राम प्रभु की भद्रता का, सभ्यता का ध्यान धरिये॥
राम के गुण गुणचिरंतन,
राम गुण सुमिरन रतन धन।
मनुजता को कर विभूषित,
मनुज को धनवान करिये, ध्यान धरिये॥
सगुण ब्रह्म स्वरुप सुन्दर,
सुजन रंजन रूप सुखकर।
राम आत्माराम,
आत्माराम का सम्मान करिये, ध्यान धरिये॥
भावसार :
श्री राम स्तुति महिमा : श्री राम की महिमा अलौकिक है। श्री राम कण कण में व्याप्त हैं। हर जगह श्री राम का ही नाम है। श्री राम का जन्म और पूरा जीवन ही धर्म स्थापना के लिए हुआ था। श्री राम ने हर पग पर संघर्ष किया और सभी मर्यादाओं का पालन भी किया। उनका जीवन प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक आदर्श है। श्री राम हैं मर्यादा पुरुषोत्तम।
जो रमैया है अर्थात रमा हुआ है सारी कायनात के सर्वत्र जिसकी व्याप्ति है ,वही तो राम है। राम भारत की भोर का पहला स्वर है। कोई गलत बात कान में पड़ते ही आदमी कहने लगता है 'राम राम राम ',और ग़र कोई सुबह सवेरे किसी की निंदा में रस लेने लगे तो ग्यानी जन कहने लगते हैं-अरे राम का नाम लो किसका ज़िक्र छेड़ दिया। जब आदमी किसी से तौबा कर लेता है तब भी कह उठता है राम राम राम।
अंतिम यात्रा में यही शाश्वत स्वर गूंजता है :राम नाम सत्य है ,सत्य बोलो गत्य है।
श्री राम की चारित्रिक विशेषताएं और जीवन आदर्श सभी के लिए अनुकरणीय हैं । श्री राम को जीवन ऐसा नहीं मिला था जिसमें सिर्फ राजसी ठाट बाठ हों, उनका जीवन संघर्षों का एक अंतहीन क्रम था। श्री राम ने हर परंपरा का पालन किया और उन्हें १४ वर्ष के लिए वनवास जाना पड़ा। उन्होंने सहर्ष इसे स्वीकार किया। विकट परिस्थितियों में वन में रहना और वहां माता सीता का अपहरण हो जाना, रावण से युद्ध करना,वनवास में बाद विजय प्राप्ति माता सीता को पुनः खो देना श्री राम के संघर्ष को दर्शाते हैं। इसके विपरीत आज हम जीवन के छोटे छोटे संघर्षों से हार जाते हैं और दुखड़ा रोते रहते है।
और हाँ राम ने सीता को त्यागा नहीं था वह राजा की सहनशीलता नहीं स्वीकृति थी स्वीकार था प्रजा की भावना का ,इनटॉलरेंस गैंग नॉट करे।भारतीय संस्कृति में किसी को सहने की विवशता नहीं है स्वीकार और सर्वसमावेशन है।
श्री राम का जीवन हमें सिखाता है की किस प्रकार से संघर्षों का सामना करते हुए भी हम मर्यादा का पालन करें। श्री राम की जीवन का हर एक कदम एक बड़ी शिक्षा है, जिसे हमें अपने जीवन में उतारना चाहिए। धैर्य, संघर्ष, मर्यादा, सत्यवादिता जैसे जीवन मूल्य हमें श्री राम जी के जीवन से सीखने को मिलते हैं। श्री राम के जीवन का महत्त्व उनके संघर्ष की वजह से नहीं वरन उनके द्वारा समस्त बाधाओं और समस्याओं का शिष्टता पूर्वक सामना करने में है। यही जीवन का सार है।
