मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009
नेतिकता का आर्थिक तराजू
सरकारों के टाइम टेबल से राष्ट्रीयता सिरे से नदारद है, यहाँ हर चीज़ अर्थ के तराजू पर तोली जाती है। उस विज्ञापन की तरह जिसमें एक मशहूर filmkaar (आमिर खान ) चंद विदेशी महिलाओं की सिर्फ़ इसलिए हिफासत करता है मवालियों से क्योंकि उनका दर्जा tourist revenue बढ़ाने वाला है इसलिए वह हमारी आदरणीय मेहमान हैं। क्या हमारी आधी से ज्यादा गरीब आबादी बहु प्रचारित आधी दुनिया इसीलिए सारे गावों शहरों की भोजाईं हैं ? मंग्लुरु की पब दुर्घटना के बारे में कल कोई मुख्या मंत्री यह भी कह सकता है के यह हमारे राजस्व का अहम् हिस्सा हैं और सर इसीलिए पब में शराब उडाने वाली युवतीओं की हिफाज़त करनी चाहिए। हमारी बदकिस्मती यहाँ नेतिकता के भी आर्थिक माइने हैं। भारतीय संस्कृति की तो सिर्फ़ आड़ ली जाती है।
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