बेशक व्यायाम से रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर घटता है .मधुमेह के ६०%मरीज़ सही खानपान और व्यायाम से ,२० %इसके साथ साथ दवा से तथा १०-२० %व्यायाम और उचित आहार के साथ साथ इंसुलिन से ठीक हो जातें हैं .यह इक जीवन शैली रोग बन चुका है जिस पर उचित खानपान ,कसरत सुनिश्चित दिनचर्या खानपान के निर्धारित समय को बनाए रखकर नियंत्रण रखा जाता है ।खानपान ,व्यायाम इलाज़ का हिस्सा है जो ब्लड सुगर को इक मान्य रेंज में बनाए रखने में सहायक सिद्ध हो चुका है .
यानी इक व्यक्ति मधुमेह के अनुकूल स्वस्थ आहार के साथ यदि नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या में शामिल किये रहता है तब वह निश्चय ही ब्लड सुगर को नियंत्रित, इक मान्य रेंज में बनाए रह सकता है बिना दवा के भी लेकिन यदि दवा छोड़ने से ब्लड सुगर फिर से बढ़ने लगे तो अविलम्ब ही दवा शुरू करदेनी चाहिए .अपने दाय्बेतोलोजिस्त की हिदायतों को कभी भी हलके में न लें ।
मैं ऐसे कई मरीजों को जानता हूँ जो मर्ज होते हुए भी दवा नहीं लेते .समझाने पर कहतें हैं यदि हमने दवा खानी शुरू की तो फिर इसकी आदत पड़ जायेगी .ये लोग नहीं जानते इनकी नासमझी से रोग बढ्जाता है .रोग की शिनाख्त होते ही अपनी न चलायें .गंभीरता से लें इसे ताकि शुरूआती दौर में ही इसके साथ तालमेल बिठासकें .
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