शुक्रवार, 21 जून 2013

काला मोतिया

काला मोतिया (ग्लूकोमा )क्या है ?

एक प्रकार का जलीय द्रव (Aqueous humor)आँख के  ऊपरी एक तिहाई भाग में भरा रहता है ,जो कोर्निया (स्वच्छ पटल )को पोषण देने के साथ लेंस की सुरक्षा व आँखों को आकार देने का काम करता है .यह आँख के 

भीतर निरंतर बनता व एक कोने से बाहर निकलता रहता है .सामान्य आँख में इस द्रव के बनने व बाहर निकलने की प्रक्रिया संतुलित रहती है ,जिससे आँखों के अंदर दवाब (intraocular pressure )स्थिर बना रहता है .

कुछ लोगों में बढती उम्र के साथ ,आँखों के भीतर बनने वाले जलीय द्रव के निकलने का रास्ता बंद हो जाता है और द्रव बाहर नहीं निकल पाता .जिस कारण आँखों के भीतर का दवाब बढ़ने लगता है .इससे आँख को मस्तिष्क से जोड़ने वाली नसें (आप्टिक नर्व )क्षति ग्रस्त होने से दृष्टि का दायरा सिकुड़ जाता है .इस स्थिति को ग्लूकोमा या काला मोतिया कहते हैं .

ग्लूकोमा के प्रकार :

यह मुख्यतय: तीन प्रकार का होता है :

(१)प्राइमरी ओपन एंगिल काला मोतिया :यह काला मोतिया का सबसे सामान्य प्रकार है .इसमें दृष्टि बिना किसी दर्द के धीरे धीरे कम होती जाती है .प्रभावित व्यक्ति में इसका  कोई लक्षण नहीं दिखता 

.सामान्यतय : उसे इसका पता तब चलता है जब आँखों से मस्तिष्क को जोड़ने वाली नसें गंभीर रूप से क्षति ग्रस्त हो चुकी होती  हैं .

(२)नार्मल टेंशन काला मोतिया :विशेष प्रकार के इस काला मोतिया में आँखों के भीतर का दवाब कम होने के बावजूद आँखों को मस्तिष्क से जोड़ने वाली नसें ,आँखों में रक्त प्रवाह घटने से प्रभावित होती हैं .

(३ )क्लोज्ड एंगिल काला मोतिया :इस प्रकार के काला मोतिया में ,आँख के भीतर बनने वाले जलीय द्रव की निकासी बाधित हो जाती है और आँख का दवाब अचानक से बढ़ जाता है .इसके  महत्वपूर्ण लक्षणों में आँखों में दर्द ,सिरदर्द ,दृष्टि का कम होना शामिल है .इस स्थिति में स्थाई दृष्टि ह्रास रोकने के लिए तुरंत नेत्र विशेषज्ञ की देख रेख में उपचार की ज़रुरत होती है .

अन्य प्रकार का काला मोतिया :जन्मजात काला मोतिया और अन्य कारणों से होने वाला काला मोतिया .

अधिकाँश प्रकार के काला मोतिया में यह तीन लक्षण देखने को मिलते हैं :

(१) आँखों के अन्दर का दवाब बढना :आँखों के दवाब का आकलन गोल्डमैन अप्लानेशन टोनो मीटर की मदद से करते हैं .इस उपकरण को मरीज़ की आँखों पर विपरीत दिशा में रखते हैं और आँखों का दवाब मापते हैं .

(२ )कपिंग या आप्टिक नर्व की क्षीणता :आँखों के अंदर दवाब बढ़ने से आँख को मस्तिष्क से जोड़ने वाली नस (आप्टिक नर्व )के फाइबर की परत को नुकसान पहुंचता है .नै इमेजिंग तकनीक जैसे आप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्रेफी (OCT),GDX,HRTसे आप्टिक नर्व के फाइबर की परत को कितना नुकसान पहुंचा है इसका आकलन किया जा सकता है और इसके विस्तार और बढ़ाव  के बारे में पता भी लगाया जा सकता है .

