कोई न कोई व्यायाम अवश्य करना चाहिए अपनी रूचि और सामर्थ्य ,उम्र के अनुरूप .क्योंकि ब्लड सुगर के विनियमन में यह इलाज़ का इक ज़रूरी हिस्सा है ।
व्यायाम करने पर मांस पेशियाँ जो ऊर्जा मांगतीं हैं उसकी आपूर्ति मधुमेही के रक्त से ही होती है और इसीलिए रक्त में चली आई अतिरिक्त शक्कर खर्च होकर घट जाती है .
इसीलिए दिनभर में आधा घंटा की चहल कदमी ज़रूर करनी चाहिए .
योगासन अन्य स्वास्थ्य वर्धक व्यायाम भी किये जासकतें हैं .
योग पर आधारित व्यायाम ,आसन आदि शरीर तथा जोड़ों को राहत पहुँचातें हैं .चहलकदमी से पहले इन्हें ज़रूर करें ।
कुछ योगासनों का मधुमेह में विशेष महत्व है .जो हमारे पेंक्रियाज़ को पर्याप्त स्तिम्युलेसन दे देतें हैं ,यानी अग्नाशय को समुचित उत्तेजन प्रदान करतें हैं ताकि इंसुलिन का बराबर निर्माण हो सके .कोई भी वह आसन जो अग्नाशय पर दवाब डालता है वह मधुमेह में विशेष लाभ पहुंचाता है ।
मसलन अर्द्ध -मतस्य -इन्द्रासन न सिर्फ अग्नाशय पर दवाब डालता है इसमें संकोचन (सिक -ड़ाव,कोंट्रेक्सन)भी पैदा करता है ,इसीलिए इंसुलिन स्राव में वृद्धि हो जाती है ,बीटा सेल्स सक्रीय हो जातीं हैं .
भुजंग आसन शरीर के भीतरी अंगों की मालिश (मसाज़ करदेता है ),पेंक्रियाज़ पर भी समुचित दवाब डालता है इंडो -क्रा -इन सिस्टम (स्रावी -तंत्र )को चुस्ती प्रदान करता है .इन सभी आसनों से ब्लड सुगर को मान्य(सामान्य रेंज )में बनाए रखने में बेहद की मदद मिलती है .इस सन्दर्भ में स्वामी रामदेवजी का योगदान अप्रतिम कहा जाएगा .
सोमवार, 14 मार्च 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें