रविवार, 15 मार्च 2015

दिन को रोज़ा रहत है ,रात हनत है गाय , यह खून बह बंदगी ,कहु क्यूँ ख़ुशी खुदाय

दिन को रोज़ा रहत है ,रात हनत है गाय

यह खून बह बंदगी ,कहु क्यूँ ख़ुशी खुदाय

In day time thou observeth fast ,

And doth slaughter cow in the night ;

This bloodshed !that adoration !

Say in what way it's God's delight ?

मुर्गी मुल्लाह सौं कहै , जबह करत है मोहिं

  साहब लेखा माँगसी ,संकट परिहै तोहि।

The hen to the Mullah sayeth ;

' For thy food thou dost slaughter me ;

When Saheb asks for thy account

Catastrophe will fall on thee'.

बकरी पाती खात है ,ताकी काढ़ी खाल ,

जो बकरी को खात  है , तिनका कौन हवाल।


The goat eats grass and (leaves of trees )

But is killed and its skin peeled ,

In what measure the men be dealt

who kill the goat and  its flesh eats .

कबीरा तेई पीर है ,जो जाने पर पीर,

जो पर पीर न जानि है ,सो काफ़िर बेपीर।

He alone is the Pir who is

Full sensitive to others pain ;

A cruel infidel he is who's

Insensitive to others pain .


2 टिप्‍पणियां:

Rahul... ने कहा…

अब तो आप फ़कीर के अंदाज में आ गए . संत के गुणों से ओतप्रोत इंसान का सुन्दर पोस्ट.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत