व्यक्ति स्वातंत्र्य की पराकाष्ठा है न्यूयॉर्क का टाइम्स स्क्वायर। यहां
फुटपाथ पर आपको एक गन्धर्व लोक भी मिलेगा जहां गायकों को अपने
अपने ढंग से परिधान पहनने न पहनने की छूट है। कुछ के तन पे
अधोवस्त्र(अंत :वस्त्र ) के स्थान पर सिर्फ पेंट(paint) मिलेगा तो कुछ
को दिगंबर
भी
देखा जा सकता है।नरवानर भूत प्रेत ,स्पाइडरमैन में से लेकर भोगावती
की
अप्सराएं तक यहां सजी सवंरी आपकी बाट जोहती मिलेंगी। आप
इनके संग
शौक से फोटो खिंचवाइये न्यूयॉर्क शहर का यह ढिठौना है कहीं शहर
को
नज़र न लग जाए तो कहीं कहीं आपको बे -सुध लोग भी मिलेंगे गली
कूचों में पड़े हुए नीम होश दरिद्रनारायण भी। इक्का- दुक्का लोगों को
कटोरा
लेकर भीख मांगते भी देखा। हालांकि यह अभावों का नहीं इफरात
(plenties ) का शहर है।
यह शहर सोता कब है ?
जब भी हिलटन होटल की ३१ वीं
मंजिल से नीचे झांका चौराहा भागता मिला रेंगती हुई पीली टैक्सियां।
यहां सारी दुनिया से आये लोग इन पीली टैक्सियों को दौड़ाते मिलेंगे।
शहर के तीन हिस्से हैं ,डाउन टाउन ,मिड टाउन और अपटाउन। यहां
१४० साल पुरानी मेट्रो सेवा है। कई जगह पर मिनी इंडिआ देखा।
सोमबाज़ार (पैठ )देखा भारतीय सामान बिकते देखा पकवान बिकते
देखा। मैनहटन से हार्लेम तक की सैर की। हडसन नदी के दोनों
ओर एक
दूसरे से होड़ लेती गगन चुम्बी अट्टालिकाएं देखीं। सेंट्रल पार्क के गिर्द
बघ्घी और घोड़ा गाड़ी देखी। रिक्शा देखे। सेंट्रल पार्क की ऊंची नींची
घाटियों को रिक्शे में बैठे लोग नाप रहे थे। रिक्शा की दरें तीन डॉलर
प्रति मिनिट प्रति ट्रिप थीं। सबका शहर है यह सबको अपनाता है
अपनापा बांटता है कहीं कोई अफरा तफरी नहीं। सब कमाई कर रहें हैं
यहाँ
अपने अपने ढंग से। कोई बहरूपिया बनके कोई गाइड बनके। कोई वाटर
टेक्सी ड्राइव करके। शहर का आकर्षण हैं सैर सपाटा कराने वाली
डबलडेकर बसें। टाइम्स स्कावयर की सीढ़ियां जिन पर बैठे लोग हर
पांच
मिनिट बाद बदल जाते हैं। मनोरंजन और व्यवसाय का संगम है यह
शहर इसकी आत्मा सैदव आनंद स्वरूप दिखती है।लिबर्टी आफ स्टेच्यू
जो है यहां। जिसके एक हाथ में मशाल है दूसरे में बुक आफ विज़डम है।
फुटपाथ पर आपको एक गन्धर्व लोक भी मिलेगा जहां गायकों को अपने
अपने ढंग से परिधान पहनने न पहनने की छूट है। कुछ के तन पे
अधोवस्त्र(अंत :वस्त्र ) के स्थान पर सिर्फ पेंट(paint) मिलेगा तो कुछ
को दिगंबर
भी
देखा जा सकता है।नरवानर भूत प्रेत ,स्पाइडरमैन में से लेकर भोगावती
की
अप्सराएं तक यहां सजी सवंरी आपकी बाट जोहती मिलेंगी। आप
इनके संग
शौक से फोटो खिंचवाइये न्यूयॉर्क शहर का यह ढिठौना है कहीं शहर
को
नज़र न लग जाए तो कहीं कहीं आपको बे -सुध लोग भी मिलेंगे गली
कूचों में पड़े हुए नीम होश दरिद्रनारायण भी। इक्का- दुक्का लोगों को
कटोरा
लेकर भीख मांगते भी देखा। हालांकि यह अभावों का नहीं इफरात
(plenties ) का शहर है।
यह शहर सोता कब है ?
जब भी हिलटन होटल की ३१ वीं
मंजिल से नीचे झांका चौराहा भागता मिला रेंगती हुई पीली टैक्सियां।
यहां सारी दुनिया से आये लोग इन पीली टैक्सियों को दौड़ाते मिलेंगे।
शहर के तीन हिस्से हैं ,डाउन टाउन ,मिड टाउन और अपटाउन। यहां
१४० साल पुरानी मेट्रो सेवा है। कई जगह पर मिनी इंडिआ देखा।
सोमबाज़ार (पैठ )देखा भारतीय सामान बिकते देखा पकवान बिकते
देखा। मैनहटन से हार्लेम तक की सैर की। हडसन नदी के दोनों
ओर एक
दूसरे से होड़ लेती गगन चुम्बी अट्टालिकाएं देखीं। सेंट्रल पार्क के गिर्द
बघ्घी और घोड़ा गाड़ी देखी। रिक्शा देखे। सेंट्रल पार्क की ऊंची नींची
घाटियों को रिक्शे में बैठे लोग नाप रहे थे। रिक्शा की दरें तीन डॉलर
प्रति मिनिट प्रति ट्रिप थीं। सबका शहर है यह सबको अपनाता है
अपनापा बांटता है कहीं कोई अफरा तफरी नहीं। सब कमाई कर रहें हैं
यहाँ
अपने अपने ढंग से। कोई बहरूपिया बनके कोई गाइड बनके। कोई वाटर
टेक्सी ड्राइव करके। शहर का आकर्षण हैं सैर सपाटा कराने वाली
डबलडेकर बसें। टाइम्स स्कावयर की सीढ़ियां जिन पर बैठे लोग हर
पांच
मिनिट बाद बदल जाते हैं। मनोरंजन और व्यवसाय का संगम है यह
शहर इसकी आत्मा सैदव आनंद स्वरूप दिखती है।लिबर्टी आफ स्टेच्यू
जो है यहां। जिसके एक हाथ में मशाल है दूसरे में बुक आफ विज़डम है।
9 टिप्पणियां:
सर जी बहुत सुन्दर
ये सहर सोता न कभी ये सहर रोता न कभी
जीना हँस हँस के सिखाता है सपना होता न कभी
न्यूयार्क और टाइम स्क्वाएर को बाखूबी देखा है आपने अपने ही अंदाज़ में ...
मज़ा आ गया ... राम राम जी ...
फोटो भी जानदार हैं ...
घर बैठे ही न्यूयार्क की सैर करा दी आपने..
बहुत सुंदर यात्रा विवरण.
नई पोस्ट : दीर्घजीवन और पालतू जानवर
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (05.09.2014) को "शिक्षक दिवस" (चर्चा अंक-1727)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।
शानदार विवरण
स्वागत है मेरी नवीनतम कविता पर रंगरूट
सुन्दर प्रस्तुति।
शहर कभी नहीं सोता मित्र,
सोग सो जाते हैं और जग भी जाते हैं।
बढ़िया चित्रावली।
शानदार विवरण--सुंदर चित्रावली
अब यह शहर सोता कब है--राम जाने?
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