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रविवार, 6 जनवरी 2013

दिल्ली की अब यही कहानी :डॉ .वागीश मेहता


अतिथि कविता 

दिल्ली की अब यही कहानी :डॉ .वागीश मेहता 

खरपत राजा चरपत रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

             (1)

पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,

कभी शेर थी अब है बिल्ली 

अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,

अब तो शिशु पालों की  दिल्ली 

काले परदे ,काले शीशे,

 चलती बस में , बड़े सुभीते ,

हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,

पंजों में औरत कब्जानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी 

            (2)

दिल्ली का एक सौध है सुन्दर ,


उसमें बैठे कई सिकन्दर ,

अपने दलबल अपने लशकर ,

हुश हुश करते कई कलंदर 

पैने  नख और दन्त नुकीले ,

खों  खों करते ,ये फुर्तीले कूदें फान्दें ,

सीमा लांघें  ,लंका काण्ड करें मनमानी 

खरपत  राजा ,चरपत  रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

              (3)

शिव भागे ,भस्मासुर पीछे, 

देवों पर है भारी दिल्ली ,

लोक तंत्र पे ,वोट है, भारी ,

राष्ट्र वाद पे सेकुलर दिल्ली ,

वोट मिलें गर बांग्ला देसी ,

फिर चाहे तो पाकिस्तानी ,

यूं तो बुरे  नहीं है  चीनी ,

पर उनकी  सूरत अलगानी .



खरपत राजा चरपत रानी ,

दिल्ली की अब यही कहानी .

प्रस्तुति :वीरेंद्र शर्मा (वीरू भाई )




4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति @मोहन भागवत जी-अब और बंटवारा नहीं .


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  2. सर जी ,बागीश जी ने तो दिल्ली की अब यही कहानी पांच हज़ार बरस की दिल्ली ,
    कभी शेर थी अब है बिल्ली
    अर्जुन भीम यहाँ आये थे ,
    अब तो शिशु पालों की दिल्ली
    काले परदे ,काले शीशे,

    चलती बस में , बड़े सुभीते ,
    हिंसक हवश, खूंखार दरिन्दे ,jordar prastuti ,dilli ki aisi bakhiya udhed diya ki sach me maza aa gya

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  3. दिल्ली अपने इतिहास के समक्ष रोती है।

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  4. दिल्ली का असली चेहरा बेनकाब करती सशक्त रचना

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