सोमवार, 29 सितंबर 2014

आध्यात्मिक शक्तियों की भूमिका

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सदी रही इक्कीस  की, रहा सितम्बर मास ।
प्रवचन दिया नरेंद्र ने, हिन्दु धर्म पर ख़ास।

हिन्दु धर्म पर ख़ास, बदल जाती वह काया।
आया पुन: नरेंद्र, विश्व को राह दिखाया ।

करे राष्ट्र उत्थान, संभाली जबसे गद्दी ।
करता जाय विकास, मिटाता जाय त्रासदी ।


आध्यात्मिक शक्तियों की भूमिका 


आध्यात्मिक शक्तियों की भूमिका 

अपने चार मॉस के प्रारम्भिक शासन काल में ही प्रधानमन्त्री श्री नरेंद्र 

मोदी ने देश की लय ताल और गति और आस्था बदल दी है। उनके 


निमित्त से ऐसा प्रतीत होता है कि भारत का पुरातन वैभव पुन : जागृत हो 

रहा है।अमरीका जैसे शिखरस्थ आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि से समृद्ध और 

अपनी सर्वोच्च राजनीतिक स्थिति से आत्मतुष्ट देश में प्रधानमंत्री मोदी 

ने  भारतीय प्रज्ञा को अपनी वाणी से किस प्रकार प्रतिष्ठित किया है उससे 

क्या यह नहीं लगता कि विश्व की नियामक आध्यात्मिक शक्ति भारत 

देश के पुनर -उथ्थान को पुन : स्थापित करने को क्रियाशील हो उठी है। 

              
         ईश्वर के इस लीला विधान के सामने ऐसा कौन सा व्यक्ति होगा 

जो  अपनी नास्तिक रूढ़ियों से स्वयं को मुक्त न करेगा। यह मात्र व्यक्ति 

के कर्ता भाव का परिणाम नहीं है -सूक्ष्म जगत की आध्यात्मिक शक्ति 

इसको संचालित कर रही है। 

ॐ  शांति शांति शान्ति। 


मेडिसन स्क्वॉयर में नरेंद्र 

मोदी बोले छोटा हूं, छोटे-छाेटे 

काम करूंगा


पीएम ने मै़डिसन स्क्वेयर पर भारतीयों का अभिवादन किया



न्यूयॉर्क। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वायर गार्डन स्टेडियम में पूरे विश्व को संबोध‍ित कर रहे हैं। मोदी के भाषण के मुख्य अंश इस प्रकार हैं।  

  • अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की वजह से भारत पूरे विश्व में ख्याति प्राप्त कर रहा है। 
  • जिस वक्त लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे आये उस वक्त अमेरिका में भी हजारों लोग सो नहीं पाये थे। आज मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने हिंदुस्तान आकर महीनों तक रहकर अभूतपूर्व विजय दिलाने में मदद की।
  • 30 साल बाद जो जीत मिली उसके परिणाम किसी पोलिटिकल पंडित के गले नहीं उतरते थे। ओपिनियन पोल भी ओपिनियन बनाने में विफल रहे। 
  • गरीब से गरीब व्यक्त‍ि की लोकतंत्र में कितन अहमियत है, यह भारत के चुनाव ने बताया, लेकिन चुनाव जीतना सिर्फ पद ग्रहण नहीं होता है। चुनाव जीतना किसी कुर्सी पर विराजने का कार्यक्रम नहीं होता। चुनाव जीतना एक जिम्मेवारी होती है।
  • जबसे पीएम बना हूं, तब से 15 मिनट की भी छुट्टी नहीं ली है। हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जिसके कारण आपको नीचा दिखने की नौबत आये।
नरेंद्र मोदी बोले छोटा हूं, छोटे-छाेटे काम करूंगा



