जम्मू कश्मीर का नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी आश्वस्त करता है ,अब असली भगत सिंह और चन्द्र शेखर आज़ाद पैदा होंगे ,जो भारत का झंडा पुलिस भेषधारी कट्टर इस्लामियों से छीनकर उन्हें उनकी असली जगह बताएँगे। (सुपुर्दे ख़ाक करके दिखाएंगें। )
देश प्रेमी छात्रों ने राष्ट्रप्रेम की जो अलख जम्मू कश्मीर के एनआईटी में जगाई है वह अमर जोत बनके रहेगी। बेशक एनआईटी के देश प्रेमी गैर -कश्मीरी छात्रों के साथ पुलिस की बर्बरता के खिलाफ इक्का दुक्का कांग्रेसियों ने अपनी जबान खोली है लेकिन अफ़ज़ल गूर (एक ग्वाले को)अपना गुरु बनाने वाले वे लोग कहाँ हैं जिनकी वजह से कांग्रेस कांग्रेस जानी जाती है। शशि थरूर समर्थित कांग्रेसी शहजादा अगर उसने अपनी अम्मा का दूध पिया है तो एनआईटी कैम्पस में जाके दिखाये। किसी एक पक्ष में खड़े होने का हौसला जुटाके दिखाये। यही वह परिवार है और जिसके एक अदद शहजादे की दादी के पिताजी ने जम्मू कश्मीर में गुजिस्ता सालों में जतन से ये हालात पैदा किये हैं।
आज जम्मू कश्मीर भी अपना कन्हैया ढूंढ रहा है।
एक देश द्रोही जनेऊ छात्र ने सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण के नाम पे अपना नाम तो कन्हैया रख लिया है लेकिन काम कंस वाले कर रहा है।छद्म कन्हैया सोच का सफाया करने वाले असली भगत सिंह अब पैदा होंगे जम्मू कश्मीर की ही सरज़मीं से।
देश प्रेमी छात्रों ने राष्ट्रप्रेम की जो अलख जम्मू कश्मीर के एनआईटी में जगाई है वह अमर जोत बनके रहेगी। बेशक एनआईटी के देश प्रेमी गैर -कश्मीरी छात्रों के साथ पुलिस की बर्बरता के खिलाफ इक्का दुक्का कांग्रेसियों ने अपनी जबान खोली है लेकिन अफ़ज़ल गूर (एक ग्वाले को)अपना गुरु बनाने वाले वे लोग कहाँ हैं जिनकी वजह से कांग्रेस कांग्रेस जानी जाती है। शशि थरूर समर्थित कांग्रेसी शहजादा अगर उसने अपनी अम्मा का दूध पिया है तो एनआईटी कैम्पस में जाके दिखाये। किसी एक पक्ष में खड़े होने का हौसला जुटाके दिखाये। यही वह परिवार है और जिसके एक अदद शहजादे की दादी के पिताजी ने जम्मू कश्मीर में गुजिस्ता सालों में जतन से ये हालात पैदा किये हैं।
आज जम्मू कश्मीर भी अपना कन्हैया ढूंढ रहा है।
एक देश द्रोही जनेऊ छात्र ने सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण के नाम पे अपना नाम तो कन्हैया रख लिया है लेकिन काम कंस वाले कर रहा है।छद्म कन्हैया सोच का सफाया करने वाले असली भगत सिंह अब पैदा होंगे जम्मू कश्मीर की ही सरज़मीं से।
2 टिप्पणियां:
आपने लिखा...
कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 08/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 266 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।
बढ़िया
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