डायबिटिक रेटिनोपैथी
मधुमेह(डायबिटीज़ ) क्या है ?
मधुमेह एक सामान्य बीमारी है ,जो शरीर में ग्लूकोज़ (शर्करा )के प्रयोग एवं संचय करने वाले अंगों को प्रभावित करती है .मधुमेह बचपन में भी हो सकता है ,लेकिन आम तौर पर यह बड़ी उम्र में होता है .इससे पीड़ित मरीज़ को ज्यादा प्यास लगती है ,जल्दी जल्दी पेशाब आता है और वजन कम होने के साथ दृष्टि (नजर ,बीनाई ,विजन )भी प्रभावित हो सकती है .
मधुमेह एवं आँखें
मधुमेह आँखों को कई प्रकार से नुक्सान पहुंचा सकता है .इससे दृष्टि में अस्थिरता ,कम आयु में मोतियाबिंद ,आप्टिक नर्व के प्रभावित होने से दृष्टि का कम होना ,आँखों से सम्बंधित नसों एवं मांसपेशियों में पक्षाघात के चलते भैंगापन या डिपलोपिया हो सकता है .
लेकिन मधुमेह के कारण आँखों में होने वाली बीमारियों में डायबिटिक रेटिनोपैथी सबसे प्रमुख है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है ?
डायबिटिक रेटिनोपैथी एक बीमारी है ,जो मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति की रेटिना (दृष्टि पटल ,आँख का पर्दा जहां तस्वीर बनती है )को प्रभावित करती है .यह रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीन नलिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण होता है ,अगर इसका समय पर इलाज़ न कराया जाए तो पीड़ित अंधे पन का शिकार हो सकता है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी दुनिया में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है ,जिसके मामले हर साल बढ़ते जा रहें हैं .
रेटिना क्या है ?
रेटिना आँखों के अंदरूनी भाग में स्थित एक नाजुक प्रकाश सम्बन्धी परत है ,जो किसी वस्तु से परावर्तित होकर आने वाले प्रकाश की मदद से वस्तु की छवि निर्माण के लिए जिम्मेवार होती है .रेटिना को होने वाला नुकसान रेटिनोपैथी का कारण बनता है .
मधुमेह रेटिना को कैसे प्रभावित करता है ?
मधुमेह के मामले में ,रक्त में शर्करा की बढ़ी हुई मात्रा रक्त नलिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकती है .फलस्वरूप नलिकाओं से रक्त स्राव हो सकता है ,जिससे रेटिना में सूजन पैदा हो जाती है .रक्त नलिकाओं में खराबी के कारण रेटिना को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी पोषक तत्व व ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है .
शुरूआती चरण में उपर्युक्त कारणों से दृष्टि के धुंधले पन के लक्षण दिखते हैं .जैसे जैसे बीमारी बढ़ती है ,रेटिना क्षेत्र में नै अ - वांछनीय रक्त नलिकाएं पनपने लगतीं हैं जो ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा पैदा करतीं हैं .
यह नै रक्त नलिकाएं मधुमेह के कारण कभी भी फट सकती हैं ,फलस्वरूप
रेटिना के आसपास होने वाले रक्त स्राव से आँखों में अंध बिंदु (ब्लाइंड स्पॉट )बन सकता है या अचानक दृष्टि ह्रास हो सकता है .नजर (बीनाई )कमजोर हो सकती है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी किसे हो सकता है ?
केवल मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को ही डायबिटिक रेटिनोपैथी हो सकता है .डायबिटीज़ होने की अवधि के बढ़ने के साथ ही डायबिटिक रेटिनोपैथी होने का ख़तरा बढ़ता जाता है .
यह देखा गया है कि करीब अस्सी फीसद लोग जो १ ५ से अधिक वर्षों से मधुमेह के शिकार हैं उनके रेटिना क्षेत्र की कुछ रक्त नलिकाएं क्षति ग्रस्त हो जाती हैं .लेकिन डायबिटिक रेटिनोपैथी होने के लिए जो सबसे प्रमुख कारण हैं उनमें गंभीर और अनियंत्रित मधुमेह ,रक्त में शर्करा के स्तर में उतरा चढ़ाव ,उच्च रक्त स्राव ,उच्च रक्त कोलेस्ट्राल ,मधुमेह के कारण किडनी की बीमारी और गर्भावस्था है .
किशोरावस्था में मधुमेह से पीड़ित को डायबिटिक रेटिनोपैथी कम उम्र में हो सकता है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी कैसे बढ़ता है ?
डायबिटिक रेटिनोपैथी के दो मुख्य चरण होते हैं .शुरूआती चरण को नान प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (एनपीडीआर )कहते हैं .इस चरण में रेटिना क्षेत्र की नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं .सामान्यत बीमारी का यह शुरूआती चरण होता है ,जिसमें लक्षणों का पता नहीं चलता है .कुछ मामलों में क्षतिग्रस्त रक्त नलिकाओं के फटने से रेटिना के मध्य भाग में रक्त फ़ैल जाता है .इस स्थिति को डायबिटिक मैक्युलोपैथी कहते हैं ,इससे दृष्टि प्रभावित होती है और धुंधला दिखने लगता है .
