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गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

सेरिब्रल पाल्ज़ी(टाइप्स )....

सेरिब्रल पाल्ज़ी ......
गत पोस्ट से आगे .....
(३)स्पाज़ -टिक क्वाड्री -प्लीइज़िया :सीपी की यह किस्म पूरे हिस्से को असर ग्रस्त करती है ,सभी अंग इसकी चपेट में आतें हैं -चेहरा ,धड ,टांगें ,हाथ ।
(४)दिस -काइनेटिक (अथे -टोइड):इसमें अंगों का ट्विस्टिंग ,स्कार्मिंग मूवमेंट होता है .इन- वोलंटरी होता है यह रिदिंग मूवमेंट ,स्वयं चालित ,आपसे आप धीरे धीरे .ज़ाहिर है व्यक्ति का इस आंगिक गति पर कोई बस नहीं चलता .हाथ ,बाजू ,पैर और टांगें असर ग्रस्त हो सकतीं है -दिस -काइनेटिक सेरिब्रल पाल्ज़ी में .कई दफा चेहरा और ज़बान (जीभ ,टंग)भी असर ग्रस्त होती है और इसीलिए इस विकार से ग्रस्त व्यक्ति बहुत मुश्किल से ही बात कर पाता है धैर्य पूर्वक सुनना चाहिए इनकी बात को .बेहद की परेशानी महसूस करता है बात कहने में इसविकार से ग्रस्त व्यक्ति .मसल टोन इस विकार में रोज़ -बा -रोज़ और एक दिन में भी कई दफा बदल सकती है .
१०-२०%लोग इसी विकार से ग्रस्त रहतें हैं ।
(५)अटाक्सिक (या अतोक्सिक हाइपो -टोनिक ):इसमें संतुलन कमज़ोर और गति समन्वयन प्रभावित होता है .गति अ-समन्वित रहती है .डेप्थ परसेप्शन में भी दिक्कत आती है .चलते समय लडखडाहट अ -संतुलन देखा जा सकता इन मरीजों में .लिखते समय खासी दिक्कत आती है खासकर जब तेज़ी से लिखना हो परीक्षा आदि में ,इसीलिए इन्हें ज्यादा समय दिया जाना चाहिए .किसी चीज़ को उठाते समय साधे रखने में उस चीज़ को इन्हें खासी दिक्कत आती है चाहे वह चम्मच ही सही .हाथों और बाजुओं का संतुलन बनाए रखना मुशकिल पेश करता है .इनकी मसल टोन बढ़ी हुई भी रह सकती है घटी हुई भी .५-१०%लोग सेरिब्रल पाल्ज़ी की इसी किस्म से ग्रस्त मिलतें हैं ।
(६)मिक्स्ड (मिश्रित सेरिब्रल पाल्ज़ी ):कई लोगों को सीपी की एक से ज्यादा किस्म घेरे रह सकतीं हैं .स्पाज़ -तिसिती तथा डिस -काइनेटिक (अथी -टोइड )मूवमेंट्स आमतौर पर एक साथ देखने में आतें हैं ।
रोग के लक्षण हर व्यक्ति में अलग अलग हो सकतें हैं .समय के साथ इनका स्वरूप भी बदल सकता है .(बट दी डिस -ऑर्डर रिमेन्स नॉन -प्रोग्रेसिव यानी समय के साथ लक्षण उग्र नहीं होतें हैं रोग बढ़ता नहीं है )।
सेरिब्रल पाल्ज़ी से गंभीर रूप से ग्रस्त व्यक्ति हो सकता है उम्र भर चल ही न सके ता -उम्र उसे देखभाल संभाल की ज़रुरत रहे ।
दूसरी तरफ माइल्ड सेरिब्रल पाल्ज़ी से ग्रस्त व्यक्ति भले ही बे -सलीका ,बे -ढबचले ,आक्वर्द्ली ,चल तो सकता ही है .ज़रूरी नहीं है उसे किसी ख़ास मदद की ज़रुरत पड़े ही .
इस विकार से ग्रस्त व्यक्तियों में सीज़र्स डिस -ऑर्डर्स ,बीनाई का कमजोर पड़ना (विज़न इमपे -यर्मेंट),सुनाई कम देना (हीयरिंग लोस ),कई बौद्धिक अक्षमताएं भी साथ साथ दिखलाई दे सकतीं हैं ।
फिर से दोहरा दें-
सेरिब्रल पाल्ज़ी मूवमेंट (हमारे हिलने डुलने ,गति करने )तथा पोश्चर (मुद्रा )से सम्बन्धी एक विकार है जो समय के साथ बढ़ता नहीं है तथा विकासशील भ्रूणके पनपते हुए दिमाग को पहुचने वाली क्षति का नतीजा होता है .पनपते दिमाग को यह नुकसानी प्रसव से पहले प्रसव के दौरान और प्रसव के फ़ौरन बाद भी पहुची हो सकती है ।
विकासशील पनपते दिमाग को पहुँचने वाली इस नुकसानी की वजह -
(१)दिमाग को आक्सीजन की आपूर्ति पूरी तरह न हो पाना भी हो सकती है ,
(२)भ्रूण के रक्त में ग्लूकोज़ की कमीबेशी (लो ब्लड ग्लूकोज़ लेविल्स ,हाइपो -ग्लाई -सीमिया )भी हो सकती है ।
(३)गर्भावस्था का कोई संक्रमण ,विकासात्मक विकार ,समय पूर्व प्रसव भी हो सकता है ।
शैशव अवस्था के इस विकार के साथ चली आती हैं -लर्निंग एंड हीयरिंग डि -फी- कल्तीज़ ,पूअर स्पीच ,पूअर बेलेंस तथा एपिलेप्सी .
(ज़ारी...).

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