राम पूजा से लाभ : दरअसल मेरा मानना है की आराध्य देव की पूजा से सीधे यह लाभ नहीं होता है की हमें कही गड़ा धन मिल जाएगा, नौकरी लग जायेगी या फिर पद्दोन्नति हो जायेगी , वरन पूजा से हमारा मनोबल बढ़ता है, सकारात्मक विचार आते हैं, खुद के अकेले होने का भाव समाप्त हो जाता है और व्यक्ति आत्मविश्वास से भर जाता है जिसके सहारे से सम्पन्नता, रोजगार, वैभव और आपसी रिश्तों में मधुरता स्वतः ही आ जाती है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति का जीवन सुगमता से बीतता है। यही रहस्य है पूजा से मिलने वाले लाभ का । आप चाहे तो यह समझ सकते हैं की ईश्वर के आशीर्वाद से सारे काम बन जाते है। जब हम श्री राम के चारित्रिक गुणों को अपने जीवन में उतारने के लिए तैयार होते हैं तो हम सुगम जीवन की प्रथम सीढ़ी चढ़ चुके होते हैं।
मन्त्रों के शक्ति को वैज्ञानिक स्तर पर भी परखा जा चुका है।'राम'नाम महामंत्र है। सभी मंत्र दिव्य हैं और हमारे मस्तिष्क को रहस्मय तरीके से जाग्रत कर देते हैं। ये एक प्रकार से विद्युत् तरंगों का निर्माण करते हैं जो मस्तिष्क को उच्चतम सीमा तक सक्रीय कर देते हैं।
श्री राम का नाम एक दिव्य मंत्र है जिसके जाप से आपके जीवन में सम्पन्नता आएगी और आप हर एक बाधा को पार कर लेंगे। यह मंत्र तारक मंत्र है और इस मंत्र के जाप से जातक के सभी दोष मिट जाते हैं और उसमे दया, क्षमा, निष्कामता जैसे दिव्य गुणों का विकास होने लगता है। इस मंत्र के जाप से दूषित संस्कारों का अंत होता है और व्यक्ति आत्मविश्वास से भर जाता है। ये तो हम सब जानते ही हैं की साहस और आत्मविश्वास के सहारे व्यक्ति बड़ी से बड़ी बाधा को भी पार कर सकता है। इस मंत्र की विशेषता है की इसका जाप कोई व्यक्ति कहीं भी कर सकता है। यह मंत्र इतना शक्तिशाली है की इसे "मंत्र राज" और संकटनाशक भी कहा जाता है।
इस मंत्र को सबसे पहले श्री हनुमान जी को नारद मुनि के द्वारा दिया गया था। यह मंत्र जाप करने के लिए बहुत सरल है और इसे कहीं भी जाप किया जा सकता है जिसके लिए किसी विशेष पूजा अर्चना की आवश्यकता नहीं होती बस जातक का हृदय प्रभु भक्ति से भरा होना चाहिए। यह मंत्र व्यक्ति को उसकी इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने में सहायता करता है और दुःख दर्द और विषय विकारों का अंत कर देता है।
श्री राम जी का दिव्य मंत्र :
श्री राम, जय राम, जय जय राम
मन्त्र की व्याख्या : यह मंत्र उच्चारण में बहुत ही सरल है लेकिन इसके प्रभाव बहुत शक्तिशाली है।
श्रीराम : यहाँ जातक भगवान् श्री राम को पुकारलगाता है।
श्रीराम : यहाँ जातक भगवान् श्री राम को पुकारलगाता है।
जय राम : यह श्री राम की स्तुति है।
जय जय राम:यहाँ जातक श्री राम के प्रति पूर्ण समर्पण दर्शाता है।
जय जय राम:यहाँ जातक श्री राम के प्रति पूर्ण समर्पण दर्शाता है।
जीवन के तीन गुण सत, रज और तम समस्त बंधनों के कारक हैं। इस मंत्र से इन तीनों पर विजय प्राप्त की जाती है।पाप और पुण्य दोनों से परे ले जाता है राम का नाम।
जय श्रीराम !
https://www.youtube.com/watch?v=vc2LGF19-vU
https://www.youtube.com/watch?v=kULNVVphAW4
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