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शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

'Lower drinking age leads to binge drinking later

सेहतनामा 


(1)   नियमित दोनों समय पर भोजन (दोपहर और रात का )और सुबह 

का नास्ता करें .जो लोग कभी  दोपहर 

का 

भोजन नहीं करते कभी रात का वह अपने लिए सिरदर्द को निमंत्रित कर 

सकते हैं .सिर दर्द की वजह बन सकता है 

मेजर मील्स मिस करना . 

(2)अपने भोजन में थोड़ा सा नीम्बू का रस शामिल कीजिए .लेमन ज्यूस 

न सिर्फ रोग प्रतिरक्षण को मज़बूत 

करता है रोग रोधी भी है .स्वस्थ (नीरोगी भी )रखता है काया को .

(3)LIGHT SODAS HIKE DIABETES RISK ,RESEARCH SAYS

Artificially -sweetened sodas have been linked to a higher risk of Type 2diabetes(T2D)for women than sodas sweetened with ordinary sugar.Aspartame -the most frequently used artificial sweetener -has a similar effect on blood glucose levels as the sucrose in regular sweeteners.

(4)एक नवीनतर अमरीकी अध्ययन के अनुसार जो लोग उन प्रान्तों में रहतें हैं जहां शराब पीने की वैधानिक तौर पर तय उम्र 
21 बरस से नीचे है .उनके आगे चलके बे -हिसाब शराब पीने की (बिंज ड्रिंकिंग की संभावना  ) संभावना बलवती हो जाती है .

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल आफ मेडिसन ,सैंट लुइ के साइंसदानों ने 39,000 से भी ज्यादा लोगों की शराब पीने की आदत का ड्रिंकिंग बिहेविअर का पूरा ब्योरा रखा है इन तमाम लोगों ने 1970s ड्रिंकिंग शूरु कर दी थी .उस वक्त कुछ अमरीकी राज्यों में शराब खरीद के पीने की वैधानिक उम्र 18 बरस भी थी .

पता चला कम उम्र में शराब पीना शुरू करने के नकारात्मक प्रभाव न सिर्फ युवावस्था में ही पड़ते हैं .सालों साल बाद भी ये नकारात्मक प्रभाव अक्सर बिंज ड्रिंकिंग के रूप में प्रगटित होतें हैं .पल्लवन पाते रहते हैं .

सन्दर्भ -सामिग्री :-'Lower drinking age leads to binge drinking later '/SHORT CUTS/TIMES TRENDS/TOI/FEB8,2013




(5)और भी ज़रूरी है नौनिहालों के लिए सुबह का नाश्ता 


समझने ,सीखने और सोचने की बेहतर क्षमता से संपन्न चतुर सुजान बनाता है सुबह का नाश्ता बच्चों को .एक अध्ययन के अनुसार ऐसे बच्चे जो तकरीबन रोजाना नाश्ता करते हैं बुद्धि कोशांक के मामले में भी बेहतर अंक हासिल करते हैं फिर  चाहे वह ओरल आई क्यु की बात हो या प्रदर्शन एवं कार्यक्रम निष्पादन से ताल्लुक रखने वाले परफोर्मेंस आई क्यु की हो .इनका आई क्यु का कुल शमा जोड़ उन नौनिहालों से कहीं बेहतर रहता है जो कभी कभार ही सुबह का नाश्ता करते हैं .

अपने   इस अध्ययन में रिसर्चरों ने चीन के 1,269 बालकों के नाश्ता खाने की नियमितता और उनके बुद्धि कौशल अंक का जायजा लेने के बाद पता लगाया है कि जो बच्चे नाश्ता लेने में आनकानी करते हैं ,नियमित नाश्ता नहीं लेते  हैं ,वह बुद्धि कौशल के मौखिक परीक्षण में 5.58 अंकों से तथा प्रदर्शन एवं कार्यनिष्पादन परीक्षण (परफोर्मेंस आई क्यु )में  2.50 अंकों से तथा कुल मिलाके 4.6 अंकों से पिछड़ जाते हैं बरक्स उन बच्चों के जो नियम निष्ठ होकर सुबह का नाश्ता लेते हैं .

माहिरों के अनुसार बालपन  में ही अच्छी बुरी आदतों के संस्कार पड़ते हैं खान पान रहनी सहनी ,जीवन शैली एक रूप इख्त्यार करने लगती है जिसका तात्कालिक असर तो पड़ता ही है दूरगामी(दीर्घकालिक असर भी आगे जाके देखने को मिलता है ) भी पड़ता है .

