शनिवार, 14 मार्च 2020

कोरोना का एक दुखद पहलू चीन और अमरीका के बीच वाक्युद्ध है

कोरौना -रोधी- दादियां !कोरोना पर कौन रोता है ?

 कोरोना का एक दुखद पहलू चीन और अमरीका के बीच वाक्युद्ध है जहां अमरीका इस कोरोना परिवार के एक और वायरस को वुहान अभिनव कोरोना  कहने से नहीं चूक रहा है वहीँ  चीन इसकी वहां दस्तक के लिए अमरीकी सैनिकों को बतला रहा है। यह आरोप -प्रत्यारोप का नहीं कोविड २०१९ विश्वमारी को एक स्तर पर मिले जुले प्रयासों से थामने का नाज़ुक वक्त है। 


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कोरोना रोधी दादियों की बात करते हैं 

यह आकस्मिक नहीं हैं और न ही एक  मिथ  ,शाहीन बाग़ की दादियां और इतर मोतरमायें तमाम आबालवृद्ध गत तकरीबन तीन महोनों से स्वस्थ हैं बावजूद मौसम  की बदमिज़ाजी के तुनकमिज़ाजी के, मार्च का महीना भी इसका अपवाद नहीं हैं। ऊँट मौसम  का किस करवट बैठेगा इसका कोई निश्चय नहीं। बहरसूरत भारतीय -सांइसदानों का एक तबका ऐसा मानने लगा है ,कोरोना का यदि कोई पुख्ता इलाज़ निकलेगा तो यह कोरोना रोधी- शख्शियत की काया और मानसिक सबलता और उत्प्रेरण से ही निकलेगा।

कहते हैं गोरों एक ऐसी नस्ल भी है जो एचआईवीएड्स रोधी है। इस पर ह्यूमेन इम्यूनो डिफीशियन्सी वायरस का कोई बस नहीं चलता। सारा फिरंगी अंदाज़ इनका एक तरफ और चुस्त- दुरुस्त प्रतिरक्षण व्ववस्था एक तरफ। इसे हलके में लेने की भूल न करें। 

कोरोना प्रतिरोध की बात दूर  की कौड़ी फेंक न समझा जाए। यह किसी फेंकू की कलम नहीं सांइसदान की है। इसे परखा जाए। 

 बहर -सूरत यह दीगर है के ये दादियां हाथ मिलाना तो दूर नमस्ते भी नहीं करतीं हैं। नमाज़ कहते हैं नमः से ही बना है ऐसा कुछ लोगों का मानना है , विसर्ग हटाने पर स के नीचे  हलन्त लगा दीजिये बस इसी नमस् से नमज्  होता हुआ नमाज़ बना हैं। नमाज़ ज़रूर ये अता करतीं हैं। कौन जाने अल्लाहताला की याद ही इन्हें आदिनांक हर बला से बचाए रही हो।भगवान् परमेश्वर अल्लाह वाहगुरु इन्हें लम्बी उम्र दे।  


विशेष :कोरोना के लक्षण दीखते ही अस्पताल का रुख न करें अपने कुनबाई डॉक्टर से परामर्श करें। 

जो भी मास्क उपलब्ध है वह लगा लें ,भले टिशू पेपर से आपने खुद बनाया हो ताकी आपसे किसी और तक न पहुंचे छूतहा है यह रोग। 

  यदि खांसी है ,बुखार है बदन -और सिर दर्द है नाक बहने लगी है ,तो सांस में तकलीफ होने का इंतज़ार  न करें ये मरदूद लोवर  रिस्पायरेटरी ट्रेक्ट पर ज़ोरदार धावा बोल देता है जबकि अमूमन सर्दी जुकाम (  नज़ला ) अपर रेस्पायरेटरी ट्रेक्ट तक ही वार करता है।यहां मुकाबला रेस्पायरेटरी डिस्ट्रेस से होता है।
डायबिटीज़ के साथ -साथ हायपरटेंशन (उच्च रक्तचाप के साथ मधुमेह की दुरभि संधि )फेफड़ों की अल्विओलीज (एअर सेक्स )पर भारी पड़ती है।  फेफड़े को होने वाली नुकसानी भी जानलेवा साबित होती है। थ्री डायमेंशनल एक्स रे साफ बतला देता है -फेफडों  में बलगम ही बलगम है सांस लेने   छोड़ने के  लिए बलगम ने जगह ही नहीं छोड़ी  है।

संकल्प यानी हौसला और प्रतिरोधक क्षमता दोनों ही बढ़ाता है 'शाहीन बाग़'। तीन सालों से पाकिस्तान   में भी कामकाजी महिलाएं अपने हक़ -हकूकों के लिए मार्च निकालती हैं मार्च के महीने में। अब ये दादियां देखें एक 'शाहीन- बाग़' यहां भी हो।  
अब जबकि यह नै महामारी दुनिया भर में पांच हज़ार से ज्यादा लोगों को लील चुकी है १३० से ज्यादा मुल्कों को अपने लपेटे में ले चुकी है एक लाख तीस हज़ार से ऊपर लोगों को संक्रमण कर चुकी है बचाव में ही बचाव है। यह गफलत और दहशत का नहीं सावधानी का वक्त है जन-जन  की भागेदारी चाहिए। 
    
जानकारी ही बचाव है इस काम में सदी के महानायक माननीय अमिताभ बच्चन की एक अवधि  भाषा  में लिखी कविता को यहां देना एक दम से सटीक होगा :

बिन हाथ धोई के ,केहू के भैया छुओ न :अमिताभ बच्चन 

बहुतेरे इलाज़ बतावें ,जन जनमानस सब केकर नाहीं 

कौन बताये इ सब केयू कहिस कालौंज़ी   पीसौ ,

केयू आंवला रस,केयू  कहस घर में बैठो ,हिलो न  ठस से मस,

ईर कहेन औ बीर कहेन ,की ऐसा कुछ भी  करो ना,

बिन साबुन से हाथ धौई के ,केहू के भैया छुओ ना 

हम कहा चलो हमउ कर देत हैं ,जइसन बोलईं  सब आवय देयो ,

कोरोना -फिरौना ,ठेंगुआ दिखाऊब तब। 

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