मंगलवार, 24 मार्च 2009

रैगिंग का महारोग

ला इलाज ही बना रहेगा ये महा रोग जिसे आम भाषा मैं सताना ,कहा जाता है .बिला शरत रैगिंग एक मनो रोग बन चला है,जिसे विधिवत इलाज की ज़रूरत है .ड्रग थिरपी के आलावा परामर्श चिकित्सा चाहिए इसके प्रबंधन के लिए .दुसरे को सताने मैं लुत्फ लेना पर पीड़ा देना एक प्रवृति है .आधुनिक जीवन की उपज है ये रोग ,जिसे जीवन शैली रोग भी कहा जा सकता है ,रैगिंग का मतलब ही होता है सताना ,परिचय नहीं है रैगिंग ,हिमाकत है ,बदसलूकी है .कहीं खानदानी रोग न बन जाए रैगिंग,समाजों को चेतना चाहिए.स्चूली पाठ मैं सामिल किया जाए:रैगिंग का सबक.सिखाया जाए :मुहब्बत मैं कोई मुसीबत नहीं हैं ,मुसिब्बत तो ये हैं ,मुहब्बत नहीं है.

2 टिप्‍पणियां:

प्रदीप ने कहा…

आपके विचार सराहनीय हैं. जब तक बच्चों में रैगिंग-विरोधी संस्कार नहीं डाले जायेंगे तब तक इस अभिशाप से पीछा नहीं छूटने वाला...

virendra sharma ने कहा…

sara khel hi maya ka hai,isiliye kaha jata hai,paisa phenk tamasha dekh,sabse bada tamasha to Loktantra ban chuka hai ,lok to tamashaie hai,isliye gam na kar dost.