गुरुवार, 31 मई 2018

राहुल कहते हैं :मैं आपको (भारतधर्मी समाज को )आर आर एस के बारे में बतावूंगा

राहुल कहते हैं :मैं आपको (भारतधर्मी समाज को )आर आर एस के बारे में बतावूंगा। इस अबुध कुमार को हम एक हफ्ते का वक्त देते हैं ये अपनी सात पीढ़ियों का नाम बतला दे।गंगा तट पर पण्डे हिसाब रखते हैं। दूसरी बात यह बत्लादें -यूनुस खान से नेहरू वंशीय कुनबे  का क्या रिश्ता था। 

वह यह भी बतलाएं आप राहुल कैसे हैं ?गांधी तो पारसियों में होते नहीं फिर माहत्मा गांधी का लिहाफ ओढ़े आप नेहरू पंथी कांग्रेस में क्या कर रहें हैं। 

बाद में बस राष्ट्रीय सेवक संघ की वर्तमान यूनिफॉर्म का रंग बतला दें। 

सन्दर्भ -सर्वमान्य पूर्व राष्ट्रपति द्वारा आर आर एस के निमंत्रण की स्वीकृति और चंद फिरका परस्तों द्वारा इस स्वीकृति पर रस्सा लेकर कूदना।  

जनता को सिर्फ मोदी विरोध नहीं कार्यक्रम और मुद्दे चाहिए

जनता को सिर्फ मोदी विरोध नहीं कार्यक्रम और मुद्दे चाहिए। गठबंधनियाँ राजनीतिक पार्टियां  कांग्रेस के सबसे अल्पबुद्धि उस बालक के नेतृत्व में शामिल नहीं दिखना चाहतीं जिस अबुध कुमार ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए -२ का निर्णय रद्दी कागज़ की तरह फाड़ दिया। 

ज़ाहिर है जनता  उस षड़यंत्र का हिस्सा नहीं दिखना चाहती जिसकी पटकथा पाकिस्तान जाकर लिखवाई जाती है और कहा जाता है मोदी हटाओ हमें लाओ। 

क्या महाठगबंधन  के पास एक भी मोदी है जो निष्काम भाव से देश हित में २४x ७ x३६५ काम करने की क्षमता और जिगर रखता हो। अगर नहीं तो बजाते रहो गठबंधन की डुगडुगी। और है तो उसे आगे लाओ। भारतधर्मी समाज स्वागत करेगा। वरना अपने आप चुल्लू भर पानी में डूब मरो.  

सोमवार, 28 मई 2018

कर्णाटक (कर्नाटक :कर - नाटक )का मनमोहना संस्करण

कर्णाटक (कर्नाटक :कर - नाटक )का मनमोहना संस्करण विनय मुद्रा में खड़ा है -हाई -कमान की दया चाहिए।  करन -करावन -हार वही है। भक्तों के लिए हाईकमान अपनी नाक कटाकर भी उन्हें सिंहासन दे सकती है। जय -हो मल्लिका -ए -कमान -हाई।  

बुधवार, 23 मई 2018

छछूंदर बिच्छु एका प्रदर्शित कर रहें हैं। यह राजनीति का विज्ञापन विभाग है। यहाँ बकरी मैमना भेड़िया गले मिलते हैं।

कहलाने एकत  बसें अहि मयूर मृग   बाघ ,

जगत तपोवन सो  कियो  दीर्घ दाघ निदाघ। 

जेठ की तपती दुपहरिया में परस्पर जातीय भेदभाव वैमनस्य भूल वन्य पशु एक ही घाट पर पानी पीने लगें हैं। जो अश्वमेध का घोड़ा अभी विधिवत छोड़ा ही नहीं गया उसे पकड़ने सांप छछूंदर बिच्छु एका प्रदर्शित कर रहें हैं। 

