व्हाई डाइट सोडाज़ आर नो बेनिफिट टू डाइट -अर्स ?
अमरीकी मधुमेह संघ के विज्ञान सत्र में सद्य प्रकाशित आंकड़ों के मुताबिक़ डाइट ड्रिंक्स के मुगालते में रहने वाले अनजाने ही न सिर्फ अपना वजन बढा सकतें हैं ऐसे तमाम पेय में मौजूद कृत्रिम मिठास सेकेंडरी डाय -बिटीज़(जीवन शैली रोग मधु- मेह)के खतरे का वजन भी बढा देतें हैं ।
अपने एक अध्ययन में स्कूल ऑफ़ मेडिसन (यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सास हेल्थ सेंटर सान अंटोनियो)के रिसर्चरों ने ४७४ उन ओल्डर एडल्ट्स से ताल्लुक रखने वाले तमाम आंकड़े खंगाले जिन्होनें सान अंटोनियो लोंजी -ट्यु -डिनल स्टडी ऑफ़ एजिंग में भाग लिया था .ये डाटा एनरोलमेंट के वक्त ,बाद उसके होने वाली तीन परीक्षाओं में से हरेक परीक्षा के बाद जुटाया गया था ।
अध्ययन में सभी प्रतिभागियों के डाइट सोडा लेने ,हाईट ,वेट और कमर के घेरे का हिसाब किताब रखा गया था .मकसद था डाइट सोडा लेने से बॉडी फेट पर पड़ने वाले प्रभाव का जायजा लेना .क्या समय के साथ डाइट सोडा भी बॉडी फेट में इजाफा कर सकता है ?
पता चला कमर का घेरा सभी प्रति -भागियों का फ़ैल बढ़ गया है .लेकिन इनमें से जो डाइट सोडा लेते रहे थे इनकी वेस्ट लाइन ग्रोथ में ७०%की वृद्धि ९.५साल बाद दर्ज़ की गई बरक्स उनके जो डाइट सोडा नहीं ले रहे थे ।
जो लोग दिन भर में दो ढाई कैन डाइट सोडा की गटक जाते थे ,उनकी वेस्ट लाइन ५००%ज्यादा बढ़ गई बरक्स उनके जो सोडा लेते ही नहीं थे ।
बकौल रिसर्चर्स इस आकलन में प्रतिभागियों के डायबेटिक स्टेटस ,लेज़र टाइम फिजिकल एक्टिविटी तथा एज को भी एडजस्ट किया गया ।
बतलादें आपको -बेली के गिर्द चर्बी का चढना दिलऔर रक्त वाहिकाओं (ब्लड वेसिल्स ) की बीमारियों और मधुमेह के लिए एक ज्ञात जोखिम भरी बात है .रिस्क फेक्टर है कार्डियो -वैस्क्युअलर डिजीज और डाय -बिटीज़ के लिए .
पूर्व में संपन्न एनीमल स्टडीज़ में यह साबित हुआ था कृत्रिम मिठास की आदत ज्यादा खाने वजन बढाने की ओर ले जाती है .शरीर को भी बान पड़ जाती है ज्यादा चर्बी जमा करते रहने की .
आप जानतें हैं हमारा दिमाग मिठास मीठी चीज़ों का रिश्ता ज्यादा केलोरीज़ वाले खाद्य से जोड़े रहता है .ऐसे में कृत्रिम मिठास का स्वाद और इसमें मौजूद केलोरीज़ की कमी का अंतर्संबंध दिमाग के लिए टूट ही जाता है .दिमाग को केलोरी फेलोरी से क्या मतलब .उसे कोई बहका सकता है ?
एक अन्य अध्ययन में रिसर्चरों ने कृत्रिम मिठास में मौजूद एस्पार्टेम तथा बढे हुए फास्टिंग ग्ल्युकोज़ में एक अंतर -सम्बन्ध की पुष्टि की है .अध्ययन माउस (लेब चूहों )पर किया गया था .यहस्थिति एक डाय -बेटिक या फिर प्री -डाय -बेटिक कंडीशन की ओर इशारा है .
जो हो सीधा न सही अ- प्रत्यक्ष ही सही चूहों पर संपन्न अध्ययन हमारे लिए भी एक संकेत तो है ही हेवी -एस्पार्टेम की डाइट सोडा के ज़रिए खपत और संभावित डायबिटीज़ के खतरे को हम ताड़ लें .ले जा सकता है डाइट सोडा हमें उस ओर।
बेहतर है प्यास लगने पर हम ठंडा पानी पियें -ठंडा यानी कोको -कोला नहीं .
रूखी सूखी खाय के ठंडा पानी पीव ,
देख पराई चूपड़ी मत ललचावे जीव .
सन्दर्भ -सामिग्री :http://healthland.time.com/2011/06/29/studies-why-diet-sodas-are-no-boon-to-dieters/?hpt=he_c2
भाई साहब व्यस्तता की वजह से क्रमशः रेगुलर आप के ब्लॉग पर न आ सका ! आप की प्रस्तुति वाकई उपयोगी होती है ! सुन्दर जानकारी मिली !
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी से भरी हुई पोस्ट.
जवाब देंहटाएंजी ललचाने ने ही तो हमें मार डाला वीरुभाई
जवाब देंहटाएंआपने सुन्दर जानकारी प्रस्तुत की है
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
उपयोगी जानकारी. आभार.
जवाब देंहटाएंcold means no cold drink cola
जवाब देंहटाएंinformative post
आप तो चलते-फिरते इंसाइक्लोपीडिया हैं।
जवाब देंहटाएंअत्यंत उपयोगी जानकारी पढ़ने को मिली।
बहुत-बहुत धन्यवाद आपको।
उपयोगी जानकारी ... सोडा तो वैसे भी नुक्सान ही देता है ... इसलिए अच्छा ही की लस्सी पियें ...
जवाब देंहटाएंअपुन ने तो याद ही नहीं कि कब पिया था, या नहीं
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