कदली सीप भुजंग मुख ,स्वाति एक गुण तीन ,
जैसी संगति बैठिये ,तैसो ही फल दीन।
भावार्थ :दिक् - काल और जीव चेतना जब ये तीनों एकत्र होते हैं तो घटना घटती है। प्रस्तुत नीति परक दोहे में बूँद का गिरना घटना है। स्वाति नक्षत्र काल है। स्वाति नक्षत्र में घटित हुई है घटना। कदली (केला ),सीप और भुजंग तीनों के दिक् (परिवास ,हैबिटैट )अलग अलग है। सीप जल में रहती है केला स्थल पर भुजंग बाम्बी में तीनों की अपनी चल अचल स्थिति अलग अलग हैं।
बूँदधारण करने वाले के गुणधर्म लेती है। कदली (कच्चे केले )पे गिर के कपूर बनती है.स्वाति नक्षत्र की बूँद सीप में गिरे तो सच्चा मोती बन जाती है और विषधर (कोबरा )के मुख में गिरने पर विषैला जहर ही बनती है।
संगति और कुसंगति दोनों अपना रंग छोड़तीं हैं। अन्यत्र कहा भी गया है :
एक घड़ी आधी घड़ी ,आधी की पुनि आध ,
तुलसी संगति साधु की, काटे कोटि अपराध।
यहां बूँद का विशेष पदार्थों में गिरना दिक् से सम्बंधित है। कहने का भाव यह है दिक् और काल दोनों अपना प्रभाव छोड़ते हैं।
काल कारक है। प्रत्येक क्रिया काल में ही घटित होती है। क्रिया का कारक काल है। स्वाति नक्षत्र में बूँद का गिरना काल है। ऊपर से नीचे की ओर बूँद का गिरना क्रिया है। "घटना" दोनों का ,"समय" और "स्थान" का जोड़ है।
Space and Time taken together describe an event .
एक वृत्तांत लीजिये संत और चोर दोनों मंदिर की ओर जा रहे हैं। संत पूजा अर्चना के लिए चोर चोरी के लिए। चरण क्रिया है। फलार्थ भिन्न होंगे ।
बच्चे के मुख से निकली बात उसके अपने समय में सहज है वही बात कोई बड़ा कहे तो विक्षेप बन जाएगी।
जैसी संगति बैठिये ,तैसो ही फल दीन।
भावार्थ :दिक् - काल और जीव चेतना जब ये तीनों एकत्र होते हैं तो घटना घटती है। प्रस्तुत नीति परक दोहे में बूँद का गिरना घटना है। स्वाति नक्षत्र काल है। स्वाति नक्षत्र में घटित हुई है घटना। कदली (केला ),सीप और भुजंग तीनों के दिक् (परिवास ,हैबिटैट )अलग अलग है। सीप जल में रहती है केला स्थल पर भुजंग बाम्बी में तीनों की अपनी चल अचल स्थिति अलग अलग हैं।
बूँदधारण करने वाले के गुणधर्म लेती है। कदली (कच्चे केले )पे गिर के कपूर बनती है.स्वाति नक्षत्र की बूँद सीप में गिरे तो सच्चा मोती बन जाती है और विषधर (कोबरा )के मुख में गिरने पर विषैला जहर ही बनती है।
संगति और कुसंगति दोनों अपना रंग छोड़तीं हैं। अन्यत्र कहा भी गया है :
एक घड़ी आधी घड़ी ,आधी की पुनि आध ,
तुलसी संगति साधु की, काटे कोटि अपराध।
यहां बूँद का विशेष पदार्थों में गिरना दिक् से सम्बंधित है। कहने का भाव यह है दिक् और काल दोनों अपना प्रभाव छोड़ते हैं।
काल कारक है। प्रत्येक क्रिया काल में ही घटित होती है। क्रिया का कारक काल है। स्वाति नक्षत्र में बूँद का गिरना काल है। ऊपर से नीचे की ओर बूँद का गिरना क्रिया है। "घटना" दोनों का ,"समय" और "स्थान" का जोड़ है।
Space and Time taken together describe an event .
एक वृत्तांत लीजिये संत और चोर दोनों मंदिर की ओर जा रहे हैं। संत पूजा अर्चना के लिए चोर चोरी के लिए। चरण क्रिया है। फलार्थ भिन्न होंगे ।
बच्चे के मुख से निकली बात उसके अपने समय में सहज है वही बात कोई बड़ा कहे तो विक्षेप बन जाएगी।
11 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर.संगति से आचार-व्यवहार प्रभावित होता है.
नई पोस्ट : इच्छा मृत्यु बनाम संभावित मृत्यु की जानकारी
सत्य वचन.कोई घटना सही समय व सही संगति पर ही फल देती है..
बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति
जैसी संगति वैसा आचरण हो ही जाता है ..
बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति
जैसी संगति वैसा आचरण हो ही जाता है ..
अच्छी व्याख्या !
विस्मित हूँ !
अच्छी व्याख्या !क्रपया रोबो टेस्ट हटाएँ !
विस्मित हूँ !
kripaaya robot test hatayen
सत्य वचन ...
पर आज के दौर में लोग स्वाति की बूँद का दोष निकालते हुए दिखाई देते हैं ...
waah
आपकी लिखी रचना बुधवार 10 दिसम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद! 8180
आपकी लिखी रचना बुधवार 10 दिसम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद! 8180
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