यह राजनीति का विज्ञापन विभाग है। यहाँ बकरी मैमना भेड़िया गले मिलते हैं। 

सोमवार, 21 मई 2018

मूल्य विहीन 'विषकन्या -कांग्रेस' भारत को कैटिल डेमोक्रेसी बनाने पर आमादा है

'विषकन्या -कांग्रेस 'के एक चाटुकार प्रवक्ता  अमित शाह के  प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिए वक्तव्य पर टिपण्णी करते हुए कह रहे थे- 'खिसियानी बिल्ली खम्भा नौंचे' अमित शाह ने कहा था -'कांग्रेस ने पूरे   अस्तबल का ही अपहरण कर लिया।' अपने  सारे विधयाकों को पंचतारा होटल में बंद कर दिया।वो बाहर होते तो 'कर -नाटक ' कुछ और होता। 

लगता है इन चाटुकार महोदय को हिंदी मुहावरों का अर्थ ही नहीं मालूम। बिल्ली खम्भा तब नौंचती है जब वह अपना शिकार न पकड़ पाए और वह  खम्भे के पास बैठी  हो। लगता है निरानन्द शर्मा चाटुकारिता करते करते भाषा भी भूल गए जबकि जिसे जनता बुद्धू कहती है वह कमसे कम बोलना  तो सीख ही गया। लगता है मनुष्य के भेष में चाटुकार प्रवक्ता साक्षात लंगूर हैं जो खम्भे पे ही चढ़के  बैठ गया है।

ऊपर से ये तुर्रा के बीजेपी माफ़ी मांगे कर्नाटक की जनता से। 

ये तो वह बात हो गई जो छात्र यूनिवर्सिटी में फस्ट आया है वह सबसे माफ़ी मांगे। और कांग्रेस रिरियाके अपने से भी कम सीट पाने वाली जेडीयू को विजयी घोषित कर दे खुद अपनी चालीस सीटें गँवा के।किस बात के लिए बीजेपी कर्नाटक की जनता से माफ़ी मांगे?

इस बात के लिए के उसने सबसे ज्यादा सीटें जीती।

मूल्य विहीन 'विषकन्या -कांग्रेस' भारत को कैटिल डेमोक्रेसी बनाने पर आमादा है।   

शनिवार, 19 मई 2018

जब तलक व्यभिचार को समाचार बनाने का कौशल कांग्रेस करती रहेगी 'कर -नाटक ' होता रहेगा

जब तलक व्यभिचार को समाचार बनाने का कौशल कांग्रेस करती रहेगी 'कर -नाटक ' होता रहेगा। जब तलक एमएलएज को रेबड़ की तरह हाँक कर होटल में बंद किया जाता रहेगा 'कर -नाटक 'होता रहेगा। कांग्रेस मुक्त भारत का मतलब -नारी को ,एमएलएज को अपहरण से बचाने का संकल्प है। इस अपहरण नाटक की शुरुआत विषकन्या कांग्रेस ने ही की थी। जब तलक ये विषकन्या जीवित है भारत मरता रहेगा। लोकतंत्र वोटतंत्र बना रहेगा। पाकिस्तान की बांछे खिलती रहेंगी।

यूं अपनी बुद्धि से न कोई कहीं पैदा हो सकता है न मर सकता है। परन्तु किसी अबुद्ध कुमार (अबुध कुमार मूर्खमणि )का राजपरिवार में पैदा होना कितना घातक हो सकता है इसे बतलाने समझाने दोहराने की ज़रुरत नहीं है। कांग्रेस एक विघटनकारी बल है जब तलक ये बल है भारत मरता रहेगा। पाकिस्तान में देश को तोड़ने की पटकथा  कंकड़ मणि  भयंकर एवं ऐसे ही अन्यों को भेज  लिखवाती  रहेगी । पहले इनके पुरखे गोरों के ,फिरंगियों के मुखबिर थे जिनके पक्ष में गवाही देकर शहीद भगत सिंह को फांसी लगवाई गई थी।