इसके उन्नत और विकसित चरण को प्रोलीफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (पीडीआर )कहते हैं .यह डायबिटिक रेटिनोपैथी की सबसे सबसे गंभीर चरण है .इस चरण में रेटिना क्षेत्र में नै कमज़ोर अवांछनीय रक्त नलिकाएं तेज़ी से पनपने लगती हैं जो रेटिना के ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा पैदा कर उसे क्षतिग्रस्त करती हैं।इस कारण रेटिनल डिटेचमेंट या ग्लूकोमा भी हो सकता है .करीब २ ० फीसद मधुमेह पीड़ितों में पीडीआर की वजह से गंभीर दृष्टि ह्रास हो सकता है जो अंधेपन का कारण बनाता है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण क्या हैं ?
डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण हो सकते हैं :
(१ )घटती दृष्टि
(२ ) दृष्टि का धुंधला पड़ना
(३ )फ्लोटर
शुरूआती चरण या कई बार गंभीर स्तर के डायबिटिक रेटिनोपैथी का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है .
(ज़ारी )
मधुमेह(डायबिटीज़ ) क्या है ?
मधुमेह एक सामान्य बीमारी है ,जो शरीर में ग्लूकोज़ (शर्करा )के प्रयोग एवं संचय करने वाले अंगों को प्रभावित करती है .मधुमेह बचपन में भी हो सकता है ,लेकिन आम तौर पर यह बड़ी उम्र में होता है .इससे पीड़ित मरीज़ को ज्यादा प्यास लगती है ,जल्दी जल्दी पेशाब आता है और वजन कम होने के साथ दृष्टि (नजर ,बीनाई ,विजन )भी प्रभावित हो सकती है .
मधुमेह एवं आँखें
मधुमेह आँखों को कई प्रकार से नुक्सान पहुंचा सकता है .इससे दृष्टि में अस्थिरता ,कम आयु में मोतियाबिंद ,आप्टिक नर्व के प्रभावित होने से दृष्टि का कम होना ,आँखों से सम्बंधित नसों एवं मांसपेशियों में पक्षाघात के चलते भैंगापन या डिपलोपिया हो सकता है .
लेकिन मधुमेह के कारण आँखों में होने वाली बीमारियों में डायबिटिक रेटिनोपैथी सबसे प्रमुख है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी क्या है ?
डायबिटिक रेटिनोपैथी एक बीमारी है ,जो मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति की रेटिना (दृष्टि पटल ,आँख का पर्दा जहां तस्वीर बनती है )को प्रभावित करती है .यह रेटिना को रक्त पहुंचाने वाली महीन नलिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण होता है ,अगर इसका समय पर इलाज़ न कराया जाए तो पीड़ित अंधे पन का शिकार हो सकता है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी दुनिया में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है ,जिसके मामले हर साल बढ़ते जा रहें हैं .
रेटिना क्या है ?
रेटिना आँखों के अंदरूनी भाग में स्थित एक नाजुक प्रकाश सम्बन्धी परत है ,जो किसी वस्तु से परावर्तित होकर आने वाले प्रकाश की मदद से वस्तु की छवि निर्माण के लिए जिम्मेवार होती है .रेटिना को होने वाला नुकसान रेटिनोपैथी का कारण बनता है .
मधुमेह रेटिना को कैसे प्रभावित करता है ?
मधुमेह के मामले में ,रक्त में शर्करा की बढ़ी हुई मात्रा रक्त नलिकाओं को क्षतिग्रस्त कर सकती है .फलस्वरूप नलिकाओं से रक्त स्राव हो सकता है ,जिससे रेटिना में सूजन पैदा हो जाती है .रक्त नलिकाओं में खराबी के कारण रेटिना को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी पोषक तत्व व ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हो जाती है .
शुरूआती चरण में उपर्युक्त कारणों से दृष्टि के धुंधले पन के लक्षण दिखते हैं .जैसे जैसे बीमारी बढ़ती है ,रेटिना क्षेत्र में नै अ - वांछनीय रक्त नलिकाएं पनपने लगतीं हैं जो ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा पैदा करतीं हैं .
यह नै रक्त नलिकाएं मधुमेह के कारण कभी भी फट सकती हैं ,फलस्वरूप
रेटिना के आसपास होने वाले रक्त स्राव से आँखों में अंध बिंदु (ब्लाइंड स्पॉट )बन सकता है या अचानक दृष्टि ह्रास हो सकता है .नजर (बीनाई )कमजोर हो सकती है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी किसे हो सकता है ?
केवल मधुमेह से पीड़ित व्यक्ति को ही डायबिटिक रेटिनोपैथी हो सकता है .डायबिटीज़ होने की अवधि के बढ़ने के साथ ही डायबिटिक रेटिनोपैथी होने का ख़तरा बढ़ता जाता है .
