मंगलवार, 16 जनवरी 2018

हरियाणा सरकार का प्रशंशनीय कदम है यह

हरियाणा की जेलों (कारवासों )में कैदी गाय की सेवा करें इसमें बुरा क्या है। सेवा से ही मेवा है। सनातन धर्म की मान्यता है गाय के शरीर में ३३ करोड़ देवी देवताओं का वास है। गाय की हर चीज़ पूज्य है उपादेय है। गोबर और गौ मूत्र भी अखाद्य नहीं है पंचगव्य में इनका इस्तेमाल होता है। पंचगव्य गौ दुग्ध ,गौ धृत ,गौ दुग्ध से तैयार दधि (दही ),गोबर ,गौ मूत्र को एक सुनिश्चित मात्रा में मिलाने से तैयार  होता है।

धर्म में शास्त्र को ही प्रमाण माना गया है यज्ञ बिना पंच  गव्य के संपन्न नहीं होता है। गीता में  भगवान् ने स्वयं को यज्ञ बतलाया है ,'होता 'भी हव्य सामिग्री भी यज्ञ करता भी और उससे प्राप्त चरु को भी। भगवान् राम की उत्तपत्ति (दशरथ नंदन राम )का जन्म पुत्रेष्टि यज्ञ का ही परिणाम है। अग्नि देव यज्ञ संपन्न होने पर स्वयं चरु(प्रसाद )लेकर उपस्थित होतें हैं।  भगवान् के जन्म की लीला देखने के बाद तमाम देवता जो विभिन्न भेष भरके इस उत्सव की शोभा देखने आये थे इस चरु में ही विलीन हो गए थे। राम के शरीर से ही सभी ऊर्जा प्राप्त करते हैं। विश्व की सभी आत्माएं उसी राम का शरीर हैं जो सबमें रमण करता है सब को आनंद देता है। गीता में भगवान् कृष्ण स्वयं कहते हैं मैं सभी आत्माओं का आत्मा यानी परमात्मा हूँ। सभी आत्माएं मेरा शरीर हैं।  

चैनलियों को ये शास्त्र प्रमाण समझ में नहीं आएगा -यह वैसे ही है जैसे कोई मनोविग्यानी आत्मा के अस्तित्व को नकारते हुए कहे -अगर आत्मा का अस्तित्व है तो लाओ उसे लेब में। प्रयोगशाला में। 

आत्मा पांच भूतों का जोड़ घटा नहीं हैं इनसे परे अशरीरी है देही है आत्मा देह नहीं है देह भौतिक है पंच भूतों की निर्मिति है ,आत्मा यानी देही इनसे परे है। आप उसे प्रयोगशाला में कैसे लायेंगे ?और फिर भौतिक साधनों से अभौतिक आत्म तत्व को कैसे देखियेगा ,जानिएगा। इसीलिए कहा के शास्त्र ही प्रमाण है। निर्दोष और अकाट्य है शास्त्र प्रमाण। भौतिक साधनों की सीमाएं हैं। चाहे वह रेडिओ -दूरबीन हो या दूसरे छोर पर इलेक्ट्रॉन  माइक्रोस्कोप या गामा रे अन्वेषी। लार्ज हेड्रॉन कोलाइडर हो या कोई अन्य साधन अभी तो उन कणों की ही टोह नहीं ली जा सकी हैं जो शेष द्रव्य कणों को  द्रव्यमान प्रदान करते हैं मॉस इम्पार्ट करते हैं। चैनलिये इसे जाने भी कैसे। गाय की महिमा तो बहुत बारीक बात है। हम हरियाणा सरकार के इस कदम की खुलकर और बेहद की प्रशंशा अनु-शंशा करते हैं सेवा व्यक्ति को शालीन निरहंकारी बनाती है। गाय की पूँछ पहकडके तो लोग वैकुण्ठ पहुँच जाते हैं वैतरणी को पार कर जाते हैं। कैदियों को और कुछ नहीं तो सेवा का सुख ज़रूर मिलेगा। 

शीषक :हरियाणा सरकार का प्रशंशनीय कदम है यह 

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