भारत की अपेक्षाओं पर क्या बोले माेदी
  • भारत के प्रत्येक व्यक्त‍ि को हमारी सरकार से बहुत अपेक्षाएं हैं। मैं विश्वास से कहता हूं कि यह सरकार जनसामान्य की आकांक्षाओं को पूर्ण करने में शत प्रतिशत सफल होगी।
  • जब मैं गुजरात का सीएम था, मैंने कहा था जिसको हिंदुस्तान आना है, जल्दी कीजिये, देर मत कीजिये। यहां रहने वाला हर व्यक्त‍ि कितने ही सालों से अमेरिका में बसा हो, अब उसे लगने लगा है कि एक पैर तो हिंदुस्तान में रखना ही चाहिये। 
  • सारा विश्व इस बात से कंविंस्ड है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। लेकिन तमाम लोग कहते हैं कि 21वीं सदी भारत की है। कोई ऐसे ही नहीं कहता है, भारत के पास वो क्षमता और संभावनाएं हैं। अब आप संजोग भी हैं। 
  • आप कल्पना कीजिये, आज हिंदुस्तान दुनिया का सबसे नौजवान देश है। दुनिया की सबसे पुरातन संस्कृति वाला देश है। आज भारत में 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से नीचे है। जिसके पास सामर्थवान भुजाएं हों, जिसकी उंगलियों में कंप्यूटर से दुनिया को जोड़ने की ताकत भरी हो, जिस देश का नौजवान अपनी सामर्थ से भविष्य बनाने में सक्षम हो, उस देश को पीछे मुड़ कर देखने की आवश्यकता नहीं। 
  • निराशा का अब कोई कारण नहीं है। मैं बहुत विश्वास के साथ कहता हूं, कि ये देश बहुत तेज गति से आगे बढ़ने वाला है। इन नौजवानों की सामर्थ से आगे बढ़ने वाला है।
भारत के पास 3 ऐसी चीजें हैं, जो दुनिया में किसी के पास नहीं। इन शक्त‍ियों को पहचानने की जरूरत है। हमारी इन तीश शक्त‍ियों को एक दूसरे के साथ जोड़कर मोबिलाइज करें।
1. डेमोक्रेसी-लोकतंत्र: यह हमारी सबसे बड़ी पूंजी है 2. युवा शक्त‍ि 3. डिमांड- दुनिया के बाजार में हर चीज की डिमांड बढ़ रही है।
विकास को एक जन आंदोलन बनायें
  • अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र है, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। सारी दुनिया के लोग, अमेरिका में आकर बसे हैं और भारत के लोग सारी दुनिया में जाकर बसे हैं।
  • अमेरिका का कोई शहर ऐसा नहीं है, जहां दुनिया का कोई व्यक्त‍ि न मिले, दुनिया का कोई ऐसा देश नहीं है, जहां भारतीय न मिले। 
  • सरकार ज्यादा से ज्यादा अपनी स्कीम लागू कर सकती है, सड़क, स्कूल, आदि बनाने में, लेकिन विकास तब होता है, जब जन भागीदारी होती है। 
  • दुर्भाग्य से अब तक हमारे देश में सरकारों ने डेवलपमेंट का ठेका लिया था। हमने डेवलपमेंट की जिम्मेदारी जनता के संग मिलकर करने का रास्ता अपनाया। 
  • सरकार का दायित्व बनता है, गुड गवरनेंस। आपकी पीड़ा को मैं भलीभांति जानता हूं। इसलिये हमारी कोश‍िश है कि हम, विकास को एक जन आंदोलन बनायें। 
  • करीब हजार बारह सौ साल तक हम गुलाम रहे। इतिहास पलट कर देखें, तो हर समय कोई न कोई जरूर था, जिसने देश के लिये बलिदान दिया। देश के लिये कितना बलिदान दिया गया है। हर युग में महापुरुषों ने देश के लिये बलिदान दिये। वे बलिदान देते थे, फांसी पर चढ़ जाते थे, फिर कोई नया पैदा होता था, फिर वो खत्म हो जाता था, फिर तीसरा आता था। 
मंगलयान की उपलब्ध‍ि
  • भारत में किसी भी शहर में एक किलोमीटर की यात्रा के लिये 10 से 15 रुपए लगता है। हमें पूरी तरह स्वदेशी मंगलयान से मंगल ग्रह पर जाने में सिर्फ 7 रुपए प्रति किलोमीटर लगा।
  • 7 रुपए में एक किलोमीटर। यह हमारा टैलेंट नहीं है तो क्या है। दुनिया में हिंदुस्तान पहला देश है, जो पहले ही प्रयास में मंगल पर पहुंचने में सफल हुआ है। और अमेरिका में सिर्फ नीचे ही नहीं मार्स में भी बात कर रहे हैं। 22 को अमेरिका और 24 को हम पहुंच गये। हॉलीवुड की फिल्म बनाने में जितना खर्च होता है, उससे कम खर्च में हम मंगल पर पहुंच गये।
  • जिस देश के पास इतना टैलेंट हो, वो देश कई ऊंचाईयां पार कर सकता है। हमने इसके लिये स्क‍िल डेवलपमेंट का बीड़ा उठाया है। इसके जरिये हम आधुनिक हिंदुस्तान खड़ा करेंगे। नई सरकार ने स्क‍िल डेवलपमेंट के लिये पूरा मंत्रालय बना दिया है।
  • हम दो प्रकार के स्क‍िल डेवलपमेंट करना चाहते हैं- पहला जो जाॅब क्रिएटर बने, दूसरा जॉब पाने वाले। 
  • इतने सारे बैंक होने के बाद भी भारत में 50 प्रतिशत से ज्यादा लोगों के पास बैंक में खाता ही नहीं है। 
  • क्या सरकार का धन गरीब के लिये काम नहीं आना चाहिये, क्या सरकारी खजाना सिर्फ अमीरों के लिये होना च‍ाहिये। इन्हीं सवालों का हल खोजने के लिये जनधन योजना लागू की। 
मेक इन इंडिया का प्रोमोशन
  • अगर आपको अच्छी गवरनेंस चाहिये, अगर मैनपावर चाहिये और लो कॉस्ट प्रॉडक्ट बनाने हैं, तो भारत से अच्छी कोई जगह नहीं।
  • यह मेक इंडिया कैम्पेन ही है, जिसके जरिये आप मोबाइल फोन के जरिये भारत सरकार से जुड़ सकते हैं। 
  • मैंने mygov.in वेबसाइट खोली है, जिसके जरिये आप भारत का भाग्य बदलने के लिये अपने सुझाव दे सकते हैं। 
  • टेक्नोलॉजी के जरिये हम अपनी ताकत का प्रदर्शन कर सकते हैं। 
  • हमारी पहली सरकारें कानून बनाने पर गर्व करती थीं। हमने ये कानून बनाया, हमने वो कानून बनाया। 
  • मैंने काम दूसरा शुरू किया है। मैंने कानून जितने पुराने हैं, बेकार हैं, उनको खत्म करने का शुरू किया है। 
  • इतने आउडेटेड कानून, ऐसा जाल, जिसमें कोई भी गया, तो बाहर निकालना मुश्कि‍ल हो जाये। 
  • अगर हर दिन एक कानून खत्म कर दूं, तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी।
  • बेकार कानूनों को खत्म करने के लिये हमने एक कमेटी बनायी है। 
सफाई अभि‍यान टॉयलेट बनाने का काम
  • लोग पूछते हैं, बड़ा विजन बताओ, बड़ा विजन। मैंने कहा भाई देख‍िये, मैं चाय बेचते-बेचते यहां आया। (मोदी के यह कहते ही स्टेडियम में सभी लोग खड़े हो गये। और मोदी की आंसू भर आये)।
  • मैं बहुत ही छोटा इंसान हूं। मैं छोटा हूं, इसलिये मेरा मन भी छोटे-छोटे काम करने में लगता है। और छोटे-छोटे लोगों के लिये काम करने में मेरा मन लगता है।
  • छोटा हूं इसलिये छोटे-छोटे लोगों के लये बड़े-बड़े काम करने का इरादा रखता हूं।
  • गंगा नदी को ही ले लीजिये। हमारी गंगा शुद्ध होनी चाहिये कि नहीं, गंगा सफाई में देशवासियों की मदद करनी चाहिये कि नहीं। पक्का करोगे। 
  • अब तक हजारों करोड़ खर्च हो चुका है। मैंने जब यह बात उठाई तो लोगों ने कहा ये कठिन है। मैंने कहा अगर सरल चीजों को करना होता तो देश मुझे पीएम नहीं बनाता। देश की जिसमें आस्था है, उसमें मेरी भी आस्था है।
  • दुनिया में पर्यावरण को लेकर जितनी चिंता होती है, उस दृष्टि‍ से भी गंगा की सफाई आवश्यक है। इतना ही नहीं, गंगा के किनारों की जो अवस्था है- उत्तराखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल... आदि हों... करीब-करीब 40 प्रतिशत भारत की आर्थ‍िक प्रगति गंगा मैया पर निर्भर है। इसलिये एक प्रकार से बहुत बड़ा इक्नॉमिक एजेंडा भी है।
प्रवासी भारतीयों के लिये घोषणाएं
  • महात्मा गांधी भी एक प्रवासी भारतीय थे। वो जनवरी 2015 में गांधी के भारत में आने के 100 साल हो रहे हैं। जनवरी में ही प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। इस बार प्रवासी भारतीय दिवस अहमदाबाद में होने वाला है। महात्मा गांधी प्रवासी भारतीय बने, तमाम सुख भोग सकते थे, लेकिन नहीं वो भारत आये और उन्होंने भारत को आजादी दिलायी।
  • अाज सभी प्रवासी भारतीयों से निवेदन है कि आप भी अपने देश का कर्ज चुकाने के बारे में सोचें।
  • पीआईओ कार्ड होल्डर को आजीवन वीजा दिया जायेगा। यह निर्णय हमने लिया है। उससे भी आगे जो लंबे समय तक हिंदुस्तान में रहते हैं, उनको पुलिस थाने जाना पड़ता है, अब उन्हें थाने नहीं जाना पड़ेगा। 
  • उसी प्रकार से पीआईओ और ओसीआई दोनों के प्रावधानों में फर्क होने के कारण भारतीय मुल्क के लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। खास तौर से स्पाउस के भारतीय नहीं होने पर। कुछ ही महीनाें में हम पीआईओ और ओसीआई स्कीम्स को मिलाकर एक बना देंगे। नई स्कीम तैयार कर देंगे। 
  • हमारे अमेरिका में दूतावास, भारत में पर्यटन के लिये आने वाले अमेरिकी पर्यटकों के लिये लॉन्ग टर्म वीजा उपलब्ध करायेंगे। 
  • वीजा ऑन अराइवल भी दिया जायेगा, इससे पर्यटकों को भारत आने में आसानी होगी। 
  • आउटसोर्सिंग सर्विस का दायरा बढ़ाया जायेगा, ताकि आपको सरलता से वीजा प्राप्त हो सकेगा।
मोदी ने अंत में कहा, कि आपने मुझे इतना प्यार दिया, इसके लिये आपका आभारी हूं। शायद पिछले 15 साल में किसी राजनेता को इतना प्यार नहीं मिला। मैं आपका कर्ज चुकाउंगा। आपके सपनों का भारत बनाउंगा। हम मिलकर भारत मां की सेवा करें। हमसे जो हो सके, हमारे देशवासियों के लिये करें, जिस धरती में हमने जन्म लिया। इस अपेक्षा के साथ आपका धन्यवाद। भारत माता की जय...


