सोमवार, 4 अगस्त 2014

श्री नरेंद्र मोदी की शिवात्म चेतना

Prime Minister Narendra Modi gifts sandalwood to the Pashupatinath temple after praying at the temple.


PM Modi offers prayers at Pashupatinath temple

PM Modi offers prayers at Pashupatinath temple




श्री नरेंद्र मोदी की शिवात्म चेतना :

-गुडगाँव (भारत )से डॉ वागीश मेहता 



तस्वीर

(डॉ नन्द लाल मेहता वागीश )

भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अभी अभी अपनी नेपाल यात्रा संपन्न की है। आधुनिक राजनीतिक मुहावरे में कहा जाए तो प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी एक और "सार्क" देश की यात्रा करके लौटे हैं पर वहां जाकर नेपाल की संसद को सम्बोधित करके अपने भाव उद्गारों को व्यक्त करने और आज काठमंडू स्थित ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का जो कार्यक्रम संपन्न हुआ वो  किसी देश की राजनीतिक यात्रा का कार्यक्रम कम और अपनी ही संस्कृति के किसी लोक में विचरण करने का ज्यादा था। 

आध्यात्मिक प्रकृति का यह संयोग देखिये कि वे सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन के उपरान्त गुजरात से चलकर काशीविश्वनाथ पहुंचे और वहीँ से सांसद होने की राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश कर भारत के प्रधान मंत्री बने। 

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शनों से पूर्व वे उत्तरांचल के केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर चुके थे। भक्ति का जो सांस्कृतिक सौंदर्य केदारनाथ ,सोमनाथ और काशीविश्वनाथ के दर्शनों से उद्घाटित हुआ था उसकी सम्पूर्ण भद्रता पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग में प्रभाषित रूप में घटित हुई। विधि का विधान कैसे कैसे शोभित और आश्चर्य चकित करने वाले दृश्य दिखा रहा है कि लगता है कि मोदी के आगमन के साथ वैदिक संस्कृति के पुनरुथान का एक नया प्रभास   तीर्थ अवतरित हो रहा है। पशुपतिनाथ मंदिर के उस अंतर क्षेत्र में भक्ति विभोर होकर भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर स्वयं को धन्यभावित किया। वह आध्यात्मिक मनोभाव इससे पहले केवल नेपाल के राजा को उपलब्ध था। 

मोदी ने न केवल वैदिक मंत्रों के अनुगूंज के भरित वातावरण में विधिविधान से पूजन किया बल्कि पशुपति नाथ ज्योतिर्लिंग का रूद्राभिषेक भी किया। लगभग एक घंटे चला रूद्राभिषेक का यह कार्यक्रम भक्ति भाव की इतनी तल्लीनता से संपन्न हुआ कि ये अभिषेक कराने वाले पुजारी के मुख  से ये निकला कि लगता है प्रधानमन्त्त्री नरेंद्र  मोदी पर महादेव पशुपति नाथ की विशेष कृपा है। इसी प्रवाह में वे पुजारी नरेंद्र मोदी के लिए महादेव के अवतार जैसे शब्द का प्रयोग करने लगे। इससे प्रतीत होता है कि अध्यात्मलोक का एक नया प्रकाश काठमंडू से उदित होकर भारत  की भास्वरता को और बढ़ाने वाला है और इसके निमित्त बने हैं भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी। 

ओम तत्सत !

Prime Minister Narendra



 Modi offers puja at 


Pashupatinath temple in Nepal

KATHMANDU: Prime Minister Narendra Modi on Monday offered puja at the famous 5th century Pashupatinath temple here on the second and last day of his maiden visit to Nepal. 

Modi was at the temple of Lord Shiva for about 45 minutes on a day which is considered pious as it was a Monday that falls in the month of 'Shravan'. 

He donated 2500 kgs of chandan (sandalwood) to the Pashupatinath Temple trust. 

The Hindu temple is located on the banks of the Bagmati River in Deopatan, a village 3 km northwest of Kathmandu. 

It is dedicated to a manifestation of Shiva called Pashupati (Lord of Animals). It attracts thousands of pilgrims each year, mostly from India. 

There are a lot of Indian pujaris at the temple. There is a tradition of keeping four priests and one chief priest at the temple from among the Bramhins of south India for centuries. 

According to legend, the temple was constructed by Pashupreksha of the Somadeva Dynasty in the 3rd century BC, but the first historical records date from the 13th century. The ascetic Pashupata sect was likely related to its foundation. 

Pashupati was a tutelary deity of the ancient rulers of the Kathmandu Valley; in 605 AD, Amshuvarman considered himself favored by his touching of the god's feet.

By the later Middle Ages, many imitations of the temple had been built, such as in Bhaktapur (1480), Lalitpur (1566) and Benares (early 19th century). The original temple was destroyed several times until it was given its present form under King Bhupalendra Malla in 1697. 

According to a legend recorded in local texts, especially the Nepalamahatmya and the Himavatkhanda, the Hindu god Shiva once fled from the other gods in Varanasi to Mrigasthali, the forest on the opposite bank of the Bagmati River from the temple. 

There, in the form of a gazelle, he slept. When the gods discovered him there and tried to bring him back to Varanasi, he leapt across the river to the opposite bank, where one of his horns broke into four pieces. After this, Shiva became manifest as Pashupati (Lord of Animals) in a four-face (chaturmukha) linga.

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प्रस्तुति :कैन्टन (मिशिगन )से वीरुभाई

(वीरेंद्र शर्मा )


5 टिप्‍पणियां:

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

ओम तत्‍सत। बहुत बढ़िया। आशा है वैदिक संस्‍कृति की पुनर्स्‍थापना में यह प्रयास बड़ी भूमिका का निर्वाह करेगा। साथ ही भारतीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के न्‍यायाधीश ए आर दवे को भी उनके कथन के लिए सम्‍मान मिलना चाहिए, जिसमें उन्‍होंने स्‍वीकार किया कि उनकी उत्‍ताल इच्‍छा है कि वे पहली कक्षा से बच्‍चों को गीता व महाभारत के महत्‍वपूर्ण सूत्र पढ़ाएं। ऐसे घटनाक्रमों से निराशा छंटती है। आत्‍मबल का संचार होता है। ऊं नम: शिवाय।

Anita ने कहा…

सचमुच बहुत आशाजनक घटनाक्रम है यह !

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

बहुत ख़ूब!

राजीव कुमार झा ने कहा…

आशाजनक !

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

यह विश्वास और बल पाये ....