पता चला है जो नौनिहाल अनियमित रहतें हैं ब्रेकफास्ट के मामले में वह जल्दी हो धूम्रपान भी करने लगते हैं शराब की और भी प्रवृत्त होने लगते हैं .व्यायाम भी कभी कभार ही करते हैं .

6 साल का होते होते बालक की बोधसम्बन्धी क्षमता ,मौखिक रूप से भी और कार्यनिष्पादन रूप से भी ,बूझने एवं सोचने की क्षमता तेज़ी से विकसित होने लगती है .बहुत ही महत्वपूर्ण समय है यह जीवन का जहां नाश्ते करने की आदत के पोषक एवं सामाजिक पहलू अपनी भूमिका संभालने   लगते हैं .

यदि आपने रात का भोजन आठ बजे भी किया है और सुबह नाश्ता सात बजे कर रहें हैं तो 11 घंटा तक आपके दिमाग की कोशाओं को ईंधन नहीं मिला है .वह चिल्लाने लगती हैं ईंधन के लिए अगर आप बिना ब्रेकफास्ट किए स्कूल का रूख कर लें और वहां दोपहर पूर्व 11-12  बजे लंच ब्रेक में ही कुछ खाएं .

दिमागी ईंधन है सुबह का नाश्ता .अलावा इसके माँ बाप के साथ ब्रेकफास्ट टेबिल पर गुफ्तु गु हल्का फुल्का विमर्श आगे चलके बहुत काम आता है .आपका सामन्य ज्ञान भी बढ़ता है शब्द कोष भी .दिमाग भी धारदार बनता है .तेज़ी से विकसित होता है बूझने सोचने समझने की कशामता बढती है .किस्सा कहाँ कहने लिखने की क्षमता भी पनपने लगती है .खाने की मेज़ के गिर्द हुआ विमर्श बड़े काम आता है .

स्कूल भी अपनी भूमिका से बाख नहीं सकते .स्कूल लगने के समय में या तो नौनिहालों के अनुरूप बदलाव हो या स्कूल नाश्ता करवाए और उसके बाद सुबह का पाठ ,सुबह की सीख /पाठ्य क्रम शुरू किया जाए .

नाश्ता न सिर्फ प्रतिभा को पंख लगाता है ,बालकों में पाए जाने वाले व्यवहार सम्बन्धी विकारों की संभावना को भी कम करता है .आगे जाके इन बालकों को वयास्क के रूप में अपने पेशे से ज्यादा परितोष प्राप्त होता है ,सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में उसकी कामयाबी के मौके बढ़ते हैं .

कुलमिलाके दीर्घावधि में हमारे भौतिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों से ही जाके जुड़ जाती है सुबह के नाश्ते की नव्ज़  .

सन्दर्भ -सामिग्री :-Study suggests breakfast could make kids smarter /SCI-TECH/MumbaiMirror /FEBRUARY 8 ,2013/www.mumbaimirror.com/tech




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virendra sharma पर 10:11 pm

7 टिप्‍पणियां:

  1. Shalini kaushik8 फ़रवरी 2013 को 11:47 pm बजे

    very useful post .thanks . ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस

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  2. Unknown9 फ़रवरी 2013 को 8:19 am बजे

    सर जी,जिन्दगी के नायाब नुख्सों
    को लिखते जाईये, मुश्किलों को
    आसान करते जाईये,,सुन्दर सुझाव

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  3. प्रवीण पाण्डेय9 फ़रवरी 2013 को 8:58 am बजे

    हम कभी मिस नहीं कर सकते हैं, उपवास रखें तो सर में दर्द हो जाता है।

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  4. लोकेश सिंह9 फ़रवरी 2013 को 11:16 am बजे

    भाई जी सादर अभिवादन ,भोजन की आदत के बिषय में उपयोगी जानकारी ,जनउपयोगी जीवनचर्या के संबंध जागरूकता अभियान के लिए साधुवाद ,

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  5. Anita Lalit (अनिता ललित ) 9 फ़रवरी 2013 को 12:45 pm बजे

    बिल्कुल सही फ़रमाया आपने सर ! बढ़िया जानकारी!
    ~सादर!!!

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  6. रविकर 9 फ़रवरी 2013 को 1:05 pm बजे

    उचित मार्ग निर्देशन-
    आभार भाई जी -||

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  7. Anita9 फ़रवरी 2013 को 2:28 pm बजे

    सुबह का नाश्ता समय पर हो और पौष्टिक हो..अच्छी सलाह..

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