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मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही न्यूयार्क के मेडिसन स्क्वायर गार्डन में बोल रहे थे, लेकिन दिलों में उतर रहे थे महाराष्ट्र के मतदाताओं के। मोदी जब कहते हैं कि चुनाव जीतना एक जिम्मेदारी होती है। मैं जब से इस पद पर बैठा हूं, 15 मिनट का भी अवकाश नहीं लिया है। तो मेडिसन स्क्वायर की तरह ही मुंबई में टेलीविजन के सामने जमे दर्शक झूम उठते हैं, तालियां बजाते हैं। एक-दूसरे के हाथों पर तालियां देते हैं। जैसे मोदी अमेरिका के किसी शहर में नहीं बल्कि मुंबई के किसी मैदान में बोल रहे हों।

देखा गया है कि मोदी भले ही अपनी विदेश याद्दाओं के दौरान वहां के लोगों को संबोधित कर रहे हों, लेकिन उसका संदेश भारत के लिए भी होता है। इसी संदेश को भुनाने का पूरा इंतजाम भाजपा ने मुंबई सहित महाराष्ट्र के दूरदराज स्थित ग्रामीण क्षेत्रों में भी किया था। इन क्षेत्रों में स्क्रीनलगाकर सामूहिक रूप से मोदी का भाषण सुनाने की व्यवस्था की गई थी। ताकि विधानसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र को मोदीमय बनाया जा सके।
महाराष्ट्र भाजपा के प्रवक्ता केशव उपाध्याय कहते हैं कि भारत में सबसे ज्यादा शहरीकरण महाराष्ट्र में हुआ है। महाराष्ट्र के गांवों से लेकर देश भर के युवा बड़ी संख्या में महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे और नासिक जैसे शहरों की ओर आते हैं। यह युवा वर्ग लोकसभा चुनाव में भी मोदी के साथ था, और अब महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में भी वह मोदी के साथ खड़ा रहने को तैयार दिख रहा है।

