गुरुवार, 7 मई 2009

आज फ़िर जीने की तमन्ना है .

हर्ष का विषय है अखिल भारतीय प्रशाशनिक सेवा ( आई ऐ एस )मेंमहिलायों का शीर्ष पर आना ,उससे भी ज्यादा खुशी इस बात पर है ,हिन्दी माध्यम ने झंडे गाढे ,दरसल भाषा की गुलामी हमारी चेतना पर बोझ है ,पूर्व प्रधान मंत्री नर्सिघ राव जी ने कहा था :कितनी अजीब बात है ,हिन्दी हमारी राष्ट्र भास्षा है ,फ़िर भी ,हिन्दी दिवस मानना ,मनाना पड़ता है ,घान्धी जी ने १५ अगस्त १९४७ को कहा था "मैं आज अंग्रेज़ी बोलनी भूल गया हूँ ,"मतलब साफ़ था :देश की आज़ादी भाषा की और भाषा की आज़ादी देश की सच्ची आज़ादी है .आज भी हिन्दी फॉण्ट की अल्प उपलब्धता साहित्य और साहित्य कार के बिच ही अवरोध बनी हुई है ,जबकि कंप्यूटर एक ज़रिया है ,आप के साहित्यिक अवधान को सँजोकर रखने का ,कंप्यूटर साक्षरता भी आदे आ रही है ,उमीद की किरण आई आई टी ,कानपूर ने पैदा की है ,नया हिन्दी सॉफ्टवेयर रचकर ,जो विज्ञानं को हिन्दी में उतारेगा.हिन्दी के प्रचार में बोलीवुड का अपना योगदान है .अब हिन्दी रोज़गार भी देगी ?उमीद पे दुनिया कायम है .आज फ़िर जीने की तमन्ना है .

1 टिप्पणी:

Dr Ved Parkash Sheoran ने कहा…

hindi ki durgati ab to internet par bhi dekhne ko milte hai. aisa lgta hai hindi bechari ho gai hai? maatrian ulti aise lagti hain jaise kisi ne saari ulti baandh li ho. bholi se orat ki aise durgati.


dr ved parkash sheoran