(४ )दृष्टि क्षेत्र में त्रुटि :इसमें दृष्टि का दायरा सिकुड़ जाता है ,मरीज़ का दृष्टि क्षेत्र संकरा हो जाता है .दृष्टि क्षेत्र में संकुचन का आकलन पैरीमीटर नाम के उपकरण से सम्भव है .

ग्लूकोमा के लक्षण :काला मोतिया के शुरूआती चरण में कोई ख़ास लक्षण दिखाई नहीं पड़ते ,जिससे इसका अंदाजा लगाया जा सके .यह भी संभव है कि प्राइ- मरी ओपन एंगिल काला मोतिया से पीड़ित इससे पूरी तरह अनजान हो .प्राइमरी ओपन एंगिल काला मोतिया सामान्यतय :बड़ी धीमी गति से बढ़ता है .इसके कुछ निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं .

(१)आँखों को थियेटर जैसे अँधेरे में से सामंजस्य बिठाने में दिक्कत होती है 

(२)पढ़ने  का नम्बर (रीडिंग ग्लास )जल्दी जल्दी बदलना 

(३) दृष्टि का क्रमिक ह्रास 

(४ )दृष्टि का धुंधला होना 

(५ )सिरदर्द 

(६)रात्रि में ठीक प्रकार से न दिखाई देना 

क्लोज्ड एंगिल मोतिया में आँखों का दवाब अचानक  से बढ़ जाता है .कई बार इसके गंभीर लक्षण  सामने आते हैं .

(१)रौशनी के चारों और इंद्रधनुषीय घेरा दिखना 

(२)आँखों में तेज़ दर्द चेहरे में दर्द 

(३ )आँखों का लाल होना 

(४ )धुंधली दृष्टि व रौशनी के चारों ओर एक चमकदार घेरा दिखना 

(५ )जी मिचलाना व उलटी आना 

(६ )आँखों के अंदर घुप्प अँधेरे क्षेत्र का एहसास 

काला मोतिया के लिए जांच :

(१)पैरीमीटरी -यह जांच ज़रूरी है न केवल काला मोतिया के वर्तमान दुष्प्रभाव व विस्तार का पता लगाने के लिए बल्कि इसकी मदद से यह भी पता लगाया जाता है कि काला मोतिया किस गति से आगे बढ़ रहा है .इससे उपचार व उसकी प्रतिक्रिया का भी पता चलता है .इस जांच के लिए आधुनिक व परिष्कृत मशीनों व एडवांस साफ्टवेयर की ज़रुरत पड़ती है .इसमें काफी समय लगता है और कई बार अच्छे नतीजों के लिए जांच को एक निश्चित अंतराल के बाद दोहराना भी पड़ सकता है .

(२ )टोनोमीटरी :आँखों के दवाब को नापने के लिए गोल्डमैन अप्लानेशन टोनो मीटर का प्रयोग किया जाता है .

(३ )गोनियोस्कोपि :आँखों के ऊपर एक लेंस रख कर जांच की जाती है कि काला मोतिया ओपन (खुले )या क्लोज्ड (बंद )किस प्रकार का है .

(४ )अन्य जांच :OCT (आप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्रेफ़ी ),CCT (पेसिमीट्री )आदि .ओसीटी एक नान इन्वेज़िव जांच है .इसमें आँखों को छूने की ज़रुरत नहीं पड़ती है .इसमें मरीज़ को एक एडवांस मशीन में छोटी लाइन पर दृष्टि केन्द्रित करने को कहा जाता है ,महज़ इतने भर में मशीन का आधुनिक साफ्वेयर आँखों के आप्टिक नर्व व नर्व के फाइ -बर परत की स्थिति का आकलन कर लेती है .वहीँ सी सी टी में कोर्निया (स्वच्छ मंडल )की अल्ट्रासोनिक जांच की जाती .

(ज़ारी )

2 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत ही उपयोगी जानकारी..

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

आखों से संबंधित बहुत ही उपयोगी जानकरी मिली, आभार.

रामराम.