न्यू यॉर्क के मैडिसन स्क्वेयर में मोदी का मेगा शो


न्यूयॉर्क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को न्यू यॉर्क के मैडिसन स्क्वेयर गार्डन में अपने अमेरिकी दौरे का मेगा शो किया। मोदी, मोदी, मोदी... के शोर के बीच दिए अपने भाषण से मोदी ने वहां मौजूद भारतीय-अमेरिकी समुदाय को मंत्रमुग्ध कर दिया। मोदी के भाषण में भारत की तेजी से बदल रही छवि का जिक्र था, तो साथ ही अपनी सरकार द्वारा उठाए कदम भी उन्होंने गिनाए। मोदी ने भाषण के दौरान प्रवासी भारतीयों को तोहफा देते PIO कार्ड होल्डर्स को आजीवन वीज़ा देने का फैसला किया। मोदी ने लंबे समय तक भारत में रहने वालों को पुलिस थाने जाने जाने की की जरूरत को भी खत्म करने की घोषणा की।

खचाखच भरे मैडिसन स्क्वेयर गार्डन में करीब 19 हजार लोगों की भीड़ के बीच मोदी ने जब अपना भाषण शुरू किया तो मोदी, मोदी, मोदी के नारे हवा में गूंज उठे। मोदी ने अपने भाषण में भारतीयों के हुनर से बदलती देश की छवि का जिक्र किया।

अब हम सांप नहीं माउस से खेलते हैं: मोदी ने भारतीय के कौशल के बलबूते देश की बदलती छवि का जिक्र करते हुए कहा, 'एक समय दुनिया हमें सांप-सपेरों का देश मानती थी, आपने सूचना-तकनीकी में जो क्रांति की है उससे देश की छवि बदली है। ताइवान में एक बार किसी ने मुझसे पूछा कि भारत काले जादू और सांप-संपेरों का ही देश है क्या? मैंने कहा- हमारे पूर्वज सांप के साथ खेलते थे, हम तो माउस के साथ खेलते हैं। आप सबने अपने व्यवहार, संस्कार और क्षमता के जरिए अमेरिका में बहुत इज्जत कमाई है, आपके माध्यम से अमेरिका ही नहीं दुनिया में हमारी सकारात्मक पहचान बनी है।

मैंने 15 मिनट भी छुट्टी नहीं ली है: मोदी ने कहा कि उन्होंने चुनाव कुर्सी पाने के लिए नहीं जीता है। चुनाव जीतना जिम्मेदारी होती है। मैंने जब से पीएम पद का दायित्व संभाला है, 15 मिनट भी छुट्टी नहीं ली है। मैं आपको यकीन दिलाता हूं कि आपने जो मुझे दायित्व दिया है, हम कुछ भी ऐसा नहीं करेंगे जिससे आपको नीचा देखने की नौबत आए। मैं लोगों के सपनों का भारत बनाऊंगा।

गंगा स्वच्छता अभियान में मांगा सहयोगः मोदी ने कहा, 'आप लोगों (NRI) की कभी-कभी इच्छा होती होगी कि अपने माता-पिता को भारत ले जाकर गंगा स्नान करवाएं लेकिन यह इतनी मैली हो चुकी है कि ऐसा करने का आपका मन नहीं करता होगा।' पीएम ने कहा कि गंगा को शुद्ध होना चाहिए और इसके लिए आपकी मदद की जरूरत है। उन्होंने कहा कि गंगा सफाई सिर्फ आस्था नहीं है बल्कि यह जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से भी आवश्यक है।

ऑटो से सस्ता मंगल का सफरः पीएम मोदी ने भारत के सफल मंगल अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि अहमदाबाद में एक आटो में सफर करने का खर्च 10 रुपए प्रति किलोमीटर है लेकिन मंगल अभियान में इस लाल ग्रह तक का 65 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करने में मात्र सात रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च आया। (देखें विडियो...)

मेक इन इंडियाः पीएम मोदी ने कहा कि पूरे विश्व के लोग अमेरिका में रहने आते हैं जबकि भारतीय पूरी दुनिया में रहते हैं।मोदी ने प्रवासियों को भारत आने का न्योता दिया और हाल में शुरू अभियान 'मेक इन इंडिया' के तहत बिजनस शुरू करने का आह्वान कहा।

प्रवासी भारतीय को तोहफाः मोदी ने प्रवासी भारतीयों को तोहफा देते हुए कहा कि PIO कार्ड होल्डर्स की वीजा की कई समस्याएं हैं। हमने फैसला किया है कि उन्हें आजीवन वीज़ा दिया जाएगा। लंबे समय तक भारत में रहने वालों को पुलिस थाने जाना पड़ता है, अब ऐसा नहीं करना पड़ेगा। PIO और OCI स्कीम्स में अंतर से कई समस्याएं पैदा होती हैं। हम दोनों को मिला कर एक स्कीम बनाएंगे। जल्द ही वीज़ा ऑन अराइवल की सुविधा भी लॉन्च कर दी जाएगी। पर्यटन के लिए आने वाले यूएस सिटिजंस को लॉन्ग-टर्म वीज़ा मिलेगा।

जन-धन योजना का जिक्रः प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जन-धन योजना के तहत बैंकों में अबतक करीब 1500 करोड़ रुपए जमा हुए हैं जबकि लोग शून्य धनराशि से भी नया खाता खुलवा सकते थे। पीएम ने कहा कि इस योजना में करीब चार करोड़ नए खाते खोले जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि देश में आधे से ज्यादा परिवारों के पास बैंक खाते नहीं है।

