The petition said the “unfortunate incident of the Tablighi Jamat was used to demonise and blame the entire Muslim community”.
A writ petition was filed on Monday in the Supreme Court by the Jamiat Ulama-i-Hind for a direction to the Centre to stop the media from communalising the Tablighi Jamaat incident, which is allegedly linked to the spread of COVID-19.
The plea said certain sections of the print and electronic media are spreading bigotry and communal hatred in relation to the Tablighi Jamat conference held in the Nizamuddin Markaz area. The plea, filed through advocate Ejaz Maqbool, sought a direction to the Ministry of Information and Broadcasting to identify and take action against sections of the media, who are communalising the Nizamuddin Markaz issue.
The petition said the “unfortunate incident of the Tablighi Jamat was used to demonise and blame the entire Muslim community”. Certain sections of the media, instead of exercising restraint, reported the incident with a communal flavour. This may perpetrate hatred.
The petition said Delhi had already witnessed one of the worst riots in February. The situation in Delhi and in the rest of the nation was already tense and sensitive. Communally flavoured reporting would only lead to further deterioration of circumstances. Media should tread with caution, the petition
said.
हमारा मानना है ये लोग प्रजातंत्र के मान्य मानकों को नहीं मानते हैं। न ये लोक को मानते हैं न लोक द्वारा चुने गए नुमाइंदों और उनके फैसलों को। संसद के फैसलों को भी ये बरतरफ़ रख देते हैं। फिर ये मानते किसकी हैं।कुअरान की ?अल्लाह की ?
प्रेस ,इलेक्ट्रोनी एवं प्रिंट मीडिया ,रेडिओ और टेलीविजन और सबसे ज्यादा माउथ टू माउथ कम्युनिकेशन तेरा मेरा संवाद इनके लिए सब बे -मानी हैं। जबकि मीडिया खबर लिखते छापते बोलते सुनाते वक्त हिन्दू मुसलमान नहीं देखता। तथ्य देखता है। उनका निर्ममता पूर्वक अध्ययन विश्लेषण करता है अपनी जान भी जोखिम में डाल के मुश्किल से मुश्किल टेरेन में पहुंचता है कोरोना इन्फेस्टिड ,इन्फेक्टिड ,वायरल लोड वाले इलाकों में खबर लेने पहुंचता है। तब जाके सबको खबर देता है कोई बन के तो देखे गणेश शंकर विद्यार्थी से लेकर अर्णव गोस्वामी तक कोई एक बार बस पता चल जाएगा पत्रकारिता का जोखिम। हैज़मैट सूट पहने रहते हैं ये लोग आठों पहर।
हमारा मान्य अपेक्स (देश सर्वोच्च न्यायिक प्रतिष्ठान ,मंदिर )से अनुरोध है वह इन पर टिपण्णी करने से बचे। इस मामले को 'ला एन्ड आर्डर' से जुड़ा बतलाकर इन्हें बैरंग लौटा दे।संवाद का लोकडाउन चाहते हैं ये लोग। साधुवाद !
वीरेंद्र शर्मा ,२४५ /२ ,विक्रम विहार ,शंकर विहार कॉम्प्लेक्स ,दिल्ली -छावनी -११० ०१०
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