कर्नाटक  में नाटक करके येदियुरप्पा के इस्तीफे पर जो विषकन्या कांग्रेस जश्न मना रही है उसे शर्म आनी  चाहिए। अपने ही विधायकों को नज़रबंद करके उसने ये मुकाम हासिल किया है जहां वह आज पाक के इशारे पर तमाम संविधानिक संस्थाओं को बराबर निशाने पे लिए हुए है।संविधानिक प्रमुखों के लिए केजरवालीय सम्बोधनों  का इस्तेमाल करती करवाती रहेगी। यही है हुश -हुश करके अपने विधयाकों को लेहकाने वाली मलिका-ए -इटली से संकेत लेकर काम करने वाली विषकन्या कांग्रेस  का असली चरित्र। 

शुक्रवार, 18 मई 2018

क्या कहते हैं मूर्खमणि साहब -जादे

क्या कहते हैं मूर्खमणि साहब -जादे 

लालूजी के एक सुपुत्र कहते हैं -देश में सबके लिए एक ही कानून हो। इस वक्तव्य के बौद्धिक निहितार्थ से उनका कोई लेना देना नहीं। यहां अपने राजनीतिक लाभ के लिए एक अर्थ चोर चाराखोरी के बाद जेल चला जाता है अपनी बीवी को डीसी बना जाता है ,बेटेजी आपके कुनबे में इसका इतना ही मतलब रहा है।

एक और अबुध कुमार (कथित गांधी कुमार) भारत देश को पाकितान बताता है। इसे भारत पाकिस्तान नज़र आता है। सीधे -सीधे क्यों नहीं कहता है हम पकिस्तानी हैं मुस्लिम बीज़ हैं। सोनियाजी ने यदि एक आलोक मणि पैदा कर दिया तो उसका खामियाज़ा देश क्यों भुगते ?नेहरूजी में एक साफगोई थी बिंदास बोलते थे -मैं इत्तेफाक से हिन्दू हूँ मेरा ज़ेहन (मन ,दिलोदिमाग इस्लामी )है। ये अबुध कुमार देश का न इतिहास जानता है न भूगोल। जैसा बीज़ वैसा फल।

इन पाकिस्तान -प्रेमी कांग्रेसियों  को  पाक कहता है -सभी संविधानिक संस्थाओं को तोड़ दो। इलेक्शन कमीशन को भी निशाने पे लिए रहो। मशीनों को भी मत छोड़ो। इस अबुध कुमार को अपनी पार्टी का भी इतिहास नहीं मालूम। अलबत्ता इनकी दादी ज़रूर देश पर आपात काल थोपकर भी राज करतीं रहीं। दस साल में यूपीए ने दस गुल खिलाये एक से बढ़के एक घोटाले किये। पाकिस्तान में फौज के हाथ में सत्ता होती हैं यहां भुट्टो और उन जैसे अन्यों को फांसी पर चढ़ा दिया जाता है। हमारे देश को बकौल इंदिराप्रिया दर्शनी सेकुलर स्टेट का दर्ज़ा देकर -प्रजातांत्रिक धर्म -निरपेक्ष गणराज्य बनाया बतलाया गया.वे  संविधान में सेकुलर शब्द वे ही जड़ गईं।क्या पाकिस्तान धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है ?  

सोमवार, 14 मई 2018

देश को तोड़ने के काम में ..........

देश को तोड़ने  के काम में ममता बनर्जी  सोनिआ गाँधी की चाची हैं। गनीमत यही है राहुल डिब्बे का दूध पीकर बड़े हुए  हैं।लालू कुनबा लाख बुरा सही देश तोड़ने के काम में मशगूल नहीं है। माया पर भी यह इलज़ाम लगाना मुश्किल है। पाकिस्तान जाकर देश की पटकथा लिखने में सोनिया कूकरों को महारत हासिल हैं इनमें सबसे कटखने हैं कंकड़ मणि भयंकर। 
यूं कई पालतू शूकर भी हैं उनकी चर्चा फिर कभी।                  

शनिवार, 12 मई 2018

कहीं फ़िर किसी बदनसीब को कहना न पड़े - कितना है बदनसीब ज़फ़र दफ़न के लिए , दो गज़ ज़मीं भी न मिली कु -ए -यार में।

