बड़ी मुश्किल है खोया मेरा दिल है..... कोई इसे ढूंढ के लाओ न .......आखिर ऐसी फ़िल्में किस के मनोरंजन के लिए बन रही हैं जिसमें कथित नायक बे -हद के उत्पीड़न की हद तक जाकर हीरोइन को आतंकित करता है। ....... इन्साफ का तराजू .....कैसा इन्साफ ?कहाँ मिलता है इंसाफ औरत को ? इस देश में ....कहाँ ?
.औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया ,
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा दुत्कार दिया .
....कोख के अंदर भी औरत दफन.कोख के बाहर भी। घर में भी मेहफ़ूज़ नहीं। कहीं हलाला कहीं रखैल ....... ऊ लाला .... ऊलालाला के बाद अब और कुछ बचा है दिखाने खोने को ?कला है यह ?
"वह सुबह कभी तो आएगी" -की गुंजाइश ही कहाँ बचती है।
हमारा नागर बोध ,हमारी सिवि-लिटी किस स्तर को छू रही है। " औरत का अस्मिता इंडेक्स "भारत में नापा जाए -देखा जाए- राष्ट्र कुल के देशों में हम कहाँ हैं ?
रावण जैसे महाबली ने भी सीता के साथ बलात्कार नहीं किया था। आज पिद्दी न पिद्दी के सोरबे एक ज़िंदा औरत के साथ बलात्कार करके क़ानून के गलियारों की आड़ में बरसों रोटियां तोड़ते हैं। पुलिस जो शहर की हिफाज़त करती है नागर -सेना है उसका खौफ कहाँ हैं।उसकी वर्दी का ?अपनी प्रासंगिता तलाश रही है बे -चारी खाकी वर्दी ?काला कोट बलात्कारियों को बचाने से भी नहीं चूकेगा। ऐसे उकीलों से राम बचाये।
और हम खुद क्या कम हैं ? अपने अंदर पसरी फैली चौ -तरफा व्याप्त अतृप्त भोगी मानसिकता को क्या नकार सकने की ईमानदारी बरतेंगे हम लोग ?
'वी हेव ए क्रिमिनल आई 'दिस हेज़ गोट टू बी 'मेटा -मॉर- फोज़-अ -ड 'क्या हुआ हमारे नैतिक आचरण का ?कहीं दोहरी मानसिकता का तो हम शिकार नहीं हैं हम लोग ?।मी टू ?
बलात्कार यदि एक मानसिक रोग है .... तो इसे डायग्नोस्टिक स्टेटिस्टिकल मेनुअल ( D.S.M.IV)और इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन आफ मेन्टल डिसऑर्डर्स में जगह मिलनी चाहिए।
IBHAS (Institute Of Behavioural Health and Allied Sciences ) ,VIMHANS (Vidya Sagar Institute Of Mental Health and Neurosciences ),NIMHANS (National Institute Of Mental Health and Neuro Sciences )क्या अपने सांझा प्रयासों से इस रोग की प्रागुक्ति, शिनाख्त वक्त रहते कर सकते हैं ?
समाज का एक तबका 'इससे' साफ़ साफ़ ग्रस्त है। इसकी परिव्याप्ति जम्मू कश्मीर लद्दाख से कन्या -कुमारी तक है।कहीं बलात्कार एक ला -इलाज़ रोग न बन जाए ?
ज़ुल्म की मुझपर इन्तिहाँ कर दे ,
मुझ सा बे जुबां ,फिर कोई मिले, न मिले।
मैं हवाई -जहाज उड़ा सकतीं हूँ। मर्दों का अहम मर्दन करने वाली रणचंडी भी बन सकतीं हूँ बलात्कार एक ऐसा आतंकवाद है जिसका शिकार सिर्फ और सिर्फ औरत होती है। वह बदला लेगी ज़रूर लेगी खबरदार !