यह देखा गया है कि करीब अस्सी फीसद लोग जो १ ५ से अधिक वर्षों से मधुमेह के शिकार हैं उनके रेटिना क्षेत्र की कुछ रक्त नलिकाएं क्षति ग्रस्त हो जाती हैं .लेकिन डायबिटिक रेटिनोपैथी होने के लिए जो सबसे प्रमुख कारण हैं उनमें गंभीर और अनियंत्रित मधुमेह ,रक्त में शर्करा के स्तर में उतरा चढ़ाव ,उच्च रक्त स्राव ,उच्च रक्त कोलेस्ट्राल ,मधुमेह के कारण किडनी की बीमारी और गर्भावस्था है .
किशोरावस्था में मधुमेह से पीड़ित को डायबिटिक रेटिनोपैथी कम उम्र में हो सकता है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी कैसे बढ़ता है ?
डायबिटिक रेटिनोपैथी के दो मुख्य चरण होते हैं .शुरूआती चरण को नान प्रोलिफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (एनपीडीआर )कहते हैं .इस चरण में रेटिना क्षेत्र की नलिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं .सामान्यत बीमारी का यह शुरूआती चरण होता है ,जिसमें लक्षणों का पता नहीं चलता है .कुछ मामलों में क्षतिग्रस्त रक्त नलिकाओं के फटने से रेटिना के मध्य भाग में रक्त फ़ैल जाता है .इस स्थिति को डायबिटिक मैक्युलोपैथी कहते हैं ,इससे दृष्टि प्रभावित होती है और धुंधला दिखने लगता है .
इसके उन्नत और विकसित चरण को प्रोलीफेरेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (पीडीआर )कहते हैं .यह डायबिटिक रेटिनोपैथी की सबसे सबसे गंभीर चरण है .इस चरण में रेटिना क्षेत्र में नै कमज़ोर अवांछनीय रक्त नलिकाएं तेज़ी से पनपने लगती हैं जो रेटिना के ऑक्सीजन आपूर्ति में बाधा पैदा कर उसे क्षतिग्रस्त करती हैं।इस कारण रेटिनल डिटेचमेंट या ग्लूकोमा भी हो सकता है .करीब २ ० फीसद मधुमेह पीड़ितों में पीडीआर की वजह से गंभीर दृष्टि ह्रास हो सकता है जो अंधेपन का कारण बनाता है .
डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण क्या हैं ?
डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण हो सकते हैं :
(१ )घटती दृष्टि
(२ ) दृष्टि का धुंधला पड़ना
(३ )फ्लोटर
शुरूआती चरण या कई बार गंभीर स्तर के डायबिटिक रेटिनोपैथी का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है .
(ज़ारी )
10 टिप्पणियां:
सार्थक व् उपयोगी जानकारी हेतु आभार .बिल्कुल सही बात कही है आपने . .बेहतरीन अभिव्यक्ति .उम्दा प्रस्तुति .बहुत सही बात कही है आपने .आपकी कहानी मन को छू गयी .विचारणीय प्रस्तुति . बहुत सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति .रोचक प्रस्तुति .सराहनीय प्रस्तुति बधाई .सार्थक व् सराहनीय लिंक्स संयोजन .मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN "झुका दूं शीश अपना"
मधुमेह पर लाभप्रद जानकारी के लिए धन्यवाद
आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल दिनांक १६ जून २०१३ को http://blogprasaran.blogspot.in/ ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है , कृपया पधारें व औरों को भी पढ़े...
यह तो बहुत ही उपयोगी जानकारी दी आपने, जो निश्चय ही सभी के लिये लाभदायक सिद्ध होगी.शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत उपयोगी जानकारी-आभार!
उपयोगी जानकार ...सारगर्भित पोस्ट ...!!आभार ...
डायबिटीज़ से आँखों को होने वाले नुक्सान के बारे में विस्तृत जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है. बहुत बहुत धन्यबाद.
हमारे एक पर्यवेक्षक को इसी प्रकार समस्या हो गयी।
शुगर की मात्रा बढ़ने पे सबसे ज्यादा असर आँखों पे होता है ... मैंने देखा है की कई बार रौशनी भी चली जाती है ... आपने लाभकारी जानकारी दी है ... रांम राम जी ...
मेरी माँ को मधुमेह रेटिना की बीमारी है । कई जगह पर दिखने पर भी इलाज नहीं हो पा रहा है। कृपया सही होस्पीटल का मार्गदर्शन करें। जिससे गारंटी से ईलाज हो सके । धन्यवाद
विकास लायत
vikaslayat@gmail.com
Mo. 09929833336 ,
Dear vikas bhai !
I have palced diabetoretinopathy centres at Udaipur on your google +.If you give me some input about the condition of the and the procedures performed so far I can further speak on the subject .
How old is the diabetes now ?
Is their retinal displacement ?
Why the conditiion is not curable ?Condition of the retina ?
There are good centres at Delhi and elsewhere too .At Delhi there is' Centre For Sight ',contact 011-4573 8888 for appointments .But the patient post operation is discharged from here .There are no indoor patients .Post surgery after observations the patient is discharged .
Pl write .
veerubhai
(Virendra sharma )
veerubhai1947.blogspot.com
D#4 ,NOFRA ,COLABA ,MUMBAI 400-005
0961 902 2914
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