नमस् से बना है नमाज़ जबकि वन्दे का भी वही अर्थ है जो नमस् का है, लेकिन वन्दे -मातरम कहने से हमारे माशूक को परहेज़ है 

'ख़ुद - आ ' करते -करते मुद्द्त हो गई 'ख़ुदा' ख़ुद तो तब आये  जब मन में हो ,हृदय गह्वर में हो। ध्यान का कोई कॉन्सेप्ट (अवधारणा ),विचार ,तस्सवुर ही नहीं है इस्लाम में ,अरूप है अल्लाह (ख़ुदा ) भले उसके निन्यानवें (९९ )नाम हों ,कबीर ,अकबर ,अर्रहमान , अर-रहीम  ,अलमलिक,अस्सलाम ,...... (https://99namesofallah.name/)

परमात्मा अनंत कोटि अवतार लेता है ,ध्यान हो उसका लौ लगी हो उससे , उसकी। मन में हो वह। सब में बस वो ही दिखे -

तू -तू करते 'तू' हुआ मुझ में रही न 'मैं '

लागी छूटे न अब तो सनम। ...

 शीशाए दिल में छिपी तस्वीरें यार  ,

जब ज़रा गर्दन झुकाई देख ली। .... 

तुम मेरे पास होते हो गोया जब कोई दूसरा नहीं होता। .... 

मुद्दा है सड़कों पर नमाज़ पढ़ने का।  .... 

जिस जगह नमाज़ पढ़ ली वो जगह मस्ज़िद  हो गई पाकीज़ा हो गई। मस्जिद किसी इमारत का नाम नहीं हैं। 

मस्जिदें कम हैं ,औलाद पैदा कम करो ,

सुपुर्दे ख़ाक के लिए भी जगह चाहिए।

हिन्दुस्तान को कब्रिस्तान बनाना है तो खूब पैदा करो बच्चे। .... 

हम दो ,हमारे दो ,सबके दो। ... तुम्हारे भी हमारे भी। .... 

शव , मुर्दे और ख़ाक होने के बीच एक बटन दबाने भर का वक्फा है ,फ़ासला है। 

कहीं फ़िर किसी बदनसीब को कहना न पड़े -

कितना है बदनसीब ज़फ़र दफ़न के लिए ,

दो गज़ ज़मीं भी न मिली कु -ए -यार में। 

वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )

बुधवार, 9 मई 2018

वंशवाद का खूंटा उखड़ गया बछड़े की अकड़ न गई

कौन कहता है के सपनों को न आने दें हृदय में ,

देखते सब हैं इन्हें अपनी उमर अपने समय में। 

राहुल (गांधी ?)द्वारा सपना देखने पर आश्चर्य कैसा ?जो व्यक्ति ढंग से राजनीतिक टिप्पणी नहीं कर सकता था और अक्सर संविधानिक पत्र को भी फाड़ देता था। आज वह शख्श संविधान प्रदत्त प्रक्रिया के तहत प्रधानमन्त्री बन जाने का स्वप्न ले रहा है। आखिर स्वप्न देखने से कौन किसको रोक सकता है। इसी विषय पर मैंने जब अपना कौतुक प्रकट करते हुए डॉ. वागीश मेहता (राष्ट्रीय विचारक ,भारत धर्मी समाज से )पूछा ,उन्होंने किसी प्रसिद्ध कवि की उक्त पंक्तियाँ उद्धृत कर दी। ये वही  शख्श है जिसने अपनी ही सरकार के संविधानसम्मत निर्णय को फाड़ के फेंक दिया था। और अब यही हाईकमान बना व्यक्ति सांसदों के प्रधानमन्त्री चुनने के निर्णय पर अग्रिम डाका डाल रहा है। वंशवाद का खूंटा उखड़ गया बछड़े की अकड़ न गई।  

शनिवार, 5 मई 2018

हाथ का पुर्जा -कविता डॉ वागीश मेहता ,राष्ट्रीय विचारक भारत धर्मी समाज

'हाथ का पुर्जा "-कविता: डॉ वागीश मेहता ,राष्ट्रीय विचारक भारत धर्मी समाज 

                          (१ )

