बुधवार, 24 दिसंबर 2008

नंग बड़े परमेश्वर से

संरक्षणवादी राजनीति (patronage politics) के पक्षधरों से यदि वोट और देश में से किसी एक का चयन करने को कहा जाए तो यह जमूरे वोट को ही चुनेंगे। हिन्दुस्तान की अकेली विश्व नगरी मुंबई में हुए आतंकवादी हमले में शहीद हुए श्री हेमंत करकरे और पूर्व में जामिया नगर के बटला हाउस में शहीदे आज़म श्री मोहन चंद शर्मा पर अब्दुल रहमान अंतुले, दिग्विजय सिंह, अमर सिंह और उनके चेलों ने जिस प्रकार की बेशर्म सवालिया मिसाईलें दागी उस पर यही कहा जा सकता है : नंग बड़े परमेश्वर से। अल्पसंख्यक राजनीति के टुकड़ खोर जो करा दें सो कम फिर अंतुले तो अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री थे।

माननीय प्रधानमंत्रीजी यह आपके एक काबिना मंत्री की मानविय भूल नही थी, अगले लोक सभा चुनाव की अदबदा कर की गई पोसिशनिंग थी। इतनी बात तो कोई पप्पू भी समझ लेगा। एक अखबार ने अपने सम्पादकीय "एक जुटता ज़रूरी' में लिखा अंतुले साहब ने इससे आम जनता की नजर में कुछ खोया ही है। मान्यवर अल्पसंख्यक राजनीति को कौमी नुक्सान का इल्म ही कहाँ होता है / यदि यह मानविय भूल है तो ब्लंडर किसे कहते हैं, अब्सर्ड क्या होता है ? कृपया बतलायें।

दलित देवी की करतूतें

बहन मायावती के कारकुनों ने एक सरकारी engineer की हत्या कर के राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के सैनिकों को भी क्रूरता में पछाड़ दिया है। लगता है विधायक मनोज तिवारी मायावती फोबिया से ग्रस्त थे, बहनजी के जन्मदिन के लिए जबरी चंदा नही वसूलते तो ख़ुद मारे जाते। घड़ा एक दिन राज ठाकरे के पापों का भी भरेगा अभी तो उन्स्की चाची ही पहाड़ के नीचे से निकली है जो ख़ुद को बेदाग़, चैतन्य देव प्रतिमा बतलाती थी। हमारा मानना है राजनीतिक कार्यकर्ता भी अमर नही होता।

जाको राखे साईंयां

जाको राखे साईंयां मार सके ना कोय ... राजस्थान विधान सभा में एक सर्प विधायकों से तब तक छिपता छिपाता रहा जब तक सपेरों ने उसे भयमुक्त नही कर दिया, किसी विधायक को काट लेता तो बेचारा (सर्प) मारा जाताखुदा का लाख लाख शुकरानाजाको राखे साईंयां ........

मंगलवार, 16 दिसंबर 2008

जूता फेक तमाशा देख


चैनल अल-बग्दारिया के एलेक्ट्रोनी पत्रकार मुन्तज़र अल ज़ैदी साहब बा-तमीज़ इंसान हैं जिनसे हमारे प्रतिनिधि बहुत कुछ सीख सकते हैं, जो सदन में जूता तो फेंकते हैं पर एक ही फेंकते हैं ताकि वह (जूता) किसी के काम ना सकेयूँ अल ज़ैदी साहब ने जो कुछ भी किया वह जन आक्रोश की अभ्व्यक्ति ही नही तदानुभूति भी थीऔर इसी को पुख्ता करने के लिए ऑनलाइन जूता खेल भी चल पड़ा है जिसमें जो जितनी बार बुश को जूता मारने में सफल रहेगा उसे उतने ही पॉइंट्स मिलेंगेभले ही अल ज़ैदी की हड्डी पसली तोड़ दी गई है लेकिन बुश का तो प्रतीक ही चल पड़ा हैजूतम पैजार मुहावरे से उठ कर बुश पर हावी हैखुदा खैर करे.......