छोटा इंसान, बड़ा विजनः देश की विशाल आबादी की एक बड़ी बुनियादी समस्या 'शौचालय' के अभाव को दूर करने के लिए अपने दृष्टिकोण को मोदी ने छोटे आदमी की बड़ी सोच की संज्ञा दी। पीएम मोदी ने कहा कि मैं एक छोटा आदमी हूं और छोटे लोगों के लिए बड़े काम करने की इच्छा रखता हूं।

मोदी ने कहा कि पीएम बनने के बाद जब वह साफ-सफाई और शौचालय आदि बनाने की बात करते हैं तो लोगों को अजीब सा लगता है और वे कहते हैं, 'कोई बड़ा विजन बताओ।' उन्होंने कहा, 'ऐसा कहने पर मैं कहता हूं कि भाई देखिये, छोटा इंसान हूं, सामान्य इंसान हूं। मेरा बचपन ही ऐसा बीता है। छोटा हूं इसीलिए मेरा मन भी छोटे-छोटे काम में लगता है और छोटे-छोटे लोगों के लिए काम करने का मन करता है लेकिन छोटों के लिए बड़े-बड़े काम करने की इच्छा रखता हूं।

गंदगी मुक्त भारतः प्रधानमंत्री बनने के बाद शौचालय बनाने की बात करने पर लोग सवाल उठाते हैं कि क्या यह पीएम के काम हैं लेकिन मैं नहीं जानता और मैंने तय किया है कि मैं टॉइलेट बनाने के काम करूंगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को दो बातें प्रिय थी। एक देश को आजादी दिलाना और देश को स्वच्छ बनाना। उन्होंने सवाल किया कि जब गांधीजी ने देश को आजादी दिला दी तो क्या हमारा यह दायित्व नहीं है कि हम भारत को गंदगी से मुक्त करें।

व्यर्थ के कानून खत्म करने में आनंदः मोदी ने पूर्ववर्ती सरकारों पर तंज कसते हुए कहा कि वह नए-नए कानून बनाने के लिए अपनी पीठ थपथपाती थीं जबकि उनकी सरकार ने पुराने पड़ चुके कानूनों को खत्म करने का बीड़ा उठाया है। मोदी ने कहा, 'पहले की सरकारें इस बात पर गर्व किया करती थी कि उन्होंने कितने कानून बनाए लेकिन मैंने इसका उलटा शुरू किया है। मैंने जितने बेकार कानून हैं, सबको खत्म करने का फैसला किया है।

30 साल बाद पूर्ण बहुमतः मोदी ने अपने भाषण में लोकसभा चुनाव में भारतीय के योगदान के लिए आभार जताया। मोदी ने कहा, 'आप में से कुछ को ही मतदान का मौका मिला होगा, लेकिन नतीजों के लिए आप में से कोई सोया नहीं होगा। जितना जश्न हिंदुस्तान मना रहा था, उससे भी कई गुना जश्न यहां भारतीय समाज मना रहा था। भारत के चुनाव अभियान में जुड़ने वाले लोगों को मैं थैंक्स कहता हूं। 30 साल के बाद भारत में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनी है।'

आलोचकों पर निशानाः पीएम ने लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी नतीजों के अनुमानों पर तंज कसते हुए कहा, 'कोई भी राजनीतिक पंडित या जनमत को प्रभावित करने वाले इस प्रकार के जनादेश को भांप नहीं पाए।' मोदी ने कहा कि चुनाव जीतने के साथ ही एक बड़ी जिम्मेदारी आ गई है. जबसे मैंने काम संभाला है, 15 मिनट की भी छुट्टी नहीं ली है।

अमरीका में 

मोदी का शक्ति प्रदर्शन









मैडिसन स्कवेयर पर नरेंद्र मोदी का चित्र बनाता कलाकार

न्यूयॉर्क के ऐतिहासिक मैदान मेडिसन स्कवेयर गार्डन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को लेकर मेले जैसा माहौल है.



क़रीब 20,000 की क्षमता वाला यह स्टेडियम भारतीय मूल के लोगों से भरा पड़ा है. मोदी के संबोधन से पहले कई रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए.





मैडिसन गार्डेन

कार्यक्रम की शुरुआत में गुजराती महिलाओं के गरबा नृत्य ने समां बांधा.
इसके अलावा जानी-मानी गायिका और पद्मश्री कविता कृष्णमूर्ति ने गीत गाया. इसके अलावा भारत के विभिन्न अंचलों के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए.

ऐतिहासिक दिन

मौके पर मौजूद सैमसंग के थिंक टैंक और गुजरात के रहने वाले प्रणव मिस्त्री ने बीबीसी संवाददाता ब्रजेश उपाध्याय से कहा, "ये हमारे लिए बहुत अच्छा मौका है, एक ऐतिहासिक दिन है. भारत के भविष्य के लिए उनके विचार सुनना आनंद का विषय है."





मेडिसन गॉर्डन

उन्होंने कहा, "मैं खुद गुजरात से हूँ इसलिए मैं जानता हूँ कि उन्होंने क्या किया है गुजरात में. उनकी क्षमता पर कोई शक नहीं है. उन्होंने ये बदलाव लाने शुरू भी कर दिए हैं."
मोदी नौजवानों को भारत बुला रहे हैं. इस पर वे कहते हैं, "निश्चित तौर पर मैं भी जाऊंगा."
कार्यक्रम के कोरियोग्राफर राजीव किंची ने कहा, "हम दो महीने से इस कार्यक्रम में भाग लेने का अभ्यास कर रहे हैं और यहां परफॉर्म करने के लिए बहुत उत्साहित है."

यूनिटी, ऐक्शन, प्रोग्रेस

स्टेडियम के अंदर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है मोदी इन अमेरिका, यूनिटी, ऐक्शन, प्रोग्रेस.
ठीक मंच के ऊपर गुब्बारों से भारत और अमरीका का झंडा बनाया गया है और ये गोलाकर मंच धीरे-धीरे घूमता रहेगा.