कोई शिव नहीं लेटेगा मेरे पैरों के आगे -मुझे रोकने के लिए -है ही नहीं कोई माई का लाल , काली बन मैं महिषासुर का वध करने को आतुर हूँ। अब देर नहीं है। एक बार आमरण अनशन करके देख लूँ @Gandhi 150
https://www.youtube.com/watch?v=jLEOSnLi4Zw
.औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया ,
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा दुत्कार दिया .
....कोख के अंदर भी औरत दफन.कोख के बाहर भी। घर में भी मेहफ़ूज़ नहीं। कहीं हलाला कहीं रखैल ....... ऊ लाला .... ऊलालाला के बाद अब और कुछ बचा है दिखाने खोने को ?कला है यह ?
"वह सुबह कभी तो आएगी" -की गुंजाइश ही कहाँ बचती है।
हमारा नागर बोध ,हमारी सिवि-लिटी किस स्तर को छू रही है। " औरत का अस्मिता इंडेक्स "भारत में नापा जाए -देखा जाए- राष्ट्र कुल के देशों में हम कहाँ हैं ?
रावण जैसे महाबली ने भी सीता के साथ बलात्कार नहीं किया था। आज पिद्दी न पिद्दी के सोरबे एक ज़िंदा औरत के साथ बलात्कार करके क़ानून के गलियारों की आड़ में बरसों रोटियां तोड़ते हैं। पुलिस जो शहर की हिफाज़त करती है नागर -सेना है उसका खौफ कहाँ हैं।उसकी वर्दी का ?अपनी प्रासंगिता तलाश रही है बे -चारी खाकी वर्दी ?काला कोट बलात्कारियों को बचाने से भी नहीं चूकेगा। ऐसे उकीलों से राम बचाये।
और हम खुद क्या कम हैं ? अपने अंदर पसरी फैली चौ -तरफा व्याप्त अतृप्त भोगी मानसिकता को क्या नकार सकने की ईमानदारी बरतेंगे हम लोग ?
'वी हेव ए क्रिमिनल आई 'दिस हेज़ गोट टू बी 'मेटा -मॉर- फोज़-अ -ड 'क्या हुआ हमारे नैतिक आचरण का ?कहीं दोहरी मानसिकता का तो हम शिकार नहीं हैं हम लोग ?।मी टू ?
बलात्कार यदि एक मानसिक रोग है .... तो इसे डायग्नोस्टिक स्टेटिस्टिकल मेनुअल ( D.S.M.IV)और इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन आफ मेन्टल डिसऑर्डर्स में जगह मिलनी चाहिए।
IBHAS (Institute Of Behavioural Health and Allied Sciences ) ,VIMHANS (Vidya Sagar Institute Of Mental Health and Neurosciences ),NIMHANS (National Institute Of Mental Health and Neuro Sciences )क्या अपने सांझा प्रयासों से इस रोग की प्रागुक्ति, शिनाख्त वक्त रहते कर सकते हैं ?
समाज का एक तबका 'इससे' साफ़ साफ़ ग्रस्त है। इसकी परिव्याप्ति जम्मू कश्मीर लद्दाख से कन्या -कुमारी तक है।कहीं बलात्कार एक ला -इलाज़ रोग न बन जाए ?
ज़ुल्म की मुझपर इन्तिहाँ कर दे ,
मुझ सा बे जुबां ,फिर कोई मिले, न मिले।
मैं हवाई -जहाज उड़ा सकतीं हूँ। मर्दों का अहम मर्दन करने वाली रणचंडी भी बन सकतीं हूँ बलात्कार एक ऐसा आतंकवाद है जिसका शिकार सिर्फ और सिर्फ औरत होती है। वह बदला लेगी ज़रूर लेगी खबरदार !
कोई शिव नहीं लेटेगा मेरे पैरों के आगे -मुझे रोकने के लिए -है ही नहीं कोई माई का लाल , काली बन मैं महिषासुर का वध करने को आतुर हूँ। अब देर नहीं है। एक बार आमरण अनशन करके देख लूँ @Gandhi 150
https://www.youtube.com/watch?v=jLEOSnLi4Zw
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