ॐ शान्ति !
ॐ शान्ति मेरा स्वधर्म है स्वमान है .निजरूप है .ॐ शांति का ध्वनित अर्थ है मैं आत्मा शांत स्वरूप हूँ .आनंद स्वरूप हूँ .प्रेम स्वरूप हूँ .शान्ति ,ख़ुशी मेरा निज धर्म है बुनियादी स्वरूप है आधार कार्ड है .ये शरीर मेरा कंप्यूटर रुपी हार्डवेयर है मैं आत्मा इसका सॉफ्ट वेयर हूँ प्रोग्रेमर हूँ .मुझ आत्मा की मनन शक्ति ही मेरा मन है जिसकी लगाम मेरी बुद्धि पकड़े हुए है .यह मन वही सोचे जो मैं (आत्मा )चाहूँ .मैं आत्मा मनसा ,वाचा कर्मणा एक समस्वरता बनाए रहूँ .मैं आत्मा वही सोचूँ जो चाहूँ, मन के पीछे न दौडूँ ,वही बोलूँ जो सोचूँ और वही करू जो कहूं .
ॐ शान्ति मेरा नेचुरल हाबिटाट (स्थाई और कुदरती )आवास है ,आत्मलोक ,ब्रह्मलोक ,परमधाम ,शान्ति धाम ,मुक्तिधाम का भी परिचय है .सितारों के पार ,परे से भी परे ,ज्ञात और इस प्रेक्षणीय सृष्टि (ब्रह्मांड )से भी परे मेरा मूल वतन है स्थाई आवास है आत्मलोक है ,ॐ शान्ति .
मेरे परमपिता सर्वआत्माओं के पिता निराकार परमात्मा ज्योतिर्लिङ्गम ,शिव का भी यही परिचय है जो आनंद का, प्रेम का ,शांति का ,ज्ञान का सिन्धु है .आकार में एक प्रकाश का बिंदु और गुणों में सिन्धु के समान है .उस परमात्मा शिव का ही मैं वंश (अंश नहीं )हूँ मैं .संतान हूँ .वही मेरा सच्चा सच्चा बेहद का बाप है .मैं आत्मा परमात्मा के समान ही ज्योति बिंदु स्वरूप हूँ .भृकुटी के बीच दिव्य चमकता हुआ सितारा हूँ .ॐ शान्ति .
ॐ शान्ति .
7 टिप्पणियां:
मैं आत्मा मनसा ,वाचा कर्मणा एक समस्वरता बनाए रहूँ .मैं आत्मा वही सोचूँ जो चाहूँ, मन के पीछे न दौडूँ ,वही बोलूँ जो सोचूँ और वही करू जो कहूं .
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आनंद आ गया....पोस्ट पढ़कर..
सुंदर ...बहुत सुंदर..
आभार वीरू भाई !
ढूढ़ता हूँ आत्मपरिचय,
पा सकूँगा लुप्त गति लय।
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुतिकरण,आभार।
मन आत्मा को तृप्त करती रचना, आभार.
रामराम.
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-06-2013) के चर्चा मंच -1285 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
अंतस को छू लेती प्रस्तुति.
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