यह टीका मांसपेशियों की बजाय वसा की मोटी परत पर लगना चाहिए .आजकल बहुत बारीक सुइयां (डिस्पो वेन)के रूप में उपलब्ध हैं .२९,३० ,३१ गेज की .जैसे जैसे गेज नंबर घटता है सुईं पतली होती जाती है ।इंसुलिन पेन भी चलन में हैं .
टीका मांस को चुटकी में भरकर या फिर अगूंठे और तर्जनी (फ़ोर -फिंगर )से चमड़ी को स्ट्रेच करके चमड़ी के लम्ब वत(पर -पेंडी -क्युलर )लगाना चाहिए ताकि नीडिल चर्बी की तह तक पहुँच जाए .पहले लम्बी सुइयों का चलन था इसलिए ४५के कौड़(४५दिग्रीएंगिल )पर भी लगा दिया जाता था .लेकिन पतले दुबले व्यक्ति को टीका ऐसे नहीं लगाया जा सकेगा .वसा तक इसे पहुंचना ही चाहिए .लम्ब -वत ही बेहतर .
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