कहलाने एकत बसें अहि मयूर मृग बाघ ,
जगत तपोवन सो कियो दीर्घ दाघ निदाघ।
जेठ की तपती दुपहरिया में परस्पर जातीय भेदभाव वैमनस्य भूल वन्य पशु एक ही घाट पर पानी पीने लगें हैं। जो अश्वमेध का घोड़ा अभी विधिवत छोड़ा ही नहीं गया उसे पकड़ने सांप छछूंदर बिच्छु एका प्रदर्शित कर रहें हैं।
यह राजनीति का विज्ञापन विभाग है। यहाँ बकरी मैमना भेड़िया गले मिलते हैं।
जगत तपोवन सो कियो दीर्घ दाघ निदाघ।
जेठ की तपती दुपहरिया में परस्पर जातीय भेदभाव वैमनस्य भूल वन्य पशु एक ही घाट पर पानी पीने लगें हैं। जो अश्वमेध का घोड़ा अभी विधिवत छोड़ा ही नहीं गया उसे पकड़ने सांप छछूंदर बिच्छु एका प्रदर्शित कर रहें हैं।
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