मैडिसन गार्डेन

जब तक मोदी अपना भाषण खत्म करेंगे वो 360 डिग्री का चक्कर लगा चुके होंगे.
आयोजकों के अनुसार इस पूरे शो का कुल खर्च लगभग 15 लाख डॉलर आया है.
उनका कहना है कि ये पूरा पैसा लोगों ने स्वेच्छा से दिया है.
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शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

तुलसी भरोसे राम के रह्यो खाट पे सोय

 -
Tulsidas Painting by Indra Sharma. 

तुलसी भरोसे राम के रह्यो खाट पे सोय,

अनहोनी होनी नहिं ,होनी होय सो होय। 

राम के भरोसे कर्म करके निश्चिन्त हो जाओ। अ -कर्मय  होकर सो नहीं 

जाओ। कर्म बंधन में जो बांधता नहीं है वही  राम के भरोसे किया 

गया 

कर्म है (निष्काम कर्म है )अगर कर्ता भाव रखोगे तो  बंधन में 

आ   जाओगे। निश्चिन्त होकर सो नहीं सकोगे। 

अंतस्थ में शान्ति रखो और फिर घोड़े बचके सो जाओ। खाट पे इस तरह 

वही सोयेगा जो निश्चिंत होगा। मैं  ने अपनी तरफ से सौ फ़ीसदी कर दिया 

आगे राम जाने। यहां दीक्षा कर्म की देते हैं महाकवि तुलसी। बिना परिश्रम 

के ,बिना कर्म के तो शरीर का निर्वाह भी नहीं होगा। 

बिना कर्म के क्षुधा का निवारण कैसे होगा ?अर्थात कर्म करो उसके फल 

को -

राम के भरोसे छोड़कर सो जाओ। 

तुलसी ने अन्यत्र भी कहा है -

हम चाकर रघुबीर के पटब  लिखो दरबार ,

तुलसी अब का होहिहैं ,नर को मनसबदार।

उसके (ईश्वर ) दरबार में हमारी चाकरी का पट्टा लिख दो। हम उसी के 

चाकर हैं मनुष्य की गुलामी करके क्या करेंगे। जो भी कर्म करेंगे उसी के 

लिए उसी के भरोसे करेंगे।

एक भरोसे एक बल ,एक आस  विश्वास ,

एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास ,

(राम रूप घनश्याम हित ,चातक तुलसीदास ). 


अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम ,

दास मलूका कह गए सबके दाता राम। 

यहां भी यही भाव। 

एक वृत्तांत सुनाते हैं :

एक मर्तबा कुछ लोग नाव से नदी पार जा रहे थे। अचानक जोर का तूफ़ान 

आया। सब लोग नाव से पानी बाहर उलीचने लगे। एक साधू भी नाव  में 

बैठा था। वह पानी बाहर न उलीचकर नाव के अंदर ठेलने लगा।   लोगों को 

बहुत 

गुस्सा आया। थोड़ी देर बाद तूफ़ान थम गया पानी उतरने लगा वह  अब 

पानी बाहर उलीचने लगा। लोगों ने कहा ,परस्पर पूछा -बड़ा अजीब 

आदमी 

है सब काम उलटे करता है. साधू बोला मैं तो दोनों बार भगवान की ही 

सहायता कर रहा था। जब तूफ़ान बढ़ रहा था तब भी और अब भी जैसी 

राम की मर्जी। 

Birth & Parentage:
Tulsidas was born to Hulsi and Atmaram Shukla Dube in Rajpur, Uttar Pradesh, India in 1532. He was a Sarayuparina Brahmin by birth and an incarnation of Sage Valmiki, the author of the Sanskrit Ramayana. It is said that Tulsidas did not cry at the time of his birth, and was born with all thirty-two teeth intact. In his childhood, he was known as Tulsiram or Ram Bola.

From Family Man to Ascetic:
Tulsidas was passionately attached to his wife Buddhimati until the day she uttered these words: "If you would develop for Lord Rama even half the love that you have for my filthy body, you would certainly cross the ocean of Samsara and attain immortality and eternal bliss". These words pierced his heart. He abandoned home, became an ascetic, and spent fourteen years visiting various sacred places. It is said that Tulsidas met Lord Hanuman, and through him had a vision of Lord Rama.

Immortal Works:
Tulsidas wrote 12 books, the most famous being the Hindi Ramayan — “The Ramcharitmanasa” that is read and worshipped with great reverence in every Hindu home in Northern India. An inspiring book, it contains sweet couplets in beautiful rhyme in praise of Lord Rama. “Vinaya Patrika” is another important book written by Tulsidas.

Wanderings & Miracles:
Tulsidas lived in Ayodhya for some time, and then shifted to Varanasi. He once went to Brindavan to visit the temples of Lord Krishna. Seeing the statue of Krishna, he said, "How shall I describe Thy beauty, O Lord! But Tulsi will bow his head only when You take up bow and arrow in Your hands". The Lord revealed Himself before Tulsidas in the form of Lord Rama with bow and arrows.

It is believed that Tulsidas’s blessings once brought the dead husband of a poor woman back to life. The Moghul emperor in Delhi came to know of this miracle and sent for Tulsidas, asking the saint to perform some miracles. He declined saying, "I have no superhuman power, I know only the name of Rama", only to see himself behind the bars. Tulsi then prayed to Lord Hanuman as countless powerful monkeys invaded the royal court. The emperor released him from prison asked Tulsi to pardon him.

Last Days:
Tulsi left his mortal body and entered the Abode of Immortality and Eternal Bliss in 1623 A.D. at the age of 91. He was cremated at Asi Ghat by the Ganga in the holy city of Varanasi (Benaras).

