शुक्रवार, 28 जून 2013

आपदाओं के प्रबंधक

आपदाओं के प्रबंधक 

आपदाओं के प्रबंधक आपदाओं का इंतज़ार करते हैं .आपदाएं आएं तो ये बैठक करें .तर्क यह होता है भाई मुझे बादल का इंचार्ज  तो आपने बना दिया जब बादल फटा ही नहीं तो मैं  बैठक क्या करूं ?
प्रधान मंत्री माननीय श्री मनमोहन सिंह जी को २ ० ० ९ में आपदा प्रबंधन विभाग सौंपा गया था .ज़नाब ने आज तक भी कोई बैठक नहीं की है .

तर्क शायद वही था भाई साहब बाढ़ का आवाहन करो बाढ़  आए तो हम बैठक करें .दरसल उपाय बचावी भी किए जाते हैं ये इन्हें इस पद पे बिठाने वालों को भी खबर न थी .

प्रधान मंत्री सोचते रहे आपदा घटे तो बैठक करूं .बिला वजह क्यों माथा पच्ची करूं .सूत न कपास बुनकरों में लठ्ठम लठ्ठा .

ये लोग प्रबंधन शब्द को पकड़े बैठे रहे आपदा आए तो मैं मेनेज करूं .आपदा आई ही नहीं इसमें मनमोहन सिंह जी का क्या कुसूर ?कई प्रवक्ता ऐसा बा -कायदा कह सकते हैं .तर्क में वजन भी है .

बचावी उपायों का इल्म ही नहीं था जब आपदा आई बादल फटा ,हिमनद पिघला ,किसी ने चोरी छिपे बादल बोया तो सब हत प्रभ .मुख्यमंत्री बदहवास ,कांग्रेसी राजकुमार ला -पता .

कई सोचतें हैं हम तो पर्यटन के इंचार्ज हैं ये तीर्थस्थल प्रबन्धन क्या होता है .हमारा काम वन कानूनों को धता बताकर ,पर्यावरण -पारितंत्रों की अनदेखी करके सड़कें बनाना है पहाड़ को नंगा करना है हरियाली नोंच के तभी तो आपदा भी आयेगी .जब आयेगी तो धीरे धीरे प्रबंधन भी आप से आप सीख जायेंगें ,जल्दी भी क्या है अभी तो वोट की जुगाड़ करनी है २ ० १ ४ छोड़ने वाला नहीं है अब आया के तब आया .

ॐ शान्ति .



3 टिप्‍पणियां:

Anupama Tripathi ने कहा…

दुखद स्थिति है ....राम भरोसे राज्य चल रहा है ....!!क्या ही कहा जाए ......!!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बात में दम है,लेकिन नतीजा जनता के हाथ में है,

RECENT POST: ब्लोगिंग के दो वर्ष पूरे,

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

पता नही जनता बेवकूफ़ है या सरकार निक्कमी?

रामराम.