरू कर इससे दृष्टि ह्रास पर काबू पाया जा सकता है और अंधेपन को रोका जा सकता है .हमेशा सलाह दी जाती है कि अत्यधिक धूम्रपान से बचें और आँखों की नियमित जांच कराएं ,ख़ासतौर पर वह लोग जो हाईरिस्क समूह से सम्बन्ध रखते हैं .

काला मोतिया के बारे में ध्यान रखे जाने वाले तथ्य :

(१)कई बार काले मोतिया के लक्षण पकड़ में नहीं आते हैं 

(२) काला मोतिया चुपचाप आँखों की रौशनी चुरा सकता है 

(३) समय पर काला मोतिया के पकड़ में आने से ही दृष्टि ह्रास व अंधेपन को रोका जा सकता है .


तुरंत संपर्क करें ,यदि इनमें से किसी एक भी लक्षण का अनुभव आपको हो 

(१) आँखों में भयंकर दर्द 

(२) अचानक दृष्टि ह्रास (बीनाई का गिरना )

(३)रौशनी के चारों ओर इंद्रधनुषीय घेरा या प्रभामंडल का दिखना 

(४) जी मिचलाना या उलटी आना 

(५ )रात्रि में खराब दृष्टि 

(६ )आँखों में लम्बे समय से लाली 



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6 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

अत्यंत उपयोगी जानकारी, आभार.

रामराम.

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

उपयोगी जानकारी..

Shalini kaushik ने कहा…

सार्थक व् उपयोगी जानकारी हेतु आभार . ये है मर्द की हकीकत आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

Shalini kaushik ने कहा…

.सार्थक व् उपयोगी जानकारी हेतु आभार . . ये है मर्द की हकीकत आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सार्थक जानकारी मिली ....आभार

Satish Saxena ने कहा…

इसकी आवश्यकता थी मुझे ..आभार वीरू भाई !!