गिर गया हाथ से पुर्जा तो ,तेरी तक़रीर का क्या होगा ,

इस देश की संवरे न संवरे ,तेरी तकदीर का क्या होगा। 

आस्तीन चढ़ा लेने भर से ,कोई देश कभी न चला करता, 

गर पले सांप आस्तीनों में ,फिर हाथ लकीर का क्या होगा।  


                            (२ )

ये भारत है कोई इंडया नहीं ,नहीं टुकड़ा कोई धरती का ,

यह स्वयं धरित्री धारक है ,है पुण्य धाम मानवता का। 

पंद्रह मिनिट का नाटक कर , कर्नाटक हासिल क्या होगा ,

निर्णय फाड़े काग़ज़ फेंके ,अब पहन  जनेऊ  क्या होगा। 

                            (३)
बिन अनुभव की आंच तपे ,सिर पर गर ताज़ सज़ा तो क्या ,

जब वाह -वाही भट भाट  करें ,फिर किसी की सूझ सलाह ही क्या। 

ग़र भारत भाव नहीं जाना ,योरुप इतिहास पढ़ा तो क्या ,

फिर वज्र सरीखी दिल्ली में ,तेरी तदबीर का क्या होगा। 

प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा ,एचईएस -वन ,सेवानिवृत्त )



गुरुवार, 3 मई 2018

अनशन की परम्परा को लज्जित ,कलंकित करता अनशन

अनशन की परम्परा को लज्जित ,कलंकित करता अनशन

"राहुल गांधी लाओ देश बचाओ।" पांच घंटे का अनशन करो और फिर पांच घंटे का अलार्म बजते ही छोले भठूरे अन्य खाद्यों पर टूट पड़ो।अनशन से पहले भी कुछ टूंग लो।  गांधी कुमार उर्फ़ राहुल विन्ची को ये मुगालता है ,राष्ट्र पिता मोहनदास कर्म चंदगाँधी को इन्हीं कथित राहुल गांधी की वजह से जाना जाता है। और पांच घंटे का (अन्+अशन =बिना अन्न ग्रहण )नाटक  करके उनके-कच्छे का लालरंग देखके  उन को हनुमान भक्त घोषित करने  वाले चाटुकारों से अपनी जय बुलवाकर वे वर्तमान राजनीतिक प्रबंध का स्थान ले लेंगे। जनेऊ दिखलाकर खुद को सुर्जेवालों से सनातन धर्मी घोषित करवा लो। कोई नादानी सी नादानी है।

किसी सिब्बल ने इन्हें अनशन का अर्थ नहीं समझाया। क्रान्तिवीरों के १३० दिनी अनशन के बारे में नहीं बतलाया। अनशन एक पावित्र्य लिए रहा है। वर्तमान पीढ़ी जान ले नेहरू के वंशज वर्णसंकर ज़रूर  हैं जिन्होंनें संविधान में होने वाले परिवर्तन की तरह गोत्र बार बार -बार बदला है।

गूगल बाबा से पूछ लो पारसियों में कोई गांधी गोत्र नहीं होता। होता तो बचेखुचे पारसियों में कम से कम एक तो और गांधी होता। फ़िरोज़ खान साहब को महात्मा गांधी ने नेहरू के रोने धोने पर  गोद ले लिया था। और फ़िरोज़ खान फ़िरोज़ गांधी हो गए।
भले ला सकते हो ,राहुल लाओ गांधी को कैसे लाओगे जिसे नेहरुवियन तुष्टिकरण की नीति ने कब का मार दिया। उस नाथूराम गोडसे ने भी दो दिन का उपवास रखा था (ईशवर के निकट   रहना उपवास )पाकिस्तान से अंग भंग ट्रेनें हिंदुओं को ला रही  थीं।माहौल में उत्तेजना थी आक्रोश था।  गांधी मारे गए लेकिन तुष्टिकरण का जिन्ना (जिन्न )आज भी जीवित है।