संवत सोलह सो असि असि गंग  के तीर ,

श्रावण शुक्ला सप्तमी तुलसी तज्यो शरीर। 




बुधवार, 24 सितंबर 2014

Nothing is born

इस संसार में पैदा कुछ भी नहीं होता है 


Shvetashvatara U vs 1.9 June 25, 2013


Jeeva (जीव )is one which is endowed with ignorance .

जो अज्ञान लेकर ही इस जगत में आया है वही जीव कहलाता है। पूछा जा 

सकता है। अज्ञान का उद्गम क्या है ? कहाँ से आया अज्ञान। पूछा फिर 

यह भी जाएगा -अज्ञान से पहले क्या था ?

"ज्ञान "-यही उत्तर मिलेगा न जो एक खतरनाक  निष्कर्ष है।  इसका 

मतलब यह हुआ ज्ञान को विस्थापित करके फिर से अज्ञान आ गया था।

 फिर वेद -उपनिषद पढ़ना बेकार हो जाएगा। अज्ञान ही तो हटाते हैं 

उपनिषद इसीलिए इन्हें वेदों का ज्ञान- काण्ड कहा गया है। और इसे 

हटाकर 


अज्ञान आगया ?

यथार्थ यह है -

अज्ञान कभी पैदा ही नहीं हुआ था। 

जीव भी कभी पैदा ही नहीं हुआ था। 

साइबेरिया में रहती थी वह औरत -

जिसके जीवाश्मों से पहला DNA प्राप्त हुआ था। और इस होमिनोइड से 

पहले का विकास क्रम  देखें - पीछे चलते जाएंगे आप जीवों के इस विकास 

क्रम में मकाक मंकी से भी पीछे की ओर  की यात्रा में घड़ी  की सुइयों  को 

पीछे लेते जाइयेगा। जी हाँ अमीबा से भी पहले। कहाँ जाकर रुकेंगे आप ?

महान (प्रधान या महत तत्व पर )ईश्वर ने चाहा और सृष्टि निसृत हो गई।

बना कुछ नहीं पैदा कुछ नहीं हुआ सिर्फ निसृत हुआ एक में से दूसरा 

,दूसरे  

में से तीसरा .......... . 

 पहले आदिपुरुष ब्रह्मा (SECONDARY CREATOR )निसृत हुआ 

ईश्वर में से फिर- महान। 

महान से -

अहंकार।

 अहंकार से पहले आकाश बना। आकाश का गुण ध्वनि (शब्द 

)था। आकाश से वायु बनी जिसमें आकाश का गुण तो आया ही अपना भी 

एक गुण स्पर्श और आ गया। फिर वायु के संघर्षण से पैदा हुई अग्नि 

जिसमें आकाश का गुण ध्वनि ,वायु का गुण स्पर्श और एक अपना गुण 

रूप भी आ गया। अग्नि पहला ऐसा महाभूत था पांच महाभूतों में जिसे 

देखा जा सकता था। अग्नि से जल बना जिसमें ध्वनि -स्पर्श -रूप के 

अलावा रस(स्वाद ) का गुण और जुड़ गया गुणोँ के रूप में। जल से पृथ्वी 

पैदा हुई जिसमें एक और गुण गंध का भी जुड़ गया।

ईश्वर भी कहाँ पैदा हुआ ?

उसे तो कहते ही पुराण है यानी जो पुराने से भी पुराना है अर्वाचीन है और 

सदैव नूतन भी। 

"that which is ancient and ever new is Ishwara "

सबूत ?

"one who is the observer of everything is never born ."  

THERE IS TRIAD OF UNBORN .

JEEVA-ISHWARA -JAGAT 

पूछा जा सकता है फिर बिग बेंग (Big Bang )का क्या होगा ?

"big bang is only talking of manifestation of space ,time and every 

thing else "

जगत ईश्वर से अलग नहीं है वैसे ही जैसे मिट्टी  से बना बर्तन मिट्टी  से 

अलग नहीं है। रूप और आकार हटा दो बर्तन गायब हो जाएगा लेकिन 

उसका सत्य (उपादान कारण )मिट्टी रहेगी। 

"pot is not an entity which is separate from clay "

" golden ornaments are not separate from gold ,there underlying 

truth is gold ,all golden ornaments have only one reality that is gold ."

Where ever there is creation  there is this feminine principle -

Godess Maya (JAGAT )

माया परमात्मा (ईश्वर )से अलग नहीं है। ईश्वर की शक्ति है लेकिन जीव 

के लिए अज्ञान है। शक्ति (ईश्वर )शक्तिमान से अलग नहीं है। 

SHE (MAYA )IS HE (ISHWARA )AND HE IS SHE THAT IS 

WHY ALL 

THE HINDU DEITIES ARE HAPPILY MARRIED .THERE IS 

NO SEPARATION .

JEEVA ,ISHAWAR ,MAYA ARE  ALL UNBORN .

MAYA IS ONE WITH JAGAT .

MAYA IS ONE WITH JEEVA AS IGNORANCE .

THE SAME MAYA MANIFESTS AS THE POWER OF GOD 

.SHE IS ALL KNOWLEDGE AND ALL POWER WITH 

ISHAWARA AND ALL IGNORANCE WITH JEEVA i.e  IS 

THE 

DILEMMA.

जो पैदा नहीं होता उसका अस्तित्व देश ,काल और किसीवस्तु पर 

निर्भर  नहीं करेगा जैसे आत्मा -परमात्मा जबकि -

जगत आज है कल नहीं है उसका अस्तित्व देश ,काल और वस्तु पर 

निर्भर 

करता है। 

जायते गच्छति इति जगत :

SELF(SOUL ) IS LIMITLESS ,INDEPENDENT OF SPACE 

TIME AND 

ANY OTHER OBEJECT .

सत्यम ज्ञानम् अनन्तं(सच्चिदानंद -सत +चित +आनंद )-यही मेरा 

स्वरूप है। 
-
IT IS CONSCIOUSNESS WHOSE EXISTENCE IS LIMITLESS .

JAGAT HAS EXISTENCE DEPENDENT ON SPACE AND 

TIME .

ATMA CAN NOT BE OBJECTIFIED BECAUSE IT IS THE 

SAME IN EVERY PERSON .

THER IS ONLY ONE I ONLY ONE CONSCIOUS 

OBJECT.DIFFERENT PERSONS HAVE DIFFERENT 

UPADHIS 

(BODIES)BECAUSE OF THEIR THREE  TYPES OF KARMAS 

SANCHIT ,PRARABDH ,AGAMI KARMAS  ARE DIFFERENT 

IN THEM .

NOTHING HERE IN THE UNIVERSE IS WITHOUT THE 

PRESENCE OF ISHAWARA .

ALL ISNESS (ISES ,PLURAL OF IS )IS ISHWAR .

IS का सम्बन्ध ईश्वर से है। 

यह जगत ईश्वर की ही अभिव्यक्ति है इसकी हर चीज़ में वह मौजूद है 

लेकिन वह स्वयं इनमें से कोई भी चीज़ नहीं है। 

फूल ,लकड़ी की मेज और स्वयं तीनों का होना ईश्वर पर निर्भर करता है। 

उनकी इज़्नेस ईश्वर है लेकिन ईश्वर न फूल है न लकड़ी है न स्वान।

FLOWER IS .

EXISTENCE OF FLOWER OR ANY OTHER OBEJECT 

DEPENDS ON ISHWARA . BUT ISHWARA IS NONE OF 

THEM .

THE ISNESS OF FLOWER IS ISHWARA .

THE I IN THE ISHAWARA IS ME (I).DUE TO THE EGO 

(AHANKAR )THE I IS SEPARATED FROM ISHAWARA AND 

CONSIDERS HIMSELF THE DOER AND THE ENJOYER 

(THE 

EXPERINECER )AND HENCE ALL THE IGNORANCE SINCE 

ETERNITY .

JEEVA HAS BECOME PEEVA AND IS DOING PAIN ,PAIN 

,PAIN (पै ,पैं ,पैं ,पीं पीं ).

श्वेताश्वतर उपनिषद के पहले अध्याय का यह नौवां मंत्र (श्लोक )है 

सन्दर्भ सामिग्री :





















सोमवार, 22 सितंबर 2014

कंचन तजना सहज है ,सहज त्रिया का नेह , मान ,बड़ाई, ईरखा (ईर्ष्या का प्राकृत रूप )तीनों दुर्लभ येह

(१) कंचन तजना सहज है ,सहज त्रिया का नेह ,

मान ,बड़ाई, ईरखा (ईर्ष्या का  प्राकृत रूप )तीनों दुर्लभ येह।



महाकवि तुलसीदास इस दोहे में कहतें हैं कि जब तक तुम्हारे मन में किसी के भी प्रति ईर्ष्या भाव है ,तुम आत्मश्लाघा (आत्म प्रशंशा )से ग्रस्त हो ,सब जगह मान चाहते हो ,सब जगह मी फस्ट भाव लिए हो तुम्हारा अहंकार शिखर छू रहा है तब तक तुम्हें ईश्वर के दर्शन नहीं होंगें। इन्हें तजना सहज नहीं है।

स्वर्ण के प्रति मोह और नारी के  प्रति आसक्ति  सकती एक बार व्यक्ति त्याग सकता है लेकिन बड़े बड़े ऋषि मुनि भी मान -सम्मान ,बड़ाई और ईर्ष्या से ऊपर नहीं उठ सके हैं ये तीनों हमें हमारे असली स्वरूप ब्रह्मण से दूर रखते हैं  . जबकि ब्रह्म (सेल्फ )तो सदैव  ही आनंद स्वरूप है ,सनातन चेतना है ,सनातन अस्तित्व है। फिर अपने ज्ञान का इस नश्वर शरीर का गुमान कैसा ?कैसा मान और कैसा अपमान?शरीर का न मान होता है न अपमान शरीर तो ख़ाक हो जाता है। फिर भी हमें कोई अप्रिय बोल देता है तो हम बरसों अकड़े रहते हैं।

ये तन आखिर ख़ाक बनेगा क्यों मगरूर गरूरी में ?

(२) पानी  बाढ़ै नाव में ,घर में  बाढ़ै दाम ,

दोनों हाथ उलीचिये यही सज्जन को काम।

कवि कहता है धन से ,अतिरिक्त धन से आसक्ति अच्छी नहीं है। धन अपने आप में बुरा नहीं है आसक्ति बुरी है। ये फिर और कुछ नहीं करने देती ,हम उतना ही धन खर्च करें जितना हमारे शरीर निर्वाह के लिए ज़रूरी है शेष दान कर दें परोपकार में लगा दें ,वरना धन तो जाता ही है सजा अलग मिलती है इस लोक में धन के पकड़े जाने पर ,परलोक में दूसरों का हिस्सा हड़पने की वजह से ,यह वैसे ही जैसे जीवन निर्वाह के लिए यद्यपि जल ज़रूरी है यहां तक के जल को  जीवन भी कह दिया गया है उसी जल का आधिक्य हमारी जल-विषाक्तण की वजह से मृत्यु की वजह भी बन सकता है आप किसी व्यक्ति को एक साथ १२ लीटर पानी पिला दें वह वाटर टोक्सीमिया से मर जाएगा। गुर्दे एक साथ  इतना पानी हैंडिल ही नहीं कर सकते। नाव में जल बढ़ा जाने पर नाव डूब जाती है अत :जल की तीव्र निकासी करनी पड़ती है।

Shvetashvatara Upanishad Verse 1.6


https://www.youtube.com/watch?v=C7gbNCJTDMk