शनिवार, 18 अक्तूबर 2014

हमारी नियति रथ (chariot )में बैठे उस यात्री की तरह है जो जन्म जन्मांतरों से सोया पड़ा है

  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger
  • Image result for picture of a chariot with driver and a passenger

हमारी नियति रथ (chariot )में बैठे उस यात्री की तरह है जो जन्म 

जन्मांतरों से सोया पड़ा है। रथ के  कोचवान 





(chariot driver )के हाथों में लगाम है ज़रूर लेकिन उसका नियंत्रण रथ में 

जुते हुए घोड़ों के हाथ में है, जो 



बराबर इन्द्रियों के विषयों  की ओर बे -साख्ता दौड़े जा रहे हैं। ये सारथी 

(कोचवान ,रथी )हमारी बुद्धि है। घोड़े इन्द्रियाँ हैं। और रथ में सोया हुआ 

यात्री हमारी स्पिरिट है चेतना है ब्रह्मन है।  

लेकिन हमारी बुद्धि मन के  हाथों पस्त  है हतप्रभ है। मन इन्द्रियों के 

विषयों के पीछे भागा जा  रहा है. जबकि उसका काम घोड़ों  को दिशा  देना 

था।

मन -बुद्धि -चित -अहंकार के हाथों हम पिट रहे हैं। ये चारों ही मिलके 

हमारा सूक्ष्म शरीर (सटल बॉडी ,Subtle Body)हैं।कारण शरीर(Causal 

Body ) हमारी वासनाएं हैं। ड़िज़ायर्स हैं। 

हम न तो स्थूल शरीर हैं न सूक्ष्म और न ही कारण शरीर ये तो हमारे 

उपकरण 

हैं।हमारा मकान हैं जिसमें हम रहते हैं। लेकिन हम  मकान  नहीं हैं।

मकान हमारा है।  

ये- 

गलत शिनाख्त सेल्फ की हमारे तमाम दुखों की वजह बन रही है।

हम खुद को सीमित (स्थूल शरीर ,मन बुद्धि चित अहंकार )मान रहें हैं 

जबकि हम न तो कर्ता (doer ) हैं न भोक्ता(enjoyer )। हम परमात्मा की 



सीमान्त ऊर्जा के अंश हैं।  देवता एवं समस्त प्राणि जीव जगत 

वनस्पतियाँ  ,ब्लेड आफ ग्रास से लेकर डायनासौर तक सभी परमात्मा की 

इसी सीमान्त ऊर्जा (marginal energy )के अंश हैं। 

हम संसार समुद्र के किनारे खड़े हैं। एक ओर  रेत  दूसरी तरफ माया का 

सागर  (world of oceanic maya ,the material energy ).

हमें स्वतंत्रता है हम संसार की ओर  जाएँ या परमात्मा की दिव्य ऊर्जा की 

ओर।चयन हमारा है कर्म करने की हमें पूरी छूट है। यात्री जागे तो ज़रा। 

उसकी नींद तो खुले। मन को सेल्फ (ब्रह्मन )न माने। 

I  AM THAT(EXISTENCE )THAT ETERNAL 

CONSCIOUSNESS 

THAT IS ALL PERVADING .

I AM THAT ,THAT BRAHMAN 

सत्यम ज्ञानम्  अनन्तम् 

सत्यम =EXISTENCE 

ज्ञानम् =CONSCIOUSNESS 

अनन्तम् =INFINITUDE ,WHICH MEANS ALL PERVADING 

I AM THAT CONSCIOUSNESS THAT IS PERVADING 

EVERYWHERE AND IS ETERNAL .

मन दुखी होता है तो मैं (SELF ,ब्रह्मन )खुद को  दुखी मान लेता हूँ 



जबकि मन तो सीमित है मैं (SELF )असीमित हूँ। 

I AM LIMITLESS BLISS .I AM LIMITLESS KNOWLEDGE .I 

AM ALL PERVADING .THERE IS ONLY ONE 

CONSCIOUSNESS THAT IS ME .

THE ONLY DIFFERENCE BETWEEN ME AND GOD IS THE 

ROLE OF 

MAYA WHICH  IS ILLUSORY ENERGY FOR ME BUT THE 

SAME 

MAYA IS POWER OF GOD AND A SERVANT OF GOD .

MAYA MEANS THE MATERIAL ENERGY OF GOD .

एक बार बस एक बार मैं अपने को पहचान लूँ तो मुझमें और भगवान्  में 

कोई फर्क न रहे।

I AM BRAHMAN .HE (GOD HEAD )IS PAR BRAHMAN . 

I am that light of consciousness that illuminates my mind .I am not 

the mind and therefore no object and or a person of this world can 

ever disturb me and cause me pain .

All my miseries stem from a wrong under standing of this world 

and my own self (brahman ,The Self ).

I am drowned in this ocean of Sansara because of this delusion 

only ,that I am this body ,this mind ,this intellect ,etc .

WHAT IS THIS BRAHMAN (LIGHT OF CONSCIOUSNESS )?

WHEN I AM SLEEPING MY GROSS BODY IS LYING ON 

THE 

BED BUT MY SUBTLE BODY THE MIND IS ACTIVE .IN 

THE 

DREAM STATE ,THE MIND IS PROJECTING THE DREAM 

.ALL SORTS OF THINGS ARE THERE IN THE DREAM .

WHEN I GET UP AND COME BACK TO THE WAKING 

STATE I REALIZE IT WAS A DREAM .

IN DEEP SLEEP EVEN THE SUBTLE BODY  IS NOT THERE 

.ONLY THE CAUSAL BODY IS THERE .

ALL THE THREE STATES ARE MUTUALLY EXCLUSIVE 

.AND ARE INDEPENDENT OF EACH OTHER .

BUT ONE THING IS UNCHANGING IN ALL THE THREE 

STATES .THAT IS THE LIGHT OF CONSCIOUSNESS THAT 

IS IRRADIATING ALL THESE THREE STATES .WHO SAYS 

THAT  I 

SLEPT WELL .THE CONSCIOUSNESS ONLY SAYS SO .

THE WAKING STATE IS ALSO A DREAM AND IS UNREAL .

ONLY I  AM THE TRUTH AND IS ETERNAL .THE BODY IS 

CONSTANTLY CHANGING AND ONE DAY WILL NOT BE 

IN A POSITION TO SUPPORT MY LIGHT OF 

CONSCIOUSNESS .THAT DAY THE ATMAN WILL LEAVE 

THE BODY ,WILL TAKE NEW BODY .THE BODY WILL DIE 

.THE CHANGE OF BODY IS CALLED DEATH(BIRTH ) .



जय श्रीकृष्णा। 



1 टिप्पणी:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पर इस यात्रा से भी तो तभी उठा जा सकता है जब वो माया रचने वाला उठाये